Friday, October 18, 2024
Friday, October 18, 2024




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमविचारकाम तो करने दो यारो!

इधर बीच

ग्राउंड रिपोर्ट

काम तो करने दो यारो!

मोदीजी, उनकी सरकार, उनका संघ परिवार, इतना ज्यादा काम क्यों करते हैं? बताइए, दिल्ली वाले केजरीवाल ने तो सीधे-सीधे मोदीजी के अठारह-बीस घंटे काम करने पर ही आब्जेक्शन उठा दिया।

मोदीजी गलत नहीं कहते हैं। विरोधियों की उनसे इसकी, उसकी सारी शिकायतें तो बहाना हैं, उनकी असली शिकायत तो एक ही है। मोदीजी, उनकी सरकार, उनका संघ परिवार, इतना ज्यादा काम क्यों करते हैं?  देवलोक में रात होने, देवी-देवताओं के सोने की बात, किसी ने सुनी है क्या?

पर बात सिर्फ केजरीवाल की थोड़े ही है। बताइए, एक-दो नहीं, चौदह-चौदह विपक्षी पार्टियां, फरियाद लेकर सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गयीं। कहते हैं कि मोदी सरकार की ईडी, सीबीआइ; सब की सब, विपक्षी पार्टियों के पीछे पड़ी हैं। मोदी सरकार को विपक्ष को परेशान करने से रोका जाए। और यह भी कि ईडी, सीबीआइ सब तो पहले भी थीं। पर पहले कभी इस तरह विपक्षी पार्टियों के पीछे नहीं पड़ती थीं। देश की जांच एजेंसियों का दुरुपयोग हो रहा है। अरे साफ क्यों नहीं कहते कि विपक्ष को इन एजेंसियों के ज्यादा काम करने से ही दिक्कत है। अब पहले वालों के राज में ये एजेंसियां जब काम ही कम करती थीं, तो विपक्ष के पीछे कैसे पड़तीं? अब काम कर रही हैं, तो उनके निशाने पर विपक्ष आएगा ही; ज्यादा काम करेंगी, तो उनके निशाने पर विपक्ष ज्यादा आएगा ही; इसमें मोदीजी का क्या कसूर!

यह भी पढ़ें…

भगत सिंह और उनकी शहादत आज भी प्रासंगिक

और विपक्ष वालों की इस शिकायत का क्या मतलब है कि जांच एजेंसियां, मोदीजी के इशारे पर काम कर रही हैं! राज मोदीजी का, जांच एजेंसियों के मुखिया वगैरह मोदीजी के, तो एजेंसियां मोदीजी के इशारे पर नहीं तो क्या, उन विपक्ष वालों के इशारे पर काम करेंगी? विपक्ष वाले तो वैसे अपने राज में भी इन एजेंसियों से खास तीर नहीं मरवा पाए, मोदीजी के राज में उनसे क्या करा लेते? वैसे भी, सीबीआइ, ईडी वगैरह सरकार का मुंह देख-देखकर जांच नहीं करें, यह तो मांग ही गलत है। विपक्ष वाले जांच एजेंसियों को, न्याय की देवी के साथ कन्फ्यूज क्यों कर रहे हैं? पट्टी न्याय की देवी की आंखों पर बंधी है, जांच एजेंसियों की नहीं। जांच एजेंसियों की तो दोनों आंखें खुली रहती हैं और जिसकी आंखें खुली हैं, वह कम से कम अपना तो आगा-पीछा देखकर ही काम करेगा।

सो राज करने वाले की आंखों का इशारा होगा, तो ही सीबीआइ, ईडी वगैरह की आंखें खुलेंगी, वर्ना उनकी भी आंखें बंद ही रहेंगी। अगर बंदा राज करने वाले की आंख देखकर पाला बदल जाएगा, तो जांच एजेंसियों की आंखें भी बीच रास्ते में खुली से बंद भी हो सकती हैं और बंद हों, तो खुल भी सकती हैं, हिमांत बिश्व सर्मा की तरह। सच तो यह है कि न्याय की देवी आंखें बंद करके भी राज करने वालों की पसंद का न्याय कर ही इसीलिए पाती हैं कि जांच एजेंसियों की आंखें खुली रहती हैं। जांच एजेंसियों की आंखों पर भी पट्टी बंधी होती तो, न्याय की देवी राहुल गांधी को नाप कर ठीक उतनी सजा कैसे दे देती, जितनी मोडानीजी को उन्हें संसद से बाहर कराने के लिए चाहिए थी। सब अपना-अपना काम ही तो कर रहे हैं। अब काम तो करने दो यारो!

गाँव के लोग
गाँव के लोग
पत्रकारिता में जनसरोकारों और सामाजिक न्याय के विज़न के साथ काम कर रही वेबसाइट। इसकी ग्राउंड रिपोर्टिंग और कहानियाँ देश की सच्ची तस्वीर दिखाती हैं। प्रतिदिन पढ़ें देश की हलचलों के बारे में । वेबसाइट को सब्सक्राइब और फॉरवर्ड करें।
1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here