वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय दौरे पर अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी आए हुये हैं। यहाँ वह अपने पहले दिन के दौरे में जहां अपनी तमाम योजना के लाभार्थियों से मिले वहीं विकसित भारत संकल्प यात्रा में भी शामिल हुये। वाराणसी में पीएम मोदी का यह 43वाँ दौरा है। हर दौरे की तरह यह दौरा भी शहर में एक बड़े आयोजन के रूप में समायोजित किया गया था। इस दौरे में भी जहाँ वह अपनी पुरानी योजनाओं पर लोगों की राय सुनकर प्रसन्न नजर आ रहे थे वहीं वह एक बार फिर बहुत सी नई परियोजनाओं का पिटारा खोलते नजर आए। पीएम ने कहा कि ‘आज से हम 140 करोड़ देशवासी, इस मिजाज से भर जाएँ कि अब हमें देश को आगे ले जाना है, हर किसी की जिंदगी बदलनी है, हर किसी के शक्ति का सम्मान करना होगा। अगर हमने आज यह बीज बो लिया तो 2047 में भारत, विकसित भारत बन जाएगा।’
प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान सरकार की विभिन्न योजनाओं के स्टॉल्स का अवलोकन किया। कुछ लाभार्थियों ने अपनी सफलता की कहानी बताई और पीएम के सवालों का जवाब भी दिया। मोदी ने पीएम आवास, पीएम स्वनिधि, पीएम उज्ज्वला, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना आदि सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों के पास पहुँचकर उनसे सीधा संवाद किया और योजनाओं की जमीनी हकीकत के बारे में फीडबैक लिया। कन्या सुमंगला योजना की लाभार्थी बच्चियों समेत आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों एवं मौजूद डॉक्टर से भी बातचीत की।
इसके बाद पीएम मोदी ने देर शाम नमो घाट के गंगा तट पर आयोजित विकसित भारत संकल्प यात्रा कार्यक्रम में हिस्सा लिया। यहाँ भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों को काफी इंतज़ार करना पड़ा। लगभग सात बजे मंच पर पहुँचकर उन्होंने लोगों का अभिवादन स्वीकार किया।
पीएम ने कहा कि आज से हम 140 करोड़ देशवासी, इस मिजाज से भर जाएँ कि अब हमें देश को आगे ले जाना है, हर किसी की जिंदगी बदलनी है। अगर हमने आज यह बीज बो लिया तो 2047 में ‘भारत, विकसित भारत’ बन जाएगा।
उन्होंने आगे कहा कि सरकार जो योजनाएँ बनाती है, जिसके लिए बनाती है, वो योजना बिना किसी परेशानी के सम्बंधित लोगों के पास पहुँचे। लोगों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने की जरूरत नहीं है। सरकार को सामने से जाकर काम करना चाहिए। अभी भी खबर मिलती है कि कई लोगों को योजना का लाभ नहीं मिला है, इसलिए हमने तय किया कि हम पता लगाएँगे और सबका हिसाब-किताब कर उन्हें लाभ पहुँचाएँगे। ये यात्रा मेरी भी कसौटी है, मेरी भी परीक्षा है।
प्रधानमंत्री की इस यात्रा और 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के सपने को शहर का अलग-अलग वर्ग अपने तरीके से विश्लेषित करता नजर आ रहा है।
