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उप्र : सिपाही भर्ती परीक्षा में हुई धांधली और गड़बड़ियों से पराक्षार्थियों के भविष्य पर प्रश्न चिन्ह

पुलिस आरक्षी भर्ती परीक्षा आज भी चल रही है। शनिवार को गिरफ्तार हुए सॉल्वरों के बाद प्रशासन और खुफिया एजेंसियां अलर्ट मोड में हैं।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पुलिस विभाग की सिपाही भर्ती परीक्षा में अनुचित साधनों का उपयोग करके सेंध लगाने की योजना बनाने के आरोप में पुलिस ने विभिन्न जिलों से 122 लोगों को गिरफ्तार किया है।

‘उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड’ की सिपाही भर्ती परीक्षा 17 और 18 फरवरी को हो रही है जिसके मद्देनजर पूरे प्रदेश में पुलिस व स्थानीय प्रशासन सतर्क है।

पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) प्रशांत कुमार ने एक बयान में बताया कि अभी तक प्राप्त सूचना के अनुसार, एटा से 15, मऊ, सिद्धार्थनगर व प्रयागराज से नौ-नौ, गाजीपुर से आठ, वाराणसी से सात तथा आजमगढ़ से सात लोगों सहित प्रदेश के विभिन्न जिलों से अब तक 122 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

बाद में अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) अमिताभ यश ने बताया कि गिरफ्तार लोगों में से कुछ के पास नकल की गलत पर्चियां मिली, कुछ लोग अभ्यर्थियों के स्थान पर परीक्षा दे रहे थे, जबकि कुछ लोगों ने अभ्यर्थियों से पैसा लिया था। यश के मुताबिक, यह गिरफ्तारियां 15 से 17 फरवरी की रात के बीच की गयी हैं।

वाराणसी में मिले सात सॉल्वर

वाराणसी के विभिन्न थाना क्षेत्रों में कुल सात सॉल्वर्स को STF और ख़ुफ़िया दस्ते ने धर-दबोचा। राजातालाब तहसील में छह सेंटर बनाए गए थे। सरदार पटेल इंटर कालेज में प्रथम पाली के दौरान पटना निवासी एक अभ्यर्थी के स्थान पर परीक्षा दे रहा नालंदा (बिहार) निवासी सॉल्वर राजाराम पकड़ लिया गया। आधार बायोमैट्रिक मशीन उसके पहचान पत्र की जाँच नहीं कर सकी।

वहीं, दूसरी ओर, परीक्षा केंद्र के बाहर से बलिया निवासी विश्व प्रताप को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया। बड़ागाँव एसओ आशीष मिश्र के मुताबिक, संत अतुलानंद परीक्षा सेंटर से पकड़े गए युवकों में एक आजमगढ़, दूसरा बलिया और तीसरा आंबेडकर नगर का रहने वाला है।

एक सॉल्वर ने बताया कि इसके पहले लोहता थाना क्षेत्र के एक केंद्र पर वह परीक्षा देकर आया है। दूसरी पाली में भी वह परीक्षा देता लेकिन उसके पहले ही पकड़ लिया गया। दूसरी तरफ, आज आयोजित परीक्षा में पुलिस ने सभी केंद्रों पर जाँच दस्ते को तैनात कर दिया है।

बलिया में परीक्षा के नाम पर ऐंठे पैसे लेने वाला गिरफ्तार

जिले में आयोजित पुलिस भर्ती परीक्षा में रसड़ा पुलिस ने उस शातिर को गिरफ्तार किया है जिसने अभ्यर्थियों से उन्हें ‘पास’ करवाने के लिए लाखों रुपये लिए थे। उसके पास से करीब 9 लाख रुपये मिले हैं। साथ ही अभ्यर्थियों के अंक व प्रमाण पत्र, खुद के चार आधार कार्ड पुलिस ने बरामद किया है।

पुलिस अधीक्षक ने बताया कि खुफिया एजेंसी के माध्यम से इस सॉल्वर की जानकारी मिली थी। पकड़े गए युवक को नाम सलीम अंसारी पुत्र नइमुद्दीन है और वह उत्तर पट्टी का रहने वाला है।

पुलिस के अनुसार, सलीम, अभ्यर्थियों को परीक्षा में पास करवाने का झांसा देता था। इसके पहले भी वह कई आपराधिक मामलों में लिप्त था। वह शातिर तरीके से अभ्यर्थियों के दस्तावेज़ तैयार करता था। इस बार की पुलिस भर्ती की परीक्षा में उसने कई अभ्यर्थियों से पैसे लिए थे।

सूचना पाकर पुलिस ने कोटवारी मोड़ से करीब 50 कदम आगे बलिया मार्ग पर अंसारी इंटर प्राइजेज दुकान पर दबिश दिया। पुलिस को देखकर सलीम ने भागने की कोशिश की लेकिन पकड़ा गया।

दुकान की तलाशी में पुलिस को 16 फर्जी प्रवेश पत्र, 12 मूल शैक्षिक प्रमाण पत्र, चार स्वयं के फर्जी आधार कार्ड, एक मोबाइल, एप्पल के 13 मोबाइल सहित एक डायरी बरामद हुई है जिसमें कई अभ्यर्थियों के नाम और उनसे लिए गए रुपये दर्ज़ हैं।

