प्रशांत किशोर की उपस्थिति ने बिहार की राजनीति को काफी हद तक गरमा दिया है हालांकि उनको लेकर ढेरों सवाल भी खड़े हो रहे हैं। खासतौर से प्रशांत किशोर को भाजपा की बी टीम के रूप में देखा जा रहा है। बरसों से बिहार की सत्ता पर चले आ रहे पिछड़ों के कब्जे पर सेंध लगाने के लिए भी प्रशांत किशोर को एक माकूल व्यक्ति माना जा रहा है। लेकिन बातें इतनी आसान नहीं हैं। यह तो भविष्य बताएगा कि प्रशांत किशोर क्या रंग दिखाते हैं लेकिन उनकी राजनीति में शामिल घटकों का बेबाक विश्लेषण कर रहे हैं मनीष शर्मा।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का बीते 17 महीने में बिहार का नौवां दौरा है। आने वाले चुनावों को ध्यान में रखते हुए भाजपा हमेशा की तरह ही सीरियस और पेशेवर रवैया रखती दिखाई दे रही है।
पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में आयोजित एक ‘विशाल’ रैली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, अखिल भारत कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी जैसे प्रमुख विपक्षी नेता मौजूद थे। जहां से सभी ने विशाल जनसभा को संबोधित किया।
2024 के लोकसभा को ध्यान में रखते हुए हाल के दिनों में विपक्षी दलों द्वारा एकजुटता के लिए जो तरह-तरह के प्रयास हो रहे हैं, डीएमके द्वारा प्रायोजित सामाजिक न्याय सम्मलेन अघोषित रूप में उसी कड़ी का हिस्सा है, जिसमें सामाजिक न्याय के मुद्दे पर विपक्षी एकता का खास प्रयास हुआ है। और अगर ऐसा है तो यह 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए बेहद प्रभावी प्रयास है। क्योंकि इस एकजुटता का आधार सामाजिक न्याय का मुद्दा है जो तेजस्वी यादव के शब्दों में \\\'धार्मिक उन्माद और साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की भाजपाई राजनीति का मुंहतोड़ जवाब दे सकता है।