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झारखंड: सुरंग में फंसे श्रमिक के परिवार की ‘दुर्दशा’ दिखाने वाले पत्रकार, ब्लॉगर के खिलाफ मामला दर्ज

खूंटी (भाषा)। एक पत्रकार का काम होता है सच्चाई को सामने लाने और लोगों को उस सच्चाई से वाकिफ कराना। इसीलिए उसे देश का तीसरा स्तम्भ माना जाता गया है। लेकिन आज देखा जाय तो सच्चाई को लोगों तक पहुंचाने वाले खुद पत्रकार ही सुरक्षित नहीं हैं। उनके ऊपर आज लगातार मामले दर्ज किए जा […]

खूंटी (भाषा)। एक पत्रकार का काम होता है सच्चाई को सामने लाने और लोगों को उस सच्चाई से वाकिफ कराना। इसीलिए उसे देश का तीसरा स्तम्भ माना जाता गया है। लेकिन आज देखा जाय तो सच्चाई को लोगों तक पहुंचाने वाले खुद पत्रकार ही सुरक्षित नहीं हैं। उनके ऊपर आज लगातार मामