पंजाब की धरती पर पैदा होने वाले अमर सपूतों में गुलाम भारत में शहीदेआज़म भगत सिंह और तथाकथित आज़ाद भारत में नक्सलबाड़ी के खासमखास इंकलाबी कवि पाश के नाम समान सपनों के लिए बलिदान देने वाले राजनीतिक एवं साहित्यिक-सांस्कृतिक दुर्धर्ष योद्धा के रूप में शूमार हैं।
आज के दौर में लोकतंत्र और संविधान की हिफ़ाजत से ही मुल्क की हिफ़ाजत हो सकती है और अमर शहीदों के सपनों का भारत बनाया जा सकता है। लोकतंत्र, मुकम्मल आजादी और साम्यवादी भारत का सपना ही शहीदेआज़म भगत सिंह और इंकलाबी कवि ‘पाश’ का सपना है।उक्त बातें जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ. सुरेन्द्र सुमन ने जनसंस्कृति मंच, दरभंगा के तत्वावधान में स्थानीय एलसीएस कॉलेज के सभागार में शहीदेआज़म भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव और इंकलाबी कवि ‘पाश’ के शहदत दिवस पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहीं। इस अवसर पर जसम, दरभंगा के जिलाध्यक्ष डॉ. रामबाबू आर्य ने संगोष्ठी का विषय प्रवर्तन करते हुआ कहा कि मुकम्मल आजादी के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूम लेनेवाले शहीदेआज़म भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव और ‘बीच का कोई रास्ता नहीं होता’- के उद्घोषक पंजाब के इंकलाबी कवि ‘पाश’ को पूरी शिद्दत से याद करने और उनके सपनों का भारत बनाने के लिए संकल्प लेने का दिन है।
लोकप्रिय शिक्षक एवं जसम, दरभंगा के सह सचिव डॉ. संजय कुमार ने कहा कि ‘आजादी, लोकतंत्र और संविधान को बचाकर ही देश को बचाया जा सकता है और शहीदों के सपनों का भारत बनाया जा सकता है।’
एक्टू के नेता कॉ. उमेश प्रसाद साह ने कहा कि शहीदेआज़म भगत सिंह और बाबासाहेब अंबेडकर के महान स्वप्न- जातिविहीन एवं वर्गविहीन समाज का निर्माण करना ही शहीदों के सपनों का भारत बनाना है।’
एलसीएस कॉलेज के सेवानिवृत्त प्राध्यापक एवं समाजवादी नेता डॉ. मिथिलेश कुमार यादव ने कहा कि ‘आज शहीदेआज़म भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव और इंकलाबी कवि ‘पाश’ के शहादत दिवस के साथ ही सुप्रसिद्ध समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया का जन्म दिवस भी है। लोहियाजी की सप्तक्रांति का सिद्धांत भगत सिंह और अंबेडकर के सपनों का भारत बनाने के लिए मील का पत्थर है।’
खेग्रामस के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य कॉ. देवेन्द्र कुमार ने कहा कि ‘आज बर्बर फासिस्ट सत्ता को गद्दी से उतार फेंकना और आजादी, लोकतंत्र एवं संविधान बचाने के साथ ही मुल्क को बचाना ही सबसे बड़ी चुनौती है।’
रूपक कुमार ने इंकलाबी कवि ‘पाश’ की सुप्रसिद्ध कविता भारत का पाठ किया।
मौके पर शिक्षक दुर्गानन्द यादव, विशाल विवेक, ललित कुमार, अजीत कुमार, डॉ. कामेश्वर यादव, रिंकी कुमारी, रेखा यादव, अजय कुमार, मुकेश कुमार यादव तथा ओम शंकर कुमार आदि ने भी अपने-अपने विचार रखे।
कार्यक्रम का आगाज़ जनगायक कॉ. रामनारायण पासवान ऊर्फ भोलाजी द्वारा प्रस्तुत सुप्रसिद्ध इंकलाबी गीत- सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है/ देखना है जोर कितना बाजुए क़ातिल में है… से हुआ।
कार्यक्रम का संचालन हिन्दी के नवचयनित असिसटेंट प्रोफेसर तथा जसम, दरभंगा के सह सचिव मंजू कुमार सोरेन ने किया तथा संयुक्त अध्यक्षता सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य प्रो. राम अवतार यादव एवं जसम, दरभंगा के जिलाध्यक्ष डॉ. रामबाबू आर्य ने की। धन्यवाद ज्ञापन कॉ. भोलाजी ने किया।