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दिल्ली में दो-दिवसीय युवा सोशलिस्ट सम्मेलन का आयोजन
समाजवादी आंदोलन के 90 साल पूरा होने के ऐतिहासिक मौके पर युवा सोशलिस्ट पहल के तत्वावधान में दिल्ली में 31 अक्तूबर (आचार्य नरेंद्रदेव जयंती दिवस) से 1 नवंबर 2025 को दिल्ली में दो दिन के युवा सोशलिस्ट सम्मेलन का आयोजन किया गया है। सम्मेलन राजेंद्र भवन (गांधी शांति प्रतिष्ठान के सामने), दीनदयाल उपाध्याय मार्ग नई दिल्ली) में सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक होगा।
आरएसएस ने भारत की आजादी में हिस्सा लेते हुए कौन सी कुर्बानियाँ दीं
आरएसएस के सौ वर्ष पूरे होने पर मोदी ने अपने भाषण में कहा कि देश की आजादी के लिए बड़ी-बड़ी कुर्बानियां दीं और चिमूर जैसे कई स्थानों पर ब्रिटिश शासन का विरोध भी किया। उनके अनुसार राष्ट्र निर्माण में संघ का जबरदस्त योगदान है। लेकिन संघ का राष्ट्रवाद ‘अलग‘ था यह तब स्पष्ट हुआ जब पंडित नेहरू ने 26 जनवरी, 1930 को तिरंगा फहराने का आव्हान किया। हेडगेवार ने भी झंडा फहराने का आव्हान किया, किंतु भगवा झंडा फहराने का। हेडगेवार नमक सत्याग्रह में शामिल हुए थे क्योंकि उन्हें लगा कि यह जेल में बंद स्वतंत्रता सेनानियों को अपने संगठन की ओर आकर्षित करने का एक अच्छा अवसर है। इसलिए उन्होंने सरसंघचालक के पद से इस्तीफा दिया, जेल गए और जेल से रिहा होने के बाद दुबारा वही पद ग्रहण किया। इस दौरान उन्होंने अन्य लोगों को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के प्रति हतोत्साहित किया। एक संगठन के रूप में आरएसएस ने किसी भी ब्रिटिश विरोधी आंदोलन में भाग नहीं लिया।
राजस्थान : माहवारी के लिए सुविधा की सरकारी योजनाओं से वंचित हैं लड़कियां
सरिता -
माहवारी से जुड़ी चुनौतियाँ केवल व्यक्तिगत समस्या नहीं हैं बल्कि यह सीधे शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक समानता से जुड़ा मुद्दा है। जब लड़कियाँ पैड की कमी के कारण पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर होती हैं, तो यह केवल उनका नुकसान नहीं बल्कि पूरे समाज का नुकसान है। सरकार और समाज यदि मिलकर सुनिश्चित करें कि हर गाँव में पैड और स्वच्छता सुविधाएँ समय पर उपलब्ध हों, तो लाखों लड़कियों का जीवन आसान हो सकता है
‘अडानी भगाओ छत्तीसगढ़ बचाओ’ के नारे के साथ संयुक्त किसान मोर्चा ने मनाया कॉर्पोरेट विरोधी दिवस
किसान मोर्चा के नेताओं नेअपने विरोध प्रदर्शन में कहा कि छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार को अपनी कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों के विरोध में आम जनता और किसान समुदाय का तीखा विरोध झेलना पड़ेगा। संयुक्त किसान मोर्चा ने भाजपा की मजदूर-किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ पूरे प्रदेश में किसानों और आदिवासियों को लामबंद करने की योजना बनाते हुए आज कॉर्पोरेट विरोधी दिवस मनाया गया।
राजस्थान : केंद्र सरकार की उज्ज्वला योजना से भी नहीं हुई धुआँ मुक्त रसोई
प्रमिला -
2016 में केंद्र सरकार की शुरू की गई उज्ज्वला योजना के बड़े-बड़े होर्डिंग में लाभार्थियों के आँकड़े करोड़ों में दिखते हैं लेकिन जमीनी वास्तविकता कुछ और ही है। एक बार लोगों को सिलेंडर जरूर मिले लेकिन दुबारा गैस भरवाने के लिए पैसे न होने की वजह से चूल्हे पर ही खाना पकाने का काम गाँव की महिलाएं कर रही हैं। परिणाम आज भी इन्हें धुएं झेलते हुए खाना बनाना पड़ रहा है, जो इन महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
बिहार : गांव को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए मजबूत पहल की जरूरत
ग्रामीण क्षेत्रों में भी कुपोषण की समस्या पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई है। हालांकि केंद्र और राज्य सरकार इस दिशा में काफी गंभीर प्रयास कर रही है। लेकिन अभी भी बहुत से ऐसे ग्रामीण क्षेत्र हैं जहां महिलाओं और बच्चों में कुपोषण की समस्या नज़र आती है।
प्रयागराज : समाजवादी छात्र सभा राष्ट्रीय कार्यकारिणी के मासिक बैठक में आंदोलन को धार देने की बनी रणनीति
समाजवादी छात्र सभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मासिक बैठक की समीक्षा की गई। बैठक में छात्र सभा के इकाई कार्यकारिणी के पदाधिकारियों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। बैठक में छात्र सभा को मजबूत करने तथा छात्रसंघ बहाली की मांग के आंदोलन को तेज करने की बात की गई।
राजस्थान : वन नेशन, वन राशन कार्ड योजना से अनाज की चिंता से मुक्त हो रहे हैं प्रवासी मज़दूर
केंद्र सरकार की 'वन नेशन, वन राशन कार्ड' योजना ने प्रवासी मज़दूरों की समस्या को दूर कर दिया है। अब मज़दूर अपने प्रवास स्थान पर भी अपने राशन कार्ड के माध्यम से सस्ता अनाज खरीद कर परिवार का भरण पोषण करने में सक्षम हो रहे हैं। यह योजना 'डिजिटल इंडिया' की दिशा में भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे राशन वितरण में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ी है। इस योजना ने रोजगार के लिए पलायन करने वाले लाखों प्रवासी मजदूरों की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा किया है।
छत्तीसगढ़ : विकास की दौड़ में पीछे छूटता जा रहा केराचक्का गांव
ग्रामीण क्षेत्रों के आदिवासियों का रोजगार की तलाश में परिवार सहित पलायन, उनके बच्चों को शिक्षा से दूर कर देता है। आर्थिक समस्या के कारण परिवार भी शिक्षा के महत्व को समझ नहीं पाता है। सरकार द्वारा कई सरकारी योजनाओं के संचालित किये जाने के बाद भी आदिवासियों की आर्थिक समस्याओं का निदान नहीं हो पा रहा है।
बुजुर्गों के स्वास्थ्य सुविधा का ख्याल रखना भी जरूरी है
बुजुर्ग समाज के मूल्यवान सदस्य हैं, जिन्होंने अपनी उम्र का बड़ा हिस्सा अपने समाज की बेहतरी के लिए लगाया और उन्हें बुढ़ापे में हमारी देखभार व आत्मीयता की जरूरत होती है। लेकिन समाज में लोग अपने बुजुर्गों की देखभाल करने से लगातार बच रहे हैं। उनकी स्थिति आज दयनीय हो गई, क्योंकि एक समय के बाद शरीर को तमाम तरह की बीमारियां घेर लेती हैं। इलाज के लिए बुजुर्गों के पास पैसे नहीं होते, ऐसे में सरकार द्वारा कुछ स्वास्थ्य योजनाएँ लाई गई हैं, जिससे वे अपना इलाज करा सकें।
भगत सिंह की इंकलाबी विचारधारा आज के समय में और ज्यादा प्रासंगिक – डा. सन्तोष कुमार गुप्ता
आज भगत सिंह की 117वीं जयंती मनाई गई। भगत सिंह को पढ़ने-समझने वाले उनके वैचारिकता और लेखन की गंभीरता को बेहतर समझते हैं। 23 वर्ष की छोटी सी उम्र में उन्होंने समाज के लिए बड़ा काम कर दिया।

