बिजली विभाग की लापरवाही से मीरजापुर में बैद्यनाथ धाम से दर्शनार्थियों लेकर वापस लौट रही बस ड्रमंडगंज थाना क्षेत्र के रतेह चौराहा बबुरा कलां मार्ग पर हाईटेंशन तार की चपेट में आ गई, जिससे हाईटेंशन तार की चपेट में आने से पूरी बस झुलस गई। इस कारण बस ड्राइवर समेत अन्य 8 यात्री बुरी तरह घायल हो गए। इसी कड़ी में दूसरा हादसा उतराखंड के चमोली बाजार के पास अलकनंदा नदी के किनारे स्थित नमामि गंगे प्रोजेक्ट के एसटीपी में बिजली का करंट उतरनें से 16 लोगों की मौत हो गई थी।
इसी कड़ी में तीसरा हादसा वाराणसी के पिशाच मोचन क्षेत्र में रमाकांत नगर कॉलोनी में स्ट्रीट लाइट के हेरिटेज पोल में करंट उतरने के की वजह से दो भाइयों की जान चली गई। इन सभी हादसों का कारण बिजली विभाग की लापरवाही बनी है। ऐसे हादसों पर सरकार शोक जताकर और मुआवज़ा देकर मामलें को खत्म कर देती हैं लेकिन इन हादसों पर स्थाई समाधान निकालने का प्रयास नही करती है।
बिजली विभाग की यह लापरवाही लोगों की जान पर भारी पड़ जाती है। गांवों या शहरों में आए दिन, खासकर बारिश के दिनों में बिजली का करंट उतर जाने से लोगों के झुलसने और मौत की खबरें मिलना तो आम बात बनती जा रही हैं।
साल का ऐसा कोई महीना या सप्ताह नहीं बीतता, जब करंट की वजह से कोई हादसा न होता हो। सबसे अधिक हादसे खंभे की चपेट में आ जाने या बिजली के तारों के टूट कर गिरने से होते हैं। करंट लगने से लोगों की मौतें होती रहती हैं और लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों को किसी का डर ही नहीं होता है। शायद वे यह जानते हैं कि हमारे देश का कानून लचर है। सरकारों को ऐसे मामले में सख्त कदम उठाने चाहिए।
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आमजन को चाहिए कि बारिश के मौसम में बिजली के खंभों और ट्रांसफार्मरों के पास से गुजरते वक्त सावधानी बरतें। शहरी इलाके की संकरी गलियों के साथ ही सार्वजनिक स्थलों पर बिजली के तार का मकड़जाल फैला है। विद्युत लाइन जगह-जगह झूल रही हैं। इसके अलावा कुछ स्थानों पर क्षतिग्रस्त विद्युत पोल को दुरुस्त तक नहीं करवाया गया है। ऐसे में बारिश के मौसम में जरा सी लापरवाही के कारण बिजली के ये तार किसी की हंसती-खेलती जिंदगी को करंट का झटका दे सकते हैं। अक्सर इन लटकते तारों में आग लगने की घटनाएं भी होती हैं। जगह-जगह सड़क और गलियों में ही ट्रांसफार्मर रखे हुए हैं जो बड़ी दुर्घटनाओं को दावत दे रहे हैं।
इन लटकते तारों को सही करने को लेकर अब तक कोई ठोस इंतजाम नहीं किया गया है। जब तक सार्वजनिक स्थानों से बिजली के झूलते तारों के जाल नहीं हटेंगे, तब तक बिजली करंट से मौतें होती रहेंगी। आजकल बरसात का मौसम है। करंट फैलने की ज्यादा संभावना रहती है। बेहतर होगा कि बिजली विभाग सार्वजानिक स्थानों पर बिजली के तार भूमिगत कर दें। बड़े शहरों में भूमिगत केबल बिछने की वजह से करंट लगने की घटनाओं पर अंकुश लग गया। करंट से मरने वालों की संख्या देखते हुये भूमिगत केबल बिछाने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
हर रोज तीन से ज्यादा लोगों की करंट से मौत
ऊर्जा विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक साल में यूपी के अंदर 1428 व्यक्तियों की जान गई है। पिछले 10 सालों में मरने वालों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है। साल 2012-13 में जहां 570 लोगों की करंट से जान गई थी। अब यह संख्या 1400 से ज्यादा पहुंच गई है।
साल बड़ी दुर्घटना मौत
2015 -16 1352 723
2016 -17 1824 958
2018 -19 1073 1116
2022 -23 1316 1428
बिजली के करंट से होने वाली इन मौतों की आकड़ें चौंकाने वाले हैं। इसके पीछे बिजली विभाग की लापरवाही और उसकी दोषपूर्ण व्यवस्था ज़िम्मेदार है। बरसात में नमी की वजह से करेंट बहुत जल्द पोल समेत अन्य स्थानों पर उतरता है। इससे कभी-कभी उन जगहों में करेंट फैल जाता है जो सुरक्षित माने जाते हैं। उदाहरण के तौर पर विद्युत पोल का स्टड राड। इसमें करेंट नहीं आता लेकिन बरसात में यह भी कभी-कभी खतरनाक साबित हो जाता है। इसके अतिरिक्त बारिश की टपकती बूंदें भी कभी-कभी खतरनाक हो जाती हैं। ढीले तार, जंफर का ठीक से न जोड़ना, जर्जर पोल आदि दुर्घटना के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। सेफ्टी के लिहाज से बिजली विभाग ने अपनी आंखें मूंद रखी हैं।
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लाइन फाल्ट और ट्रिपिंग से लोग परेशान
यूपी के गांव व शहर में लोग बिजली की कटौती से परेशान हैं। लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर, वाराणसी, बाराबंकी, अयोध्या, नोएडा, गाजियाबाद और प्रयागराज समेत सूबे के सभी शहरों और गांवों में बिजली की जमकर कटौती हो रही है। गर्मी और उमस की वजह बिजली कटौती की वजह से हर आदमी परेशान है, साथ ही बिजली पर निर्भर छोटे-छोटे व्यवसाय भी घाटे में जा रहे हैं। कभी बिजली 24 घंटे देने के वादे के साथ बनी सरकार आज बिजली पर बात करने से भी कतराती दिखती है। जहां बिजली आती भी है वहाँ कई बार ट्रांसफार्मर में खराबी, वर्षों पुराना संयत्र तथा जर्जर झूलते तार टूटने के कारण बिजली फाल्ट की समस्या बनी रहती हैं। बिजली विभाग द्वारा तमाम दावों के बाद भी जिले की बिजली व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही है।
महंगी बिजली होने के बावजूद भी सुविधा की परवाह करने वाला कोई नहीं है। यूपी सरकार ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लगातार 24 घंटे बिजली देने का वादा किया था लेकिन सारे वादे खोखले साबित हो रहे हैं। थोड़ी बारिश हो जाए तो जिले भर की बिजली गुल हो जाती है। शहर से ज्यादा गांवों की स्थिति बदतर है। शहर में 2 से 3 घंटे तक तो ग्रामीण इलाके में 3 से 4 घंटे तक बिजली कटौती होती रहती है। कई इलाकों में बिजली कटौती या लो वोल्टेज की समस्या पर कुछ लोग कटिया मारी का जुगाड़ लगा लेते हैं। यह गैरक़ानूनी काम भी कभी-कभार दर्दनाक हादसे का कारण बन जाता है।
निशा मौर्या गाँव के लोग डॉट कॉम से सम्बद्ध हैं।
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