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शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और खेती से जुड़े मुद्दों को चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करने के लिए दिया गया ज्ञापन

एक देश समान शिक्षा अभियान एवं आशा ट्रस्ट की कोशिश एक देश समान शिक्षा अभियान और  आशा ट्रस्ट से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को वाराणसी में लगभग एक दर्जन राजनैतिक दलों के कार्यालय में पहुंच कर उनके प्रतिनिधियों के माध्यम से केन्द्रीय नेतृत्व को 22 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा. जिसके माध्यम से  शिक्षा,  स्वास्थ्य,  आजीविका, […]

एक देश समान शिक्षा अभियान एवं आशा ट्रस्ट की कोशिश

एक देश समान शिक्षा अभियान और  आशा ट्रस्ट से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को वाराणसी में लगभग एक दर्जन राजनैतिक दलों के कार्यालय में पहुंच कर उनके प्रतिनिधियों के माध्यम से केन्द्रीय नेतृत्व को 22 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा. जिसके माध्यम से  शिक्षा,  स्वास्थ्य,  आजीविका,  खेती-किसानी आदि मुद्दों पर जनभावना का सम्मान करते हुए अपनी नीति को घोषणापत्र में शामिल करने का अनुरोध किया गया.

अभियान के बारे में सामाजिक कार्यकर्ता वल्लभाचार्य पाण्डेय ने बताया कि आजादी का  75वां वर्ष चल रहा है, हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, पूर्वजों और हजारों शहीदों ने जिस आजाद भारत और स्वशासन की कल्पना की थी, उसमें सभी भारतवासियों के लिए न्याय,  समानता,  बंधुत्व और व्यक्ति की स्वतंत्रता पर आधारित वैज्ञानिक सोच वाले एक समृद्ध, सुखी और स्वावलंबी समाज की परिकल्पना थी.  लम्बे संघर्ष के फलस्वरूप मिली आजादी के बाद हासिल हुए लोकतंत्र में आमजन के वोट से लगातार सरकारें बनती रही और 5 साल तक चलती भी रही. चुने जाने के बाद आमजन की मूलभूत आवश्यकताओं और समस्याओं के प्रति हमारे जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही कितनी होती है इस पर कुछ कहने की जरूरत नहीं है. सभी के लिए उच्चस्तरीय शिक्षा, सुलभ स्वास्थ्य सेवा, सम्मानजनक रोजगार (आजीविका) के अवसर और खेती किसानी के परेशानियों के मौलिक सवाल प्रायः अनुत्तरित रह जाते है. ऐसे में आम व्यक्ति अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा एवं परिवारजनों को उच्चस्तरीय स्वास्थ्य सेवा दिला पाने के लिए जद्दोजहद कर रहा है, युवा वर्ग चाहे वह गांव का हो या शहर का आज रोजगार और आजीविका के अवसर खोजने के लिए भटकने को मजबूर है. सार्वजनिक क्षेत्र में आउटसोर्सिंग,  संविदा प्रणाली और सेवा प्रदाता कम्पनियों द्वारा ठेकेदारी पर काम लेने के बढ़ते चलन से पढ़े-लिखे युवकों का शोषण दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है. खेती किसानी और स्वरोजगार में भी जोखिम दिनों दिन बढ़ रहा है. ऐसे में राजनैतिक दलों को जवाबदेही लेनी पड़ेगी.

एक देश समान शिक्षा अभियान के संयोजक दीनदयाल सिंह ने कहा के गत दिनों “जन अधिकार चेतना यात्रा”  का आयोजन कर पूर्वांचल के 10 जिलों में लगभग 850 किलोमीटर मार्ग पर गांवों, चौराहों आदि पर लोगों से संवाद किया गया था. इस क्रम  में जनता से हित से जुड़े शिक्षा, स्वास्थ्य,  रोजगार और खेती किसानी के कुछ मुद्दों पर विशेष रूप से चर्चा हुई, इस ज्ञापन के माध्यम से हम कुछ बिंदुओं पर अपने सुझाव विभिन्न राजनैतिक दलों को इस अपेक्षा से प्रेषित किया जा रहा है कि वे इसे अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करें.

इस क्रम में भारतीय जनता पार्टी,  भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, समाजवादी पार्टी,  अपना दल (एस),  बहादुर आदमी पार्टी,  स्वराज इंडिया,  समाजवादी जन परिषद,  भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी , सीपीआई एमएल, लोक एकता मंच,  सोशलिस्ट पार्टी इंडिया आदि को ज्ञापन दिया गया.

अभियान में राजकुमार पटेल,  महेंद्र कुमार राठौर,  वल्लभाचार्य पाण्डेय,  दीनदयाल सिंह,  रमेश प्रसाद आदि की प्रमुख भूमिका रही

वल्लभाचार्य पाण्डेय

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