Tuesday, January 14, 2025
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सामाजिक व्यवस्था, शोषण और दमन ने जिन लोगों को बीहड़ में जाने को मजबूर कर बागी बनाया   

जब तक इन निर्जन-दूरस्थ स्थानों पर बसे कमजोर समुदाय के लोगों के साथ अन्याय और अत्याचार होता रहेगा बीहड़ों और जंगलों में बाग़ी पैदा होते रहेंगे। सरकार की उपस्थिति, अन्याय अपमान और अत्याचार से संरक्षण, सरकारी योजनाओं का लाभ, नौकरी और रोजगार में हिस्सेदारी जैसे महत्वपूर्ण कार्यों को सुनिश्चित कराकर ही लोगों के मन में कानून के प्रति सम्मान पैदा किया जा सकता है। लोकतंत्र की सभी संस्थाए जैसे कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका अपनी पहुंच के साथ-साथ भरोसा पैदा करके इन क्षेत्रों में बसे लोगों को मुख्यधारा में जोड़ने और बागी होने से रोक सकती हैं।

लुटेरे बन्दर और अन्य कविताएं

राकेश कबीर अल्हदा मिजाज़ के कवि  हैं। वह कविता को  रचते नहीं हैं बल्कि मन की अंगीठी पर समझ की सघन आंच से कविता...

दौलत के दम पर कोख खरीदता पूंजीवाद

 भारतीय समाज के पिछले सौ साल के समय को ध्यान से देखें तो सन्तान पैदा न होने पर दो या तीन शादियाँ करने का...

अभी बहुत दूर है साहित्य पर शानदार फिल्में बनाने का बालीवुडीय सपना

जब तक बॉलीवुड भारतीय समाज की सही समझ नहीं विकसित करता और जातीय और साम्प्रदायिक पूर्वाग्रहों से मुक्त नहीं होता तब तक वह साहित्यिक...

प्रशासनिक अधिकारियों का मनोगत चित्रण करता है सिनेमा

प्रशासनिक अधिकारी भारतीय सार्वजनिक जीवन में अनिवार्य भूमिका निभाते हैं । उनकी अपनी विशेषताएँ , दिक्कतें और सीमाएं होती हैं । मानवीय और प्रशासनिक...

नदियों के बहने से ही जीवन का प्रवाह अविराम होगा !

देवरिया जनपद में बिहार राज्य की सीमा पर स्थित ‘स्याही नदी’ अपने नाम और वर्तमान स्थिति के कारण एक अनोखी नदी है। सन1916-17 में अंग्रेजों के जमाने में की गयी चकबंदी में बीस किमी लम्बाई में लगभग 300 मीटर चौड़ाई वाली महानदी स्याही के समस्त प्रवाह क्षेत्र को एक राजस्व ग्राम ‘मोहाल स्याही नदी’ के रूप में दर्ज कर उसके भीतर किसानों के कृषि कार्य हेतु चक आवंटन करना आश्चर्यचकित करने वाली घटना है।

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