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Sarv Seva Sangh

सरकार गांधी का नकली चश्मा पहन, एक आंख से सांप्रदायिकता और दूसरी आंख से तानाशाही देखती है – संजीव सिंह

सत्ता में भाजपा के आने के बाद गाँधी से जुड़े संस्थानों और उनके विचारों पर लगातार हमले हो रहे हैं। उनकी विरासत पर कब्ज़ा कर, उन्हें लगातार ध्वस्त करने की प्रक्रिया और लोकतंत्र को विकृत करने के खिलाफ गांधीवादी लोग आम जनता तक, इन बातों को पहुंचाने का काम कर रहे हैं। पिछले वर्ष वाराणसी में सर्व सेवा संघ परिसर को पूरी तरह खत्म करने के बाद 11 सितम्बर 2024 से 100 दिनी सत्याग्रह की शुरुआत की गई।

सर्व सेवा संघ पर मनमानी कार्यवाही कर रही है सरकार

(वाराणसी) सर्व सेवा संघ के राजघाट परिसर से संबंधित भू -अभिलेखों में नाम मालिकान के स्थान पर सर्व सेवा संघ का नाम हटाकर उत्तर...

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के विचारों को ‘ढहा’ कर वाराणसी में मनाया जा रहा ‘अमृत महोत्सव’

वाराणसी। स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ और आज़ादी का अमृत महोत्सव के समापन के तीन दिवस पूर्व राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के विचारों को आगे बढ़ाने...

इतिहास बताता है कि सर्व सेवा संघ की जड़ों में बहुत पहले ही दीमक लग चुकी थी

तीस जनवरी, 1933 के दिन हिटलर ने जर्मनी के चांसलर पद की शपथ ली थी। (30 जनवरी के दिन ही गाँधीजी की गोली मारकर...

सर्व सेवा संघ को बचाने की मुहिम में प्रतिवाद सभा, बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने की शिरकत

वाराणसी। करीब दो महीने से सर्व सेवा संघ को बचाने वास्ते संघर्षरत सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों का जुटान आज वरुणा तट स्थित शास्त्री घाट...

सर्वोच्च न्यायालय से नहीं मिला स्टे, निचली अदालत में करेंगे अपील ,सर्वसेवा संघ में जारी रहेगा सत्याग्रह

वाराणसी।  सर्वसेवा संघ परिसर को विध्वंस से बचाने के लिए धरना सोमवार को 58वें दिन भी जारी रहा। इस बीच उपरोक्त मामले की सुनवाई...

प्रधानमंत्री को सम्बोधित पत्रक गंगा में किया प्रवाहित, गांधी की विरासत बचाने के लिए संघर्ष को तैयार हैं गांधी के लोग

जब गांधी की विचारधारा खत्म होगी, तभी गोडसे की विचारधारा स्थापित होगी। सर्व सेवा संघ सिर्फ एक जमीन नहीं है। यह विचारों का प्रतीक है। अगर आज वे इस जमीन पर कब्जा कर लेंगे, तो भविष्य में वे किसी भी संस्थान पर कब्जा कर लेंगे। उन्होंने देखा कि यह हांडी में चावल का एक दाना है, जिसे वे दबाना चाहते हैं।

संकट में सर्व सेवा संघ, क्या गांधी के लोग बचा पायेंगे गांधी की जमीन

एक सिपाही के पास ऐसे राष्ट्रीय स्तर के प्रकरण पर बोलने की इजाजत नहीं होती है। पुलिस व्यवस्था में सिपाही के पदक्रम को देखते हुये कहा जाय तो उसकी हैसियत नहीं होती है। जिस प्रकरण में प्रत्यक्ष रूप से जिला प्रशासन के आलाधिकारी सरकारी मंशा को अमलीजामा पहनाने में लगे हुये हों, वहां एक सिपाही ‘वर्कआउट’ का प्रसाद नहीं ले सकता। यह हो सकता है कि सिपाही द्वारा कही गई बातें सर्व सेवा संघ से जुड़े लोगों के लिए एक इशारा हो कि सर्व सेवा संघ सहित पूरे परिसर को लेकर सरकार और जिला प्रशासन का इरादा क्या है?

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