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राजधानी दिल्ली में दो साल से क्यों आंदोलनरत हैं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता महिलाएं पिछले दो सालों से दिल्ली की सड़कों पर संघर्षरत हैं। जिनकी मांगें आज तक नहीं सुनी गईं । लोकसभा के ठीक पहले इन्होंने जंतर-मंतर पहुँचकर आंदोलन किया। लेकिन पुलिस उन्हें डिटेन कर गाड़ी में भरकर ले गई।
युद्धवीर की अगली यात्रा किधर
केन्द्र की मोदी सरकार ने अपने इस दूसरे कार्यकाल में कुछ ऐसे चौंकाने वाले फैसले लिए, जो सर्वत्र आश्चर्य तथा जनाक्रोश के कारण बने।...
शिखर को छूती सापेक्षिक वंचना के सद्व्यवहार में व्यर्थ विपक्ष
बतौर एक राजनीतिक विश्लेषक मैं 2019 से ही चुनाव दर चुनाव भाजपा की सफलता से विस्मित होते रहा हूँ। कारण, 2014 में मोदी के...
किसान आन्दोलन और मजबूत सरकार की मजबूरी
कृषि कानूनों की वापसी से ठीक पहले दो घटनाएं हुयी हैं जिनपर ध्यान देना जरूरी हैं। पहली घटना आठ नवम्बर की है जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा लम्बे अंतराल के बाद पश्चिमी उत्तरप्रदेश का कैराना का दौरा किया गया जहाँ उन्होंने 'पलायन' के मुद्दे को एक बार फिर हवा देने की कोशिश की और मुज़फ़्फ़रनगर दंगे को याद करते हुए कहा कि 'मुज़फ़्फ़रनगर का दंगा हो या कैराना का पलायन, यह हमारे लिए राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि प्रदेश और देश की आन, बान और शान पर आने वाली आंच का मुद्दा रहा है।
‘गैंगस्टर’ पूंजीपतियों के देश में भुखमरी का सवाल
यह भी समझाना जरूरी है कि भारत में भूख और कुपोषण की समस्या को देखते हुये खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 एक सीमित हल पेश करता ही है, उपरोक्त चारों हकदारियां खाद्य असुरक्षा की व्यापकता को पूरी तरह से संबोधित करने के लिये नाकाफी हैं और ये भूख और कुपोषण के मूल कारणों का हल पेश नही करती हैं।
सुप्रीम कोर्ट का सहज संज्ञान और सरकार का रवैया
लखीमपुर खीरी की बर्बरतापूर्ण घटना के बाद इंटरनेट पर वायरल हुये वीडियो और मारे गए किसानों के साथ प्रदर्शन में शामिल किसानों के बयान...

