जानकारी मिलने पर सामाजिक कार्यकर्ता ने पीड़ितों को लेकर सामाजिक संगठनों और अधिवक्ता समाज के साथ एसडीएम से राजातालाब तहसील दफ़्तर में मुलाक़ात कर बिना पुनर्वास पीड़ितों को पुनः उजाड़ने की कार्यवाही पर रोक लगाने की ज़ोरदार माँग रखी तत्पश्चात् एसडीएम ने अगले दिन शनिवार शाम को पीड़ित 13 मुसहर भूमिहीन परिवारों को 13 बिस्वा बंजर भूमि का पट्टा आवंटित किया। आजादी के बाद से ही सरकारों ने मुसहर व गरीबों के विकास के लिए कुछ भी नहीं किया। लगातार शोषण करती रही। यही कारण है कि गरीबों का विकास नहीं हुआ।' लेकिन अब हम ऐसा नहीं होने देंगे।
करसड़ा गांव में मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत बनने वाले अटल आवासीय विद्यालय हेतु मुसहर बिरादरी के तेरह परिवारों के घर बीते शनिवार को शासन द्वारा उजाड़ दिये गये। जिसके चलते उनका पूरा परिवार सड़क पर है।
गाँवों में अभी भी जातीय अस्मिताओं से ऊपर उठकर बौद्धिक ईमानदारी से काम करने की आवश्यकता है। तभी हम दलित-पिछड़ों पर हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध एक बेहतर विकल्प खड़ा कर पायेंगे। नहीं तो समाज में शोषण की प्रक्रिया जारी रहेगी और साहित्य और राजनीति मात्र अपनी छिपी हुई महत्वाकांक्षायों की पूर्ति का साधन भर रहेगा जिसमें असल मुद्दे गायब रहेंगे।
पिछले वर्ष 24 मई की सुबह उस समय हडकंप मच गया जब गाँववालों ने दो व्यक्तियों को सड़क की दो तरफ गिरा पाया। एक व्यक्ति में थोड़ी-बहुत सांस चल रही थी जबकि दूसरे का सर धड़ से अलग कर दिया गया था और ऑंखें भी फोड़ डाली गयी थीं। पहचान करने पर पता चला कि मृतक व्यक्ति का नाम बनारसी मुसहर था और वह कोइलसवा गाँव के निवासी थे।
जैसे जैसे मुसहर समाज अपने अधिकारों के लिए सजग हो रहा है वैसे वैसे जातिवादी ताकतें भी उनके आत्म सम्मान को षड्यंत्रपूर्वक तोड़ने का प्रयास कर रही हैं । इसलिए यह आवश्यक है कि प्रशासन और सरकार इस बात को गंभीरता से ले ताकि समाज के इस सबसे दबे-कुचले समुदाय को न्याय मिले और वह भी राष्ट्र की मुख्यधारा में आकर अपना योगदान कर सके।