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गाय के बहाने फिर से आस्था की दुकानदारी की तैयारी
गौ हत्या और बीफ खाने पर प्रतिबन्ध पर आरएसएस बरसों से राजनीति कर रही है लेकिन उस इतिहास को अनदेखा कर रही है जो लिखित में गाय मांस को सेवन को लेकर दर्ज है। वह ऐसा प्रतिबन्ध थोप रही है, जैसे गाय पर उसने बैनामा करवा लिया हो, इसके चलते अनेक मुस्लिमों के साथ मोबलिंचिंग कर उस समुदाय को भयभीत किया गया। गाय एक दुधारू पशु से ज्यादा कुछ नहीं है। महाराष्ट्र में आने वाले दिनों में यहाँ विधानसभा चुनाव के चलते धुवीकरण की राजनीति के चलते ही देशी गाय को ही राज्य माता का दर्जा दिया गया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सौ साल : सांप्रदायिकता के एजेंडे से भारतीय सामाजिकता को बांटने का हासिल
राष्ट्रीय सेवक संघ अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है। हिन्दू राष्ट्र के अपने झूठे संकल्प को पूरा करने के लिए संघ हिन्दू-मुस्लिम का खेल लगातार खेल रहा है। वर्ष 2002 में गुजरात में प्रायोजित गोधरा दंगों के बाद भाजपा ज्यादा मजबूती से ध्रुवीकरण करने में सफल रही है। लगातार अल्पसंख्यक समुदायों, किसानों, आदिवासियों और महिलाओं पर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष हमले करवाकर उन्हें भयभीत कर रही है। बोलने वालों को जेल और अपने साथ खड़े होने वालों को ऊंचा पद दे सम्मानित कर रही है। 'सबका साथ सबका विकास' की जगह ' सबका साथ अपना विकास' का नारा मजबूत हो रहा है। संघ और भाजपा ने इन सौ वर्षों में और क्या कुछ किया, इसके आकलन के लिए पढ़िए डॉ सुरेश खैरनार का विश्लेषणपरक लेख।
राजस्थान : मामूली विवाद में लाठियों से पीट-पीट कर मार डाला
जयपुर (भाषा)। राजस्थान के भिवाड़ी में मामूली विवाद के बाद एक युवक को लाठियों से इतना पीटा गया कि उसकी मौत हो गई। इस...
जितनी घातक है हिंसा की राजनीति उतनी ही घातक है हिंसा पर राजनीति
जम्मू कश्मीर में हिंसा का तांडव जारी है। बावजूद इस आंकिक सत्य के कि मारे गए लोगों में अधिकतर स्थानीय मुसलमान हैं मीडिया में...
आज का 1984
पहला हिस्सा
जार्ज ऑरवेल (Geogre Orwell) का उपन्यास 1984 भविष्य में अधिनायकवाद के स्वरूप का वर्णन करता है। यह पुस्तक 1949 में प्रकाशित हुई...
हिंसा का उत्सव जायज नहीं (डायरी 12 अक्टूबर, 2021)
आडंबर और पाखंड से कोई धर्म नहीं बचा हुआ है। या कहिए कि हर धर्म में केवल और केवल आडंबर और पाखंड ही है।...

