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मिर्जापुर : ऑनलाइन मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए दर-दर भटक रहे हैं ग्रामीण

मिर्जापुर।  जिले के राजगढ़ ब्लाॅक के लगभग आधा दर्जन गांवों के लोगों के लिए ऑनलाइन मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने में रेगिस्तान से पानी निकालने जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के चलते इन गांवों का ब्लाॅक स्तर पर अभी आईडी और पासवर्ड ही नहीं बन पाया है, […]

मिर्जापुर।  जिले के राजगढ़ ब्लाॅक के लगभग आधा दर्जन गांवों के लोगों के लिए ऑनलाइन मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने में रेगिस्तान से पानी निकालने जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के चलते इन गांवों का ब्लाॅक स्तर पर अभी आईडी और पासवर्ड ही नहीं बन पाया है, जिसके चलते इस प्रकार की समस्या लोगों के सामने आ रही है। ब्लाॅक पर बड़ी संख्या में ग्रामीण अपनों का मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए विभाग के अधिकारियों और बाबुओं से अपनी गुहार लगा रहे हैं लेकिन उनकी समस्याओं का निराकरण अभी तक नही होता दिख रहा है।
देखा जाय तो राजगढ़ ब्लाॅक के कलवारी माफी, धुरकर, गोरथरा, कुठीलवां, शेखवां, विशुनपुर, बलुआ बजाहुर, बनइमिलियां, दारानगर, खुटारी, पथरखुरा आदि गांवों का आईडी और पासवर्ड ही नहीं बना है। ऐसे में ग्रामीण कभी प्रधान के द्वार पर तो कभी अधिकारियों के यहां चक्कर लगा रहे है लेकिन उनकी समस्याओं का समाधान कहीं हो नहीं पा रहा है।

ग्रामीणों की माने तो बगैर मृत्यु प्रमाण पत्र के उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। खुटारी गांव के निवासी रामकुमार कहते हैं कि पिता की मृत्यु हो गई है। अब उनका बैंक का खाता बंद हो गया है। पिता जी के खाते में जो पैसा है उसे निकालकर हम कुछ काम करना चाहते हैं लेकिन मृत्यु प्रमाण पत्र के अभाव में हम उस पैसे को नहीं निकाल पा रहे हैं। मेरी तरह बहुत सारे लोग मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए कई महीने से इधर-उधर भटक रहे हैं और सबको निराशा हाथ लग रही है।

इस बारे में जब राजगढ़ के बीडीओ से बात की गई तो उन्होंने बताया कि आधा दर्जन गांव ऐसे हैं जिनका आईडी और पासवर्ड अभी नहीं बन पाया है। शासन को इस बाबत सूचना दे दी गई है और आगे की कार्रवाई के लिए लिखा-पढ़ी की जा रही है। जल्द ही इस समस्या को दूर कर लिया जाएगा। बीडीओ साहब इतनी जल्दी में थे कि बार-बार नाम पूछने पर भी उन्होंने अपना नाम नहीं बताया।

बहरहाल, जो भी हो मृत्यु प्रमाण पत्र के अभाव में एक तरफ जहां ग्रामीण दर-दर भटकने को मजबूर हैं तो वहीं दूसरी ऐसा लगता है जैसे विभाग के अधिकारी को इसकी परवाह ही नहीं है वरना इस मामले का समाधान तो निकल ही गया होता।

गाँव के लोग
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