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River
Azamgarh : शहर के बीचों-बीच बहने वाली ऐतिहासिक नदी को लोगों ने गंदगी बहाने का माध्यम बनाया
https://www.youtube.com/watch?v=rJbGu_5D3X8
बलिया : घाघरा की बाढ़ से कई गांवों में कटान का ख़ौफ़, दहशत में ग्रामीण
https://youtu.be/vb1ngs6F7hs
सिर्फ सड़कों तक जी20 की तैयारी, तालाबों और कुंडों को भूल गये
मुख्य मांगें :मोतीझील, सोनिया तालाब, पांडेयपुर तालाब सहित अनेक तालाबों और कुंडों को अतिक्रमण व कचरे मुक्त किए जाने की मांग। असि और वरुणा...
वरुणा का हाल-अहवाल संकलित कर रही ‘नदी एवं पर्यावरण संचेतना यात्रा’
गाँव के लोग सोशल एंड एजुकेशन ट्रस्ट द्वारा वरुणा नदी किनारे से नदी एवं पर्यावरण संचेतना यात्रा 10 जुलाई, रविवार को सुबह छह बजे शुरु की गई। पिछली चार यात्राओं में गांव के लोग की टीम दानियालपुर घाट से कोरउत पुल तक लगभग 15 गांवों की पैदल यात्रा कर चुकी है। जिनमें हम लोग नदी के किनारे रहने वाले ग्रामीणों के जीवन और संस्कृति को नजदीक से देखा और उनके अनुभवों को जाना, साथ ही उनसे पर्यावरण और नदी के प्रदूषण को लेकर बातचीत भी की। यह यात्रा अनवरत जारी है।
नदियों को लेकर जनता में जागृति फैलाएगी यह मुहिम
नदियों में पानी बहुत कम रह गया है और जो है वह बहुत ही दूषित है। यह बड़ी नदियों के लिए भी नुकसानदेह है। यह स्थिति पेड़, पहाड़ और जंगल के लिए भी खतरनाक है। अभी हाल ही में येल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल लॉ एंड पॉलिसी के सेंटर फॉर इंटरनेशनल अर्थ साइंस इनफार्मेशन नेटवर्क द्वारा प्रकाशित 2022 पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (EPI) में भारत 180 देशों में सबसे निचले पायदान पर रहा, जो कि चिंताजनक है। इस सूचकांक में डेनमार्क प्रथम, ब्रिटिश द्वितीय और फिनलैंड तृतीय स्थान पर रहा। भारत की यह स्थिति पर्यावरण के संकट पर सोचने और उसे बचाने के लिए ध्यान आकर्षित करता है।
बावड़ियों और तालाबों के बिना पर्यावरण की कल्पना अधूरी है
आज हम अपनी बात तालाब से शुरु करेंगे। तालाब जब सबके थे जनसमुदाय के थे और सबको तालाबों से काम था। जन और तालाब...
नदियों के बहने से ही जीवन का प्रवाह अविराम होगा !
देवरिया जनपद में बिहार राज्य की सीमा पर स्थित ‘स्याही नदी’ अपने नाम और वर्तमान स्थिति के कारण एक अनोखी नदी है। सन1916-17 में अंग्रेजों के जमाने में की गयी चकबंदी में बीस किमी लम्बाई में लगभग 300 मीटर चौड़ाई वाली महानदी स्याही के समस्त प्रवाह क्षेत्र को एक राजस्व ग्राम ‘मोहाल स्याही नदी’ के रूप में दर्ज कर उसके भीतर किसानों के कृषि कार्य हेतु चक आवंटन करना आश्चर्यचकित करने वाली घटना है।