ऐसे ठगी करते हैं सॉल्वर

आजमगढ़ में कुल 69 केंद्रों पर पुलिस भर्ती परीक्षा चल रही है। इसके पूर्व पुलिस ने जिले से करीब सात सॉल्वरों को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने उनके पास से एक स्कॉर्पियो, सात हजार कैश के साथ 14 लाख रुपये के दो चेक और अन्य फर्जी दस्तावेज बरामद किया है।

गिरफ्तार सॉल्वरों में संजय यादव, रोहित गुप्ता, हरिवंश यादव, भीम यादव, कैलाश यादव, राजेश तिवारी, पवन कुमार सिंह शामिल हैं।

एक सॉल्वर ने बताया कि सरकारी नौकरी में की जाने वाली भर्ती के दौरान हम लोग परीक्षार्थियों से अपने स्रोत के माध्यम से गोपनीय तरीके से सम्पर्क कर उन्हें प्रतियोगी परीक्षा में सफल कराने का झांसा देते हैं। बात बन जाने पर यह डील 50 हजार से शुरू होती है, जो लाख के पार भी चली जाती है। पैसा पार्टी के ऊपर डिपेंड करता है।

ह्वाटसएप के माध्यम से उनका प्रमाण-पत्र मंगवाकर उसी आधार पर खुद या किसी एजेंट के फर्जी दस्तावेज़ बनाए जाते हैं। उसके बाद परीक्षा केंद्रों पर एजेंटों को भेजा जाता है। पहचान बताने के लिए फर्जी आधार कार्ड का ही उपयोग किया जाता है।

सॉल्वर ने बताया कि परीक्षा के केंद्रों पर जाकर परीक्षार्थियों को फोन या हार्ड कॉपी के माध्यम से फर्जी आंसर कॉपी उपलब्ध कराकर उनसे पैसा ले लिया जाता है। सॉल्वर कई बार सोशल मीडिया पर वायरल आंसर कॉपी का ही इस्तेमाल कर अभ्यर्थियों को ठग लेते हैं।

लगभग 48 लाख से अधिक अभ्यर्थी हुए हैं शामिल

डीजीपी प्रशांत कुमार ने खुद भी गोमती नगर के महामना मालवीय विद्या मंदिर इंटर कॉलेज और जेएमडी पब्लिक हायर सेकेंडरी कॉलेज के परीक्षा केंद्रों का औचक निरीक्षण कर जायजा लिया। उन्होंने कहा कि 17 और 18 फरवरी को दो पालियों में होने वाली परीक्षा में लगभग 48 लाख से अधिक अभ्यर्थी सम्मिलित हो रहे हैं।

कुमार के मुताबिक, सभी अधिकारी भ्रमणशील रहे तथा परीक्षा बहुत सुचारू रूप से हुई। उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया पर भी पुलिस की निगरानी जारी है।

इससे पहले एटा जिले के अपर पुलिस अधीक्षक धनंजय कुशवाहा ने कहा, ‘हमने सिपाही भर्ती परीक्षा में अनुचित साधनों का उपयोग करने की योजना बनाने के लिए 15 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। कोतवाली पुलिस थाने की निगरानी टीम ने गिरफ्तारी की है।’

एटा के जिलाधिकारी प्रेम रंजन सिंह ने कहा, ‘स्थानीय पुलिस के साथ जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी इस पुलिस भर्ती परीक्षा को सफलतापूर्वक संपन्न कराने के लिए सभी उपाय कर रहे हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि किसी तरह के अनुचित साधनों का उपयोग ना होने पाए।’

वहीं, आगरा में पुलिस उपायुक्त (नगर) सूर्य राय ने बताया कि पुलिस भर्ती परीक्षा कथित रूप से दस-दस लाख रुपये में पास कराने का झांसा देने वाले करतार सिंह और टिंकू को विशेष कार्य बल (एसटीएफ) और हरीपर्वत पुलिस ने गिरफ्तार किया है।

जहाँ सुरक्षा कम थी उन केंद्रों को बनाया निशाना

यूपी पुलिस भर्ती बोर्ड की ओर से आयोजित आरक्षी नागरिक पुलिस भर्ती 2023 परीक्षा को सकुलश सम्पन्न कराने के लिए जिले के प्रमुख केंद्रों पर एसओजी, स्वाट, सर्विलांस की टीम तैनात किए गए थे। बावजूद इसके प्रदेश के कई स्थानों से लगभग 150 सॉल्वर्स के पकड़े जाने की सूचना मिली।

लिखित परीक्षा के दौरान शातिर सॉल्वरों ने उन केंद्रों को अपना निशाना बनाया था, जहाँ सुरक्षा कम या न के बराबर थी। इन केंद्रों पर बायोमेट्रिक मशीनें भी नहीं लगाई गई थीं। हल्की जाँच करके अभ्यर्थियों को परीक्षा देने भेज दिया जा रहा था।

नाम न छापने की शर्त पर एक हेड कॉन्सटेबल ने बताया कि यूपी में पकड़े गए सॉल्वर्स की संख्या हजार के पार है, लेकिन नाम खराब होने के भय से पुलिस ने कई मामलों को छिपा लिया। नहीं तो उनकी शुचिता और जिम्मेदारियों पर और सवाल उठने लगेंगे।

सॉल्वर्स ज़्यादातर ग्रामीण इलाकों में बनाए गए केंद्रों से से पकड़े गए हैं। पुलिस के कइयों के पास से बाइक, हजारों रुपये, पॉलीमर फिंगर प्रिंट व फर्जी एडमिट और आधार कार्ड बरामद किए हैं।

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