सामाजिक कार्यकर्ता अनूप श्रमिक ने प्रधानमंत्री की योजनाओं को लेकर कहा कि ‘प्रधानमंत्री जी आज 19000 करोड़ की योजना लेकर शहर में आए हैं पर शहर की जनता पिछले चार-पाँच महीने से स्वास्थ्य समस्याओं डेंगू, चिकनगुनिया, टाइफाइड आदि से भयंकर रूप से जूझ रही है पर उसके लिए 10 करोड़ की व्यवस्था आप नहीं दे पा रहे हैं। उसके लिए एंबूलेंस, मोबाइल चिकित्सा व्यवस्था की जा सकती थी पर नहीं की गई। आम जनता की जरूरत पर कहीं उनका ध्यान नहीं है। यह सब सिर्फ उनके कारपोरेट के साथियों के लिए है। इससे शहर का कोई भला नहीं होने जा रहा है। उनके पास शहर के लोगों के लिए रोजगार की कहीं कोई योजना नहीं है वह सिर्फ सड़क चौड़ीकरण करके शहर का विकास दिखा रहे हैं और अपने उद्योगपति मित्रों को लाभ पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। स्थानीय जनता को इस 19000 करोड़ का कोई फायदा नहीं मिलने जा रहा है। इस पूंजी का निवेश यदि वह विकास के नाम पर विस्थापित किए जा रहे लोगों को आवास देने के लिए करते तब तो इसका लाभ शहर के लोगों को मिलता। यदि इस पूंजी से वह जिले के ब्लाकों में कोई कारख़ाना बनवाने के लिए करते तब इस निवेश का फायदा मिलता पर वह सिर्फ अपने पूंजीपति मित्रों को ही इस निवेश का तोहफा दे रहे हैं।
काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत राजेन्द्र तिवारी ने प्रधानमंत्री की यात्रा को लेकर कहा कि ‘वह जब यहाँ आते हैं तो काशी के लोगों की तकलीफ की बात नहीं करते हैं बल्कि यहाँ आकर चुनाव लड़ने लगते हैं। प्रधानमंत्री जी जानते हैं कि काशी देश भर में एक धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में जाना जाता है इसलिए वह यहाँ से देश को मैसेज देना चाहते हैं। जबकि काशी-विश्वनाथ में अव्यवस्थाओं की वजह से कितनी घटनाएँ घट रही हैं पर उस पर उनका कोई ध्यान नहीं है। पुलिस द्वारा यात्रियों को लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्होंने मंदिर को पूरी तरह से व्यावसायिक बना दिया है। अब मंदिर भक्ति की जगह नहीं बल्कि पर्यटन की जगह बन चुका है।‘ पूर्व महंत नई योजनाओं को लेकर सवाल उठाते हुये कहते हैं कि ‘नई योजना से पहले यह देखा जाना चाहिए कि पिछले चुनाव के दौरान घोषित की गई योजनाएं पूरी हो गई? क्या जिन गांवों को विकास के लिए गोद लिया गया था उनका समुचित विकास हो गया? क्या वहाँ बेरोजगारों को रोजगार मिल गया? क्या वहाँ पर किसानों की समस्याएँ समाप्त हो गईं?’
वह कहते हैं कि ‘वाराणसी में व्यापार और शिक्षा की व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है।‘ वाराणसी मॉडल को लेकर भी वह अपना नजरिया रखते हुये कहते हैं कि ‘सिर्फ एयरपोर्ट रोड को छोडकर कहीं कोई विकास नहीं दिखता है। होना यह चाहिए था कि इस शहर को उसकी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान के अनुरूप विकास मिलता, शिव के भक्तों को सुविधाएं मिलतीं पर अब इस शहर की धार्मिकता को पूरी तरह से व्यावसायिक बनाया जा रहा है। कारीडोर के नाम पर हजारों परिवारों का व्यवसाय खत्म कर दिया गया, उन्हें उजाड़ दिया गया। गंगा के नाम पर ऐसे पर्यटन को बढ़ावा दिया गया जो वाराणसी के लिए शर्मनाक अध्याय बन गया। वह कहते हैं कि यह प्रधानमंत्री का न तो धार्मिक मिशन है न विकास का मिशन है बल्कि यह आगामी चुनाव का मिशन है जो वह काशी का आध्यात्मिक मुखौटा लगाकर लड़ना चाहते हैं। उन्होंने गंगा को दो फांक में बांटकर काशी को अय्याशी का अड्डा बना दिया था।‘ वह कहते हैं कि ‘आज काशी के अस्तित्व पर हमला किया जा रहा है। काशी का विकास करने के लिए काशी की आत्मा को पहचानना होगा, शिव को जानना होगा। लाइट एंड साउंड से काशी का विकास नहीं होगा।‘
पूर्व महंत प्रधानमंत्री को लेकर कहते हैं कि ‘वह चमक-धमक दिखाकर लोगों को आकर्षित करते हैं और उन्हें वोट के रूप में तब्दील करना चाहते हैं। वह मीडिया पर भी सवाल उठाते हैं और कहते हैं कि आज मीडिया भी उन्हें अवतार की तरह स्थापित करने में लगा हुआ है जबकि उसे सवाल उठाना चाहिए पर वह महिमामंडन करते हुये अपने लिए टीआरपी जुटाने में लगा हुआ है। प्रधानमंत्री को सबसे पहले यह जानना चाहिए कि शिव कभी भी वैभव के प्रतीक रहे ही नहीं वह तो बैरागी थे पर प्रधानमंत्री उन्हें वैभवमय बनाना चाहते हैं।‘
वह कहते हैं कि एक बार यही प्रयास रावण ने भी किया था, पर यह कलियुग है यहाँ माया का ही राज बना हुआ है पर यहीं से कभी कबीर ने कहा था कि ‘माया महाठगिनि हम जानी’। वह थोड़ा सा रुकते हैं फिर कहते हैं अभी भले ही काशी के लोगों ने आँख पर पट्टी बांध ली है पर ज्यादा दिन वह भ्रम के अंधेरे में नहीं रहेंगे और विकास के नाम पर 19000 का करोड़ का जो चुनावी झुनझुना उन्हें पकड़ाया जा रहा है उसकी हकीकत अब लोग समझना शुरू भी कर चुके हैं।
शहर के सामाजिक कार्यकर्ता मनीष शर्मा ने इन योजनाओं को लेकर कहा कि, ‘यह योजना ही नहीं बल्कि उनका पूरा विकास का मॉडल ही छल का पुलिंदा है, इतिहास में अब तक कभी भी देश में इतनी बेरोजगारी नहीं रही। आज प्रधानमंत्री जी 2047 तक भारत को एक विकसित इकॉनमी वाला देश बनाने की बात कर रहे हैं पर संसद में यह स्वीकार किया जा चुका है कि यह देश में सबसे अधिक बेरोजगारी वाला समय है। इसी तरह से मंहगाई की वृद्धि भी एतिहासिक बन चुकी है। देश में कभी भी इतनी मंहगाई नहीं रही है। इसी तरह से सबसे बड़े लोकतन्त्र की बात भी पहली बार देश में इतनी बेमानी साबित हो रही है। विरोध की आवाज को लगातार दबाया जा रहा है। दमन किया जा रहा है। मनीष शर्मा कहते हैं कि यूएपीए जैसे काले कानून का दुरुपयोग भी इतिहास में कभी इतना नहीं किया गया जितना 2014 के बाद हुआ है। मनीष एक महत्वपूर्ण विषय भी रेखांकित करते हैं कि विकास के नाम पर सिर्फ जमीन की लूट का खेल चल रहा है। सफाई कर्मियों, नट, मुसहर और अन्य दलित समाज के लोगों को लगातार विस्थापित किया जा रहा है। उनका विकास मॉडल सिर्फ अपने पूंजीपति मित्रों को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा है।’
पहले दिन के कार्यक्रम में नमो घाट पर पीएम ने काशी के अर्धचंद्राकार घाटों की शृंखला में ‘नमो घाट फेज-2’ का लोकार्पण किया। इसके साथ ही ‘काशी तमिल संगमम’ का भी उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने कार्यक्रम में आने वाले दक्षिण भारतीय मेहमानों से मुलाकात कर उनसे विभिन्न मसलों पर संवाद किया। वहाँ के युवाओं से शिक्षा के विषय में बात की।
कार्यक्रम के दूसरे और अंतिम दिन उन्होंने 19,150 करोड़ की 37 परियोजनाओं की घोषणा की तथा उमराहा में नवनिर्मित स्वर्वेद महामंदिर का लोकार्पण किया। इस दौरान उन्होंने मेड इन इंडिया प्रोडक्ट इस्तेमाल करने की अपील और लोकल फॉर वोकल तथा डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देंने की बात कही। प्रधानमंत्री ने वाराणसी से चार नई ट्रेनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।