इज़राइल और हमास युद्ध के बीच इज़राइल ने भारत से एक लाख मजदूरों की मांग की है। इन एक लाख मजदूरों में उत्तर प्रदेश के 10 हज़ार मजदूर शामिल हैं। मजदूरों को इज़राइल भेजने की तैयारी तेजी से हो रही है। इस बीच यह खबर भी सामने गई है कि, उत्तर प्रदेश के 10 हज़ार श्रमिकों की परीक्षा होगी। यह परीक्षा और कोई नहीं, बल्कि इज़राइल के परीक्षक ही लेगें। परीक्षा की तारीख 23 से 30 जनवरी तय की गयी है। परीक्षा का आयोजन लखनऊ के अलीगंज में किया जाना है।
शिक्षण एवं सेवायोजन निदेशक कुनाल सिंलकु सिंह ने बताया कि, श्रमिक अभ्यर्थियों को शटरिंग, कारपेंटर, आइरन वेडिंग व सेमरिक, टाइलिंग, प्लास्टरिंग का व्यवसायिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। साथ में उन्होने यह भी कहा कि, इच्छुक अभ्यर्थी विभाग कि, वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
वहीं, मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस परीक्षा मे शामिल होने के लिए प्रदेश के खीरी व आगरा जिले से 96 मजदूर, गाजियाबाद, हापुड़ और बुलंदशहर से 658, मिर्जापुर तथा बांदा से 616 मजदूरों आवेदन किए जा चुके हैं। परीक्षा में शामिल होने और आवेदन करने के लिए कुछ योग्यताएं भी निर्धारित की गयी। जिनमें 3 साल का श्रम विभाग में पंजीकरण आवश्यक है। उम्र 21 से 45 वर्ष के बीच हो। श्रमिकों को आने-जाने का खर्चा खुद का रहेगा। इसके अलावा, श्रमिक 10वीं पास हो। बेसिक अंग्रेजी बोलना आती हो। डॉक्यूमेंट आधार कार्ड, पासपोर्ट और बैंक अकाउंट होना चाहिए।
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इजराइल जाने वाले मजदूरों का कम से कम एक वर्ष और अधिकतम 5 वर्ष के लिए कॉन्ट्रैक्ट किया जाएगा। ऐसे मजदूरों की पहचान की गई है, जो चिनाई, टाइलिंग और पत्थर बिछाने में पारंगत है। इज़राइल में कार्य हेतु मजदूरों को 1 लाख 34 हजार रुपये मासिक सैलरी मिलेगी। आवास की सुविधा मुफ्त रहेगी। साथ-साथ मजदूरों को 15 हज़ार का बोनस प्रति माह मिलेगा।
मजदूरों को जल्द इज़राइल भेजने की तैयारी ज़ोरों से हो रही है। लेकिन, अभी मजदूरों के जीवन और स्थिति को लेकर भी कई सवाल ऐसे हैं, जिनका जबाव देना बाकी हैं। जैसे युद्ध के बीच मजदूरों के सुरक्षा और स्वास्थ्य का कैसे ध्यान रखा जाएगा? क्योंकि मई में इज़राइल के विदेश मंत्री एली कोहेन की भारत यात्रा के दौरान एक समझौता हुआ था। जिसके मे मुताबिक इजराइल में 42,000 भारतीय मजदूर भेजे जाएंगे। इन मजदूरों में से 34,000 मजदूर कंस्ट्रक्शन फील्ड में काम करेंगे। लेकिन मजदूरों के लिए यह काम नया होगा। ऐसे में काम असुरक्षित और खतरनाक हो सकता है। ऐसे में मजदूरों को इज़राइल भेजने का कई मजदूर व सामाजिक संगठन विरोध भी कर रहे हैं।
वहीं, जब ‘गाँव के लोग’ देश में रोजगार को लेकर अभियान चलाने वाले कार्यकर्ता प्रवीण काशी से मजदूरों को इज़राइल भेजने के संबंध बातचीत की। तब प्रवीण कहते हैं कि, अभी इज़राइल और हमास का युद्ध चल रहा है। इस बीच मज़दूरों को इज़राइल भेजना गंभीर और खतरनाक है। अगर मजदूरों को काम के लिए इज़राइल भेजा भी जाता है, तब विश्व मानवाधिकार आयोग को मजदूरों के कार्य कि पड़ताल करना चाहिए। जांच-पड़ताल में यह देखा जाना चाहिए कि, मजदूरों के लिए दिया जाने वाला कार्य गुणवत्तापूर्ण है या नहीं। अगर कार्य ठीक नहीं है, तब विश्व मानवाधिकार आयोग को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए।