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लोकसभा चुनाव के लिए हम राजग से हाथ मिलाने को तैयार : अयूब

लखनऊ (भाषा)। पीस पार्टी के प्रमुख मोहम्मद अयूब ने कहा है कि उनकी पार्टी का कोई दुश्मन नहीं है और यह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन, विपक्षी दलों का ‘इंडिया’ गठबंधन और बहुजन समाज पार्टी से हाथ मिलाने को तैयार है। पूर्व विधायक द्वारा पिछले साल दिये उस बयान के यह ठीक उलट है, जिसमें उन्होंने कहा […]

लखनऊ (भाषा)। पीस पार्टी के प्रमुख मोहम्मद अयूब ने कहा है कि उनकी पार्टी का कोई दुश्मन नहीं है और यह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन, विपक्षी दलों का ‘इंडिया’ गठबंधन और बहुजन समाज पार्टी से हाथ मिलाने को तैयार है। पूर्व विधायक द्वारा पिछले साल दिये उस बयान के यह ठीक उलट है, जिसमें उन्होंने कहा था कि राजग का नेतृत्व कर रही भाजपा मुसलमानों की ‘दुश्मन’ है और वह उसका कभी समर्थन नहीं करेगी क्योंकि ‘हम दुश्मन के साथ नहीं जा सकते।’

यह पूछे जाने पर कि क्‍या अब भाजपा उनके लिए अछूत पार्टी नहीं रही, पीस पार्टी के प्रमुख ने कहा, ‘भाजपा नहीं, अब राजग हमारे लिए अछूत नहीं रहा। भाजपा और राजग में अंतर है। राजग एक गठबंधन है, जिसमें कई दल शामिल हैं।’ अयूब ने गठबंधन के लिए केवल यह शर्त रखी है कि जो भी दल या गठबंधन उनकी पार्टी को कम से एक एक सीट देगा, वह उसके साथ जाएगी।

डॉक्टर अयूब ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘पीस पार्टी गठबंधन कर 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ेगी। पार्टी ने तय किया है कि राजग, इंडिया और बसपा तीनों में से जो भी हमें हिस्सेदारी देगी, उसके साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा जाएगा।’ हालांकि, अभी उनकी किसी से इस सिलसिले में बातचीत नहीं हुई है।

यह पूछे जाने पर कि गठबंधन के लिए उनकी क्या शर्त होगी, ‘‘उन्‍होंने कहा कि कोई शर्त नहीं है लेकिन, किसी पार्टी या गठबंधन का गुलाम बनने की बजाय हिस्सेदार बनना पसंद करेंगे। उन्होंने कहा, ‘हमारे लिए सब बराबर हैं। हमारा दोस्त वही है जो हमें हिस्सेदार बनाए। हमारे लिए कोई अछूत नहीं, कोई दुश्मन नहीं है। हमारे लिए राजग, ‘इंडिया’, बसपा सब एक समान हैं।’ यह पूछे जाने पर कि वह गठबंधन के तहत चुनाव लड़ने के लिए कितनी सीट चाहते हैं, उन्‍होंने कहा,’जो कुछ हमारी हिस्सेदारी बनती हो। दो-तीन सीट मिल जाए। हमारी हिस्सेदारी हो और कम से कम एक सीट तो मिलना ही चाहिए। बिना सीट के हिस्सेदारी कैसी।’

राजनीतिक विश्लेषकों का दावा है कि पीस पार्टी ने अंदरखाने राजग का हिस्सा बनने के लिए बातचीत शुरू कर दी है और आने वाले समय में उसके नतीजे देखने को मिल सकते हैं। अयूब ने पूर्व में कहा था कि वह भाजपा के साथ गठजोड़ नहीं नहीं करेंगे। इस बारे में याद दिलाये जाने पर उन्‍होंने कहा कि यह पुरानी बात हो गई है, और ‘अब पार्टी की रणनीति बिल्कुल साफ है कि हमें अपना वोट बैंक बनाने की बजाय हिस्सेदारी देने वाले के साथ जाना चाहिए।’ उन्‍होंने कहा, ‘हम चाहते हैं कि हम वोट बैंक न बनें। सत्ता में हमारी हिस्सेदारी हो और हमारी भी बात सुनी जाए।”

पसमांदा मुस्लिम समाज से एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले से आने वाले सर्जन डॉक्टर अयूब ने वर्ष 2008 में पीस पार्टी का गठन किया था और 2009 में 20 सीट पर लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार उतारे थे। पार्टी एक भी सीट जीत नहीं सकी थी, लेकिन करीब एक प्रतिशत वोट पाकर उन्‍होंने राजनीति में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। प्रदेश में 2012 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने अपना दल के साथ गठबंधन कर राज्‍य की 403 सीट में चार सीटों पर जीत दर्ज की थी और तब अपना दल ने सिर्फ एक सीट जीता था। डॉ. अयूब खुद संत कबीर नगर जिले की खलीलाबाद विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते थे।

बाद में, उनकी पार्टी टूट गई और तीन विधायकों ने डॉ. अयूब को विधानमंडल दल के नेता पद से हटाकर रायबरेली के अखिलेश सिंह को नेता बना दिया था। वर्ष 2017 में पीस पार्टी एक भी सीट जीत नहीं सकी। 2022 के विधानसभा चुनाव में 28 सीट पर पार्टी को 0.59 प्रतिशत वोट मिले थे। उत्तर प्रदेश की आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी 18 से 20 प्रतिशत है। इसमें, पसमांदा मुसलमान 80 प्रतिशत से अधिक हैं।

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