पटना। बिहार में कांग्रेस के दो विधायकों के सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के पाले में जाने के एक दिन बाद पार्टी ने बुधवार को उन्हें राज्य विधानसभा से अयोग्य घोषित करने की मांग की।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव से मुलाकात की और अपने विधायकों सिद्धार्थ सौरव तथा मुरारी गौतम को अयोग्य ठहराने की मांग की। ये दोनों विधायक मंगलवार को सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्यों के साथ सदन में बैठे दिखे थे।
बाद में पत्रकारों से बात करते हुए सिंह ने आरोप लगाया, ‘भाजपा प्रलोभन देकर अपनी सत्ता का दुरुपयोग कर रही है और सीबीआई और ईडी जैसी एजेंसियों के माध्यम से धमकियां भी दी जा रही हैं।’ उन्होंने कहा कि पार्टी अपने विधायकों को तोड़े जाने की निंदा करती है। गौतम हाल तक मंत्री थे।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अचानक राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में लौटने से कांग्रेस पिछले महीने बिहार की सत्ता से बाहर हो गयी थी।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि दोनों विधायकों का आचरण पार्टी की सदस्यता छोड़ने के समान है जो दल-बदल विरोधी कानून का उल्लंघन है। सिंह के मुताबिक, विधानसभा अध्यक्ष ने कहा है कि वह पार्टी के ज्ञापन का अध्ययन करेंगे और नियमों के अनुसार निर्णय लेंगे। उन्होंने इन अटकलों को खारिज कर दिया कि निकट भविष्य में कांग्रेस के और विधायक पाला बदलेंगे।
सिंह ने पलटवार करते हुए कहा, ‘आप सदन में हमारे कुछ सदस्यों की अनुपस्थिति के आधार पर अटकलें लगा रहे हैं। आपको आज विधानसभा सत्र से बड़ी संख्या में अनुपस्थित रहने वाले भाजपा विधायकों पर भी ध्यान देना चाहिए।’
इससे पूर्व बिहार विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान ने कहा था कि उनकी पार्टी अपने इन दो विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करेगी। खान ने संवाददाताओं के सवाल का जवाब देते हुए यह बात कही थी।
बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के सिर्फ 17 सदस्य हैं। खान ने दोनों विधायकों को ‘‘गद्दार’’ करार देते हुए उनकी तुलना, नवाब बनने के लिए प्लासी युद्ध के दौरान अंग्रेजों के साथ हाथ मिला लेने वाले मीर जाफर से की।
कांग्रेस के दो विधायकों ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की संगीता कुमारी के साथ पाला बदल लिया था। तीनों ने भविष्य की अपनी रणनीति पर अभी चुप्पी साध रखी है और बुधवार को उनमें से कोई भी दोपहर के भोजन से पहले के सत्र के दौरान सदन में मौजूद नहीं थे।
उपमुख्यमंत्री एवं भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष सम्राट चौधरी द्वारा पाला बदलने वाले इन विधायकों का बिहार विधानसभा परिसर में अभिनंदन किये जाने से ऐसा माना जा रहा है कि वे भाजपा में शामिल हो सकते हैं।
सौरव भोजनावकाश के बाद विधानसभा पहुंचे थे और उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस के टिकट पर विक्रम सीट जीतने के बावजूद उन्होंने पार्टी से मुंह मोड़कर ‘‘कुछ भी गलत नहीं’’ किया।
कांग्रेस के और भी विधायकों के पार्टी छोड़ने की अटकलों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, ‘‘लड़ी लग जाने वाली है।’’
पिछले दिनों राजद के तीन अन्य विधायक भी पाल बदलकर राजग में शामिल हो गये थे। राजद सांसद एवं पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज झा ने कहा, ‘हम निश्चित रूप से उनको अयोग्य ठहराये जाने की मांग करेंगे। मुझे आश्चर्य है कि अध्यक्ष सदन के भीतर ऐसा कैसे होने दे रहे हैं।’
राजद के तीन विधायकों, चेतन आनंद, नीलम देवी और प्रह्लाद यादव जो एक पखवाड़े पहले बिहार विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्यों के बगल में उस दौरान जा बैठे थे जब उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटा दिया गया था और जनता दल (यूनाटेड) के अध्यक्ष नीतीश कुमार की अगुवाई में नई सरकार ने भाजपा के सहयोग से विश्वास मत हासिल किया था।
झा ने आरोप लगाया कि राजद नेता तेजस्वी यादव के प्रति जनसमर्थन ने भाजपा को परेशान कर दिया है और अब वह धनबल का सहारा ले रही है। उन्होंने कहा कि राजद ने कई लोगों को विधायक बनवाया है और उसे ऐसी हरकतों से उसे डराया नहीं जा सकता।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा, ‘‘हमारी कोई भूमिका नहीं है। अगर लोग वंशवादी पार्टियों में दबा हुआ महसूस करने लगे हैं, तो हम इसमें मदद नहीं कर सकते।’’
हालांकि, उन्होंने राजद के सत्ता खोने के तुरंत बाद तेजस्वी यादव की उस टिप्पणी जिसमें उन्होंने विश्वास मत से पहले ‘‘खेला’’ होने की बात कही थी, का उल्लेख किया।
सिन्हा ने यादव का नाम लिए बिना कहा, ‘‘हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है। जो लोग ‘खेला’ बोल रहे हैं, वे झमेला में पड़ गए हैं।’’
सत्तारूढ़ राजग के पास वर्तमान में 134 विधायक हैं, जिनमें दलबदल के आरोपी भी शामिल हैं। राजद, कांग्रेस और तीन वाम दलों वाले महागठबंधन की ताकत घटकर 108 रह गई है। राजद ने सबसे बड़ी पार्टी का दर्जा भी खो दिया है, इसकी प्रभावी ताकत घटकर 75 रह गई है, जो भाजपा से तीन कम है। कांग्रेस की संख्या अब घटकर 17 रह गई है।