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#VidyaBhushanRawat
मेरा प्रयास था कि बदलाव मौलिक हो और ऊपर से थोपा हुआ न हो
जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक और चिंतक विद्या भूषण रावत का जीवन विविध अनुभवों का खज़ाना है। उन्होंने समाज के हाशिये पर रहनेवाले लोगों के...
नामदेव ढसाल ने कविता को क्रांति का पर्याय बना दिया
नामदेव ढसाल मराठी दलित कविता के जाज्ज्वल्यमान नक्षत्र हैं। उनका जीवन विकट परिस्थितियों से शुरू हुआ लेकिन अपने संघर्ष और साहस से उन्होंने इतिहास...
उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी क्या पिकनिक स्पॉट भर है?
उत्तराखंड आन्दोलन में तमाम खामियों के बावजूद एक बात, जिसने मुझे बहुत प्रभावित किया, वह थी राजधानी की बात। यह इसलिए क्योंकि अन्य राज्यों...
भील विद्रोह की ऐतिहासिक घटनाओं की बिखरी कड़ियों को जोड़ता महत्वपूर्ण दस्तावेज़
क्सर हमें 'बताया' जाता था कि स्वतंत्रता आंदोलन के कुछ 'नायक' और कुछ 'खलनायक' थे और फिर 'इतिहास' की 'राजनीतिक लड़ाई' लड़ने वाले इतिहासकार थे जो अपने-अपने तरीकों से इसकी व्याख्या कर रहे थे और दिलचस्प बात यह है कि वे सभी एक ही खित्ते के हैं। दोनों में से किसी ने भी वास्तव में इस बात की परवाह नहीं की कि भारत जैसे विशाल देश का इतिहास या ऐतिहासिक आंकड़ों को प्रस्तुत करने का अलग-अलग दृष्टिकोण हो सकता है। इतिहास दरअसल घटनाओं के बारे में जानकारी देता है न कि हम व्यक्तिगत रूप से क्या पसंद या नापसंद करते हैं। तथ्य यह है कि इतिहास वर्तमान में हमारे 'भविष्य' को तय करने के लिए सबसे शक्तिशाली हथियार बन गया है।
छोटे अंतर्विरोधों को बड़ा और बड़े अंतर्विरोधों को छोटा बना दिया गया
प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक विद्या भूषण रावत के साथ रामजी यादव के संवाद की इस आखिरी कड़ी में भारत में अस्मितावादी संकीर्णता के...

