अपराधियों को सीधे गोली मारकर जहन्नुम भेजने का दावा करने वाले पुलिसस्टेट में तब्दील हो चुके राज्य में डबल इंजन की नाक के नीचे सेक्स और नशे का धंधा करने का आरोप है इन बदमाशों पर। ये इम्पॉसिबल है कि बिज़नेस मॉडल के ऐसे संगठित अपराध बिना पुलिस के जानकारी के फल फूल पाएं।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार साल दर साल महिलाओं पर होनेवाली घरेलू हिंसा में लगातार बढ़ोत्तरी नजर आती है ,महिलाओं के साथ भेदभाव और हिंसा समाज के लिए एक अभिशाप है। इस हिंसा को रोकने के महिलाओं को जागरूक एवं शिक्षित करना होगा ताकि वे अपने खिलाफ होनेवाली हिंसा का प्रतिकार कर सकें। इसमें सामाजिक संस्थाओं को भी आगे आकर महिलाओं की मदद करनी होगी। लेकिन केवल जागरूकता की बात करके समाज अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त नहीं हो सकता ।
किसानों की आत्महत्या के मामले में मध्य प्रदेश पांचवें नंबर पर है वहीं एक बार फिर बेमौसम बारिश मध्य प्रदेश के किसानों पर कहर बनकर गिरी है। सवाल है कि निजी बीमा कम्पनियाँ और सरकार किसानों को कितनी राहत पहुंचा पाती हैं?
एनसीआरबी के आंकड़े के अनुसार, उत्तर प्रदेश ब्लातकार की घटनाओं के मामले में देश में दूसरे नंबर पर है। पहले स्थान पर राजस्थान का नाम आता है। लेकिन हत्या और गैंगरेप के मामले में यूपी एक नंबर पर है।
जागरुकता के अभाव में गांव में निरक्षर लोग चिकित्सकीय उपचार से ज्यादा जादू-टोना, झांड़-फूंक, ताबीज और टोटकों में विश्वास करते हैं। इसकी दूसरी वजह गांव के चंद शिक्षित लोगों का भी जादू-टोना, झांड़-फूंक आदि में विश्वास करना है। हालांकि यह जरूर है कि शिक्षा और जागरुकता की वजह से नई पीढ़ियों की मानसिकता बदली है। वे अंधविश्वास व रूढ़ियों में तर्क खोजते हैं। यह इस बात को भी साबित करता है कि जब तक समाज के प्रबुद्धजनों व शिक्षित लोगों की मनःस्थिति नहीं बदलेगी, तब तक समाज से रूढ़ियां और अंधविश्वास जैसी चीजे़ं अपनी जड़े जमाई रहेगी।
कृषि क्षेत्र में रोजगार लगातार घट रहा है। भारत में 1972-73 में कृषि क्षेत्र में 74 प्रतिशत लोगों को रोजगार देता था, वहीं 1993-94 में 64 प्रतिशत और अब केवल 54 प्रतिशत लोगों को रोजगार देता है। इसी तरह, सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का हिस्सा 1972-73 में 41 प्रतिशत, 1993-94 में 30 प्रतिशत और अब घटकर मात्र 14 प्रतिशत रह गया है।