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सर्वोच्च न्यायालय से नहीं मिला स्टे, निचली अदालत में करेंगे अपील ,सर्वसेवा संघ में जारी रहेगा सत्याग्रह

वाराणसी।  सर्वसेवा संघ परिसर को विध्वंस से बचाने के लिए धरना सोमवार को 58वें दिन भी जारी रहा। इस बीच उपरोक्त मामले की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने अखिल भारत सर्व सेवा संघ को निर्देशित किया कि तकनीकी कारणो को देखते हुए इस मामले के अंतिम निष्पादन के लिए आप निचली अदालत में जाय। […]

वाराणसी।  सर्वसेवा संघ परिसर को विध्वंस से बचाने के लिए धरना सोमवार को 58वें दिन भी जारी रहा। इस बीच उपरोक्त मामले की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने अखिल भारत सर्व सेवा संघ को निर्देशित किया कि तकनीकी कारणो को देखते हुए इस मामले के अंतिम निष्पादन के लिए आप निचली अदालत में जाय। न्यायमूर्ति मा.हरिकेश राय और मा.पंकज मित्तल की खंडपीठ ने सर्व सेवा संघ की एक याचिका संख्या 29975/ 2007 में पारित उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश दिनांक 26/5/2023 को चुनौती देने के लिए अलग से एक विशेष अनुमति याचिका उच्चतम न्यायालय में दाखिल करने का सुझाव दिया। पीठ ने यह भी कहा कि रेलवे से सर्व सेवा संघ द्वारा भूमि क्रय करने के मामले में वाराणसी की निचली अदालत में विचाराधीन वाद पर इस आदेश का कोई प्रभाव नही होगा।

सर्व सेवा संघ के संयोजक राम धीरज ने बताया कि “हम मा. उच्चतम न्यायालय के निर्देश का पालन करते हुए निचली अदालत में नई अपील दाखिल करेंगे साथ ही उच्चतम न्यायालय के समक्ष एक नई विशेष अनुमति याचिका शीघ्र दाखिल करेंगे, जिसमे उच्च न्यायालय के 26 मई 2023 के आदेश को चुनौती दी जाएगी। इस बीच हमारा शांतिपूर्ण सविनय अवज्ञा सत्याग्रह जारी रहेगा।”

एक दिन पूर्व सरकार द्वारा अखबारों में छपवाए गए बयान कि ‘सर्व सेवा संघ की जमीन पर रेलवे का मालिकाना हक है’ को भी सर्व सेवा संघ के लोगों ने पूर्णतया भ्रामक और तथ्यहीन कहते हुये सरकार के इस तरह के प्रयास की निंदा की। सर्व सेवा संघ के संयोजक राम धीरज ने बताया कि सर्व सेवा संघ के पास संबंधित जमीन की क्रय-डीड एवं चालान द्वारा जमा किए गए धनराशि की रसीद भी है तथा नगर निगम में जो टैक्स जमा होता रहा है, उसकी भी रसीद है और 63 सालों से हम यहां पर लगातार काबिज हैं, ऐसी दशा में रेलवे का यह दावा करना अनुचित एवं भ्रांति फैलाने वाला है।

सर्व सेवा संघ के इस सत्याग्रह को अब वाराणसी सिविल बार एसोसिएशन का भी समर्थन मिल गया है। इस पूरे आंदोलन के कानूनी पहलुओं की लड़ाई के लिए एक लीगल टीम बनाई गई  जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ता भुवन मोहन श्रीवास्तव की अगुवाई में 11 अधिवक्ता केसर राय, प्रेम प्रकाश यादव,  राजेश कुमार यादव, रामदुलार, संजीव सिंह, अजय मुखर्जी, सुरेंद्र चरण, नीतू पांडे, राजेश कुमार दीक्षित, अफलातून देसाई इत्यादि अधिवक्तागण शामिल हुए।

अधिवक्ताओं ने जिला प्रशासन एवं रेलवे द्वारा की जा रही कार्रवाई को अनुचित एवं अवैधानिक बताया। अधिवक्ताओं ने कहा कि यह आश्रम 63 सालों से यहां मौजूद है और समाज निर्माण का काम कर रहा है। ऐसी दशा में संस्था यहां से हटाया नहीं जा सकता। अधिवक्ताओं ने कहा कि सर्व सेवा संघ की रजिस्ट्री बिल्कुल सही एवं वैधानिक है। उसे बिना कोर्ट की प्रक्रिया के डीएम के आदेश से निरस्त नहीं किया जा सकता।सरकार का काम विरासत को बचाना एवं संरक्षित करना है उसे ध्वस्त करना नहीं,  यह अनुचित एवं अवैधानिक है।

अधिवक्ता समूह ने कहा कि इस पूरे मामले से जहां कानूनी प्रक्रिया का उलंघन होगा हम सब सामुहिक रूप से विरोध करेंगे। अधिवक्ताओं ने इस पूरे मामले में जिला अधिकारी, एसडीएम और रेलवे द्वारा की गई कार्यवाही की समीक्षा की और बताया कि इसमें कई कानूनी खामियां है तथा डीएम एसडीएम ने अपने पद और अधिकार का दुरुपयोग किया है। जिसके खिलाफ कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

वरिष्ठ अधिवक्ता और पीयूसीएल के सदस्य केसर राय ने कहा कि हर नागरिक का अपना अधिकार होता है जिसको सुरक्षित करना न्यायालय एवं राज्य की जिम्मेदारी होती है लेकिन यहां तो नागरिक, संस्था तथा पर्यावरण हितों की अनदेखी की जा रही है, इसलिए हम न्यायालय से अपील करते हैं कि इस प्रकरण को  स्वत: संज्ञान में लें।

फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय से स्टे नहीं मिल सका है बल्कि  सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले को निचली अदालत    ले जाने की बात कही है। सर्व सेवा संघ के लोग जहां वापस मामले को निचली अदालत में  ले जाएँगे वहीं धारना प्रदर्शन आगे भी जारी रहेगा। आंदोलन को आगे कैसे बढ़ाना है इस पर कल बैठक की जायेगी।  सर्व सेवा संघ के संयोजक राम धीरज ने सभी गांधी वादी साथियों को इस बैठक में आमन्त्रित किया है।

सर्व सेवा संघ में चल रही इस धरना के 58वें दिन भी सत्याग्रह में बड़ी संख्या में  सामाजिक व राजनैतिक कार्यकर्ता शामिल रहे। जिसमें पूर्व सांसद डॉ राजेश मिश्रा, कुँवर सुरेश सिंह, विजय नारायण, सौरभ सिंह, संजीव सिंह, चेतन उपाध्याय, मनीष शर्मा, नंदलाल मास्टर, वल्लभाचार्य पांडेय, डॉ अनूप श्रमिक, रामाश्रय यादव, राजेन्द्र मिश्रा, इंदु पांडेय, जागृति राही, महंत कबीर मठ गौतम जी, नीरज, धनन्जय त्रिपाठी, कमलेश, अशोक मिश्रा, सुशील सिंह बच्चा, ए के लारी, डॉ मोहम्मद आरिफ, अनोखे लाल, विनोद, तारकेश्वर, नीति, दीप्ति, प्रियंका, सोनी, प्रेम प्रकाश पांडेय, झूला, जितेंद्र, कहकशां, प्रियेश, नीरज, विवेक, कुलदीप, सिस्टर ब्रोनिता आदि प्रमुख रहे।

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