Thursday, November 21, 2024
Thursday, November 21, 2024




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमशिक्षायूजीसी ने नेट परीक्षा को दो की जगह तीन श्रेणियों में बांटा,...

इधर बीच

ग्राउंड रिपोर्ट

यूजीसी ने नेट परीक्षा को दो की जगह तीन श्रेणियों में बांटा, क्या अब पीएचडी में दाखिला लेना होगा सरल?

यूजीसी के नए नियमों के बाद पीएचडी में प्रवेश लेना सरल तो हो गया है लेकिन अभी भी कई आशंकाएं जाहिर की जा रही हैं।

यूजीसी काउंसिल ने नई शिक्षा नीति के तहत नियमों में बदलाव करते हुए राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) को दो की जगह तीन श्रेणियों में बांट दिया है।

इस नए नियम के तहत पीएचडी प्रोग्राम में दाखिले के लिए अब उम्मीदवारों को अलग-अलग विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षा नहीं देनी होगी।

नये शैक्षणिक सत्र यानी 2024-25 के तहत अब राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा के अंक के आधार पर पीएचडी प्रोग्राम में दाखिला मिलेगा।

अभी तक नेट परीक्षा को केवल दो श्रेणियों सहायक प्राध्यापक और जेआरएफ व सहायक प्राध्यापक के लिए रखा गया था जबकि यूजीसी के नए नियम के बाद नेट परीक्षा को तीन श्रेणियों में बांट दिया गया है।

जिन उम्मीदवारों का नेट पर्सेंटाइल अधिक होगा वे श्रेणी एक में होंगे और उन्हें तीन श्रेणियों में लाभ मिलेगा। ये अभ्यर्थी जेआरएफ, सहायक प्राध्यापक और पीएचडी दाखिले के साथ-साथ फेलोशिप के लिए योग्य होंगे। इन अभ्यर्थियों को पीएचडी दाखिले के लिए सिर्फ साक्षात्कार देना होगा। यह साक्षात्कार यूजीसी रेगुलेशन-2022 के आधार पर होगा।

श्रेणी दो में आने वाले अभ्यर्थी सहायक प्राध्यापक और पीएचडी दाखिले के लिए योग्य माने जाएंगे।

वहीं श्रेणी तीन में आने वाले अभ्यर्थी सिर्फ पीएचडी में दाखिले के लिए योग्य होंगे। यह श्रेणी तीन नए नियम  के तहत जोड़ा गया है।

पीएचडी दाखिले के लिए श्रेणी दो और श्रेणी तीन वाले उमीदवारों के नेट पर्सेंटाइल को 70 फीसदी वेटेज में कन्वर्ट किया जाएगा जबकि इंटरव्यू का 30 फीसदी वेटेज मिलेगा।

इन दोनों श्रेणियों के लिए नेट स्कोर सिर्फ एक साल के लिए मान्य होगा। यदि इस अवधि में अभ्यर्थी पीएचडी में प्रवेश नहीं ले पाते हैं तो उन्हें इसके बाद लाभ नहीं मिलेगा।

जहां एक तरफ नेट में तीसरी श्रेणी जुड़ने से अभ्यर्थी प्रसन्न नजर आ रहे हैं वहीं कुछ विद्वान आशंका जाहिर कर रहे हैं कि साक्षात्कार के बहाने विश्वविद्यालयों की मनमानी बढ़ेगी और साथ ही भाई भतीजावाद भी बढ़ेगा।

क्योंकि विश्वविद्यालय की ओर से साक्षात्कार का 30 फीसदी अंक पीएचडी प्रवेश में निर्णायक साबित होगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here