Saturday, July 27, 2024
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विशेषज्ञों की खुली बहस के बाद तय हो नहर निर्माण  : अजय राय

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व विधायक ने की ललिताघाट और गंगापार की परियोजनाएं रोकने की मांग वाराणसी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक अजय राय ने आरोप लगाया है कि काशी में चल रहीं वर्तमान गंगा परियोजनाएं इस शहर समेत गंगा के अलौकिक प्राकृतिक रिश्तों के लिये विनाशकारी है। उन्होंने मांग की है […]

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व विधायक ने की ललिताघाट और गंगापार की परियोजनाएं रोकने की मांग

वाराणसी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक अजय राय ने आरोप लगाया है कि काशी में चल रहीं वर्तमान गंगा परियोजनाएं इस शहर समेत गंगा के अलौकिक प्राकृतिक रिश्तों के लिये विनाशकारी है। उन्होंने मांग की है कि ललिता घाट के सामने गंगा में भीतर सौ मीटर तक निर्मित चबूतरा ध्वस्त किया जाय। साथ ही गंगा के पूर्वी छोर पर निर्माणाधीन नहर को फिलहाल स्थगित कर उस बारे में खुली विशेषज्ञ बहस के बाद उचित फैसला लेना चाहिए।

आवास पर की प्रेसवार्ता

अजय राय शनिवार को लहुराबीर स्थित अपने आवास पर आयोजित प्रेसवार्ता में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यदि सही निर्णय नहीं लिया गया तो यह परियोजनाएं काशी में गंगाजल को प्रदूषित करने, घाटों से गंगा को दूर ले जाने और गंगा के अर्द्धचंद्राकार प्राकृतिक प्रवाह को खत्म करने का कारण बनेंगे। गंगा के प्रति श्रद्धालुओं की जनभावना से जुड़ी यह मांगे न माने जाने पर कांग्रेस जनआंदोलन के लिये बाध्य होगी। उन्होंने कहा कि तकनीकी विशेषज्ञों की स्पष्ट राय है कि इन प्रोजेक्ट्स पर लिए गये फैसले वैज्ञानिक आधार पर नहीं हैं। यहां गंगा से अपने नैसर्गिक रिश्ते संग छेड़छाड़ सहन नहीं करेंगे।

अपने घर में पत्रकार वार्ता करते हुए पूर्व विधायक अजय राय

मीरजापुर स्थित एसटीपी के कारण काशी में गंगा का पानी हरा होने की जांच रिपोर्ट पर उठाए सवाल

दूसरी ओर, उन्होंने आरोप लगाया कि काशी में गंगाजल के रंग में आया बदलाव और काई की समस्या पर भ्रमित किया जा रहा है। मीरजापुर के एसटीपी यदि काई उत्पादक है तो उसका असर सिर्फ वाराणसी में ही क्यों दिख रहा है। विशेषज्ञों की सलाह है कि गंगा के प्राकृतिक प्रवाह में कृत्रिम अवरोध तथा घाटों की ओर प्रबल रहे प्रवाह की धारा के विपरीत दिशा में निकलने वाली नहर गंगा मुख्य प्रवाह को पूर्वी किनारे की ओर खींच ले जाएगी। जिससे भविष्य में घाटों के सामने भविष्य में बालू के ढेर ही नजर आएंगे। साथ ही उसका रिजल्ट प्रयागराज एवं कानपुर जैसा हो जाएगा।

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