भगत सिंह जयंती पर उन्हें याद करते हुए
नौजवानों के नाम भगत सिंह का संदेश जन-जन तक पहॅुचाने का संकल्प लेकर इंडियन पीपुल्स सर्विसेज(आईपीएस) द्वारा 28 सितम्बर को भगत सिंह की जयन्ती इंकलाबी युवा दिवस के रूप में मनाई गई। बलिया में यह कार्यक्र्म चन्द्रशेखर उद्यान कलेक्ट्रेट में भगत सिंह के चित्र पर फूल माला चढ़ाकर श्रद्धासुमन अर्पित कर भगत सिंह की इंकलाबी विचारधारा से लोगों को परिचित करवाया गया।
भगत सिंह, जो पक्के नास्तिक थे, वे धर्म के दुरूपयोग की निंदा की थी। भारत के स्वाधीनता संग्राम पर लिखित पुस्तक इंडियाज स्ट्रगल फॉर इंडिपेंडेंस (विपिनचन्द्र पाल एवं अन्य, पेंगुइन) की आलोचना इस आधार पर की गई थी कि उसमें भगत सिंह और उनके साथियों को आतंकवादी बताया गया है। सच यह है कि इन क्रांतिकारियों के खुद के दस्तावेजों में अपने आपको ‘क्रांतिकारी आतंकवादी’ बताया है। यह बात अलग है कि आगे चलकर उन्होंने यह रास्ता त्याग दिया था।
उनका जीवन ऐसे सभी लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है जो न्याय, शांति और सद्भाव पर आधारित समाज का निर्माण चाहते हैं। किस तरह एक 23 साल के युवा ने देश की स्वाधीनता के लिए अपनी जान दे दी और किस तरह इतनी कम आयु में भी उन्होंने इस बारे में बहुत कुछ लिखा और कहा जा चुका है, जो लोग भगत सिंह के मिशन और उनकी विचारधारा के पूरी तरह खिलाफ हैं वे उनके आसपास कई तरह के विवाद गढ़ रहे हैं। फिर कई ऐसी शक्तियां हैं जो उनकी सोच को नकारते हुए भी अपनी स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए उनके नाम का उपयोग कर रही हैं।
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उनके 117वीं जयंती के अवसर पर सम्बोधित करते हुए मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डा. सन्तोष कुमार गुप्ता ने कहा कि इंकलाबी भगत सिंह की इंकलाबी विचारधारा आज के दौर में और भी ज्यादा प्रासंगिक है जिसे आत्मसात करने की आवश्यकता है।
एडवोकेट बलवंत यादव ने कहा कि देश में केन्द्रीय इंकलाबी भगत सिंह विश्वविद्यालय की स्थापना कर उनके लेखों, विचारों व उनके जेल डायरी को शैक्षणिक पाठ्य पुस्तकों में शामिल कर शोध कार्य प्रारम्भ किये जाने की आवश्यक है।
भूतपूर्व सैनिक हर्ष नारायन ठाकुर ने कहा कि भगत सिंह के इंकलाबी विचार को छात्र नौजवानों, मजदूर किसानों ने पहुंचाकर भारत को पूंजीवादी राष्ट्रवाद से मुक्ति दिलाकर समाजवादी राष्ट्रवार की तरफ ले जाने आवश्यकता है।
गोंगपा के कार्यवाहक जिलाध्यक्ष एडवोकेट अशोक कुमार गोंड ने कहा कि भगत सिंह ने कहा था कि इंकलाब की तलवार विचारों की शान पर तेज होती है इसका आशय यह है कि देश में अध्ययन आन्दोलन को तेज करने की आवश्यकता। अध्ययन के प्रति भगत सिंह की रूचि किस हद तक थी कि इसका पता उनकी जेल डायरी व पुस्तकालय से मंगायी गयी पुस्तकों की सूची से लगता है।
इंडियन पीपुल्स सर्विसेज(आईपीएस) के संस्थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष अरविन्द गोंडवाना ने अपने सम्बोधन में कहा कि वे समाजवादी, राष्ट्रवादी विचारधारा पर चलकर ही अखण्ड भारत का कल्याण संभव है और हमारा महान देश भारत दुनिया के महानतम देशों की अग्रिम पक्ति में खड़ा दिखाई देगा। आज देश के जो हालात है ऐसी स्थिति में उनके विचारधारा की प्रासंगिकता और भी ज्यादा बढ़ जाती है।
आईपीएस के जिलाध्यक्ष सुरेश शाह ने कहा कि यदि भगत सिंह देश को स्वतंत्रता मिलने तक जीवित रहते तो निश्चित ही देश के टुकड़े नहीं होते और हमारा महान देश भारत अखण्ड भारत ही रहता क्योंकि भगत सिंह को मानने वाले अखण्ड भारत के हर हिस्से के लोग है। आगे कहा कि इंडियन पीपुल्स सर्विसेज (आईपीएस) का मुख्य उद्देश्य भ्रष्टाचार मुक्त-रोजगार युक्त भारत का निर्माण करना और वह भगत सिंह के इंकलाबी विचारधारा से ही सम्भव है।
इस दौरान प्रमुख रूप से संजय गोंड, सुरेश शाह, हर्ष नारायन ठाकुर, बलवंत यादव, बच्चा लाल गोंड, सूचित गोंड, नैना देवी, सोनू, अरविन्द कुमार गोंड, रामकुमार, भरत गोंड, हरिशंकर गोंड, कन्हैया गोंड, गोपाल जी, धीरज गोंड उपस्थित थे।