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सर्व सेवा संघ को बचाने की मुहिम में प्रतिवाद सभा, बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने की शिरकत

वाराणसी। करीब दो महीने से सर्व सेवा संघ को बचाने वास्ते संघर्षरत सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों का जुटान आज वरुणा तट स्थित शास्त्री घाट पर हुआ। सर्व सेवा संघ को बचाने की मुहिम में आज भी प्रतिवाद सभा चल रही है। आज प्रतिवाद सभा का आयोजन हुआ। इस दौरान सर्व सेवा संघ के लोगों ने […]

वाराणसी। करीब दो महीने से सर्व सेवा संघ को बचाने वास्ते संघर्षरत सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों का जुटान आज वरुणा तट स्थित शास्त्री घाट पर हुआ। सर्व सेवा संघ को बचाने की मुहिम में आज भी प्रतिवाद सभा चल रही है। आज प्रतिवाद सभा का आयोजन हुआ। इस दौरान सर्व सेवा संघ के लोगों ने समाज से अपील करते हुए कहा कि जो आज जिंदा हैं, शास्त्री घाट पर आएं। हम आज दिन भर धूप में बैठकर तपस्या करेंगे।

मौके पर साझा संस्कृति मंच के फादर आनंद ने कहा कि आज से करीब 130 साल पहले यानी 1893 में एक छोटे से रेलवे स्टेशन पर मोहन दास करमचंद गांधी को एक स्टेशन मास्टर ने ट्रेन से धक्का दे दिया था। यह घटना सात जून, 1893 को हुई थी। उस समय भी रेल मंत्रालय भारत सरकार के पास थी। उसी दिन की तरह आज भी भारत सरकार के लिए काम कर रही रेलवे प्रशासन ने वही दशकों पुराना इतिहास दोहराया है। 22 जुलाई, 2023 को गांधीजी को सर्व सेवा संघ से बाहर फेंक दिया गया। गांधीजी द्वारा लिखी गई पाण्डुलिपियों और किताबों को बाहर फेंक दिया गया। देश को तोड़ने वाली ताकतें आज भी सत्ता पर काबिज हैं। ये विभाजनकारी ताकतें जितनी भी कोशिश कर लें, लेकिन इनके मंसूबे सफल नही होंगे। वे कभी कामयाब नहीं होंगे। महात्मा गांधी और जयप्रकाश नारायण भारतीय जनता के दिल में बसते हैं। हम अपने दिलों से उनको नहीं निकलने देंगे। हम उनके साथ हैं, हम न्याय के साथ है, हम शांति के साथ हैं। हम अन्याय के खिलाफ हैं, हम झूठ के खिलाफ हैं।

बिहार से आए एक प्रतिनिधि ने कहा कि गांधी और विनोबा के विरासत की धरोहर सर्व सेवा संघ प्रकाशन था। इस परिसर में लगभग ढाई करोड़ की पुस्तकें थीं, जिन्हें कबाड़ की तरह बाहर निकाल दिया गया। यह अमानवीय कार्रवाई गांधी के देश में ही हो रही है। गांधी के विचारों को न मानने वाले लोगों की गिद्धभरी निगाहें उनकी हर संस्था पर है। इससे पहले भी साबरमती आश्रम को ध्वस्त कर वहां रहने वाले लोगों को बेघर कर दिया गया। अब वहाँ पूँजीपतियों के लिए बड़े-बड़े रिहायशी मॉल बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि विनोबाजी के कहने पर सर्व सेवा संघ की जमीन उत्तर रेलवे से खरीदी गई थी, जिसके सभी दस्तावेज संघ के पास मौजूद हैं। उस जमीन को दिलवाने में डॉ. राजेंद्र प्रसाद, लाल बहादुर शास्त्री, जगजीवन, जयप्रकाश नारायण मिश्र शामिल रहे। आज उसी जमीन को कहा जा रहा है कि यह धोखाधड़ी से ली गई है, तो क्या इन महान शख्सियतों ने धोखाधड़ी की है? सरकार के आदेश पर वाराणसी प्रशासन ने जोर-जबरदस्ती से सर्व सेवा संघ परिसर को खाली करा दिया गया। यह शर्मनाक है कि कि सरकार देश के महापुरुषों ‘फ्रॉड’ कह रही है। ऐसी सरकार आमजन को क्या समझती होगी? मोदीजी की समझ से पूरा देश फ्रॉडगिरी से बना है।

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किसान मजदूर संगठन (सीतापुर) की रामवती ने कहा कि बनारस के सर्व सेवा संघ के साथ जो कुछ हुआ, वह हर जिले में, हर प्रदेश में और पूरे भारत में ही रहा है। कहीं जमीनें छीनी जा रही हैं, कहीं बहन-बेटियों के साथ बलात्कार हो रहे हैं और निर्वस्त्र कराकर सड़क पर घुमाया जा रहा है, कहीं महापुरुषों के आश्रम छीने जा रहे हैं। और तो और उन ज़मीनों पर नई-नई बिल्डिंगे बनाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि जिस भारत को आजाद कराने के लिए गांधीजी ने प्राण त्याग दिए आज जगह-जगह उन्हीं को हटाया जा रहा है। डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने भारत के संविधान को बनाया, अब उनकी भी उपेक्षा की जा रही है। हमें बरगलाया जा रहा है कि हम लोग संविधान के दायरे में रह कर काम करें। अगर वह लोग संविधान के दायरे में रह कर काम करते तो आज गांधीजी का आश्रम और उनकी प्रतिमा नहीं हटाई जाती। हम बाबा साहब और भारत के संविधान को मानते हैं, लेकिन वह लोग बिल्कुल भी नहीं मानते। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार कहती कुछ है और करती कुछ है। हम सब लोग को संकल्प लेना होगा कि 2024 में भाजपा सरकार को हटाना है। यह ऐसी सरकार है कि उनके खिलाफ बोलने वालों को जुर्माना लगाकर जेल भेज दिया जाता है।

उल्लेखनीय है कि रेलवे द्वारा सर्व सेवा संघ के कार्यालयों और जमीनों पर दावा ठोकने के बाद काफी विरोध-प्रदर्शन हो रहा है। बीते 22 जुलाई को प्रशासन ने सर्व सेवा संघ परिसर को खाली करा लिया है। सेवा संघ के लोगों ने आरोप लगाया है कि जिला प्रशासन ने उनकी लगभग तीन करोड़ की किताबें फेंकवा दी हैं। सभी को वहाँ से निकाल दिया गया है।

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