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वाराणसी : सत्ता की मनमानी के खिलाफ पीड़ित मुसहरों ने डीएम को सौंपा ज्ञापन

वाराणसी के करसड़ा गाँव में मुसहरों को बेदखल कर बुलडोजर चला दिया गया। उनके घर खाक में मिल गए और अब वे सड़क पर हैं।

वाराणसी। प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के करसड़ा गांव में अपने नाम की जमीन पर बसे मुसहरों के घरों पर स्थानीय तहसील प्रशासन ने गुंडई करते हुए पीछले 29 अक्टूबर को बुलडोजर चलवा दिया। इससे मुसहरों का जीवन चौपट-सा हो गया है। रोजी-रोटी के लाले पड़ गये हैं। ऊपर से ठंड का कहर अलग से। पीड़ित मुसहर परिवारों ने सत्ता पर गुंडई करने का आरोप लगाया है।
दलित फ़ाउंडेशन से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता ने कहा कि बीते शुक्रवार को करसड़ा गाँव में कई दशकों से रह रहे लोगों के घरों को बगैर नोटिस दिये बुलडोजर चलवाकर ध्वस्त कर दिया गया। आपकी जानकारी के लिए बताना चाहता हूं कि पीड़ित मुसहरों का परिवार करसड़ा में दशकों से रह रहा है। उनके पास जमीनों के बक़ायदा सट्टा इकरारनामा है। वर्षों से जिसे वे अपनी मिल्कियत समझ रहे थे, उसे ही स्थानीय प्रशासन ने बगैर किसी सूचना के मुसहर बस्ती के दर्जनों मकानों को 29 अक्टूबर,  2021 को ध्वस्त कर उन्हें घरविहीन कर दिया।
उपर्युक्त घटना से पीड़ित परिवारों का प्रतिनिधि मंडल के साथ सामाजिक संगठनों ने सोमवार को ज़िलाधिकारी के प्रतिनिधि अपर नगर मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन के माध्यम से पीड़ितों की मांग है कि उन्हें पुनः बसाया जाए। साथ ही अपर नगर मजिस्ट्रेट को दिये ज्ञापन में प्रतिनिधि मंडल ने कहा कि, मुसहरों को बगैर नोटिस दिये बुलडोजर चलवाकर घर ध्वस्त करना न्यायसंगत नही है।

 

सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता ने बताया कि जिस जमीन को मुसहर परिवारों ने अपना समझ लिया था, समझा ही नहीं था बल्कि, वह जमीन उनके नाम से है भी। अब उसी जमीन पर स्थानीय प्रशासन अपना हक जताने लगा है। मानवीय संवेदनाओं को दरकिनार कर मुसहरों को उजाड़े जाने की घटना की हम सब सामाजिक संगठन के लोग घोर निंदा करते हैं। प्रशासन का यह रवैया मानवता को शर्मशार करने वाला है। जनता सरकार का चुनाव अपने कल्याण के लिए करती है, न कि शोषण के लिए। लेकिन आप पीड़ित मुसहरों के प्रति प्रशासन का रवैया देखिए, प्रशासन नंगा और आततायी रूप में दिख रहा है।

सामाजिक कार्यकर्ता और वकील प्रेम प्रकाश सिंह यादव ने कहा कि स्थानीय प्रशासन को द्विपक्षीय वार्ता कर मामले का सर्वमान्य हल निकालना चाहिये था। उनका घर छीन लेना किसी भी दशा में उचित नही है। ये क्रूरता की हद है। प्रेम प्रकाश ने कहा कि यदि मुसहरों को पुनः बसाने के बारे में सहानूभूति का रवैया अख्तियार नही किया, तो हम चुप नही बैठेंगे।
ज्ञापन में यह भी मांग किया गया है कि वर्षों से घर बनाकर अपने परिवार के साथ रहने वाले लोगों को उजाड़ने वाले ज़िम्मेदार व दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही किया जाय। ज्ञापन सौंपने वालों में प्रमुख रूप से दलित फ़ाउंडेशन से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता, अनिल कुमार, अधिवक्ता प्रेम प्रकाश सिंह यादव, प्रेम कुमार नट, सहित पीड़ित बुद्धु राम, मुनीब, राजेश आदि मौजूद थे।
गाँव के लोग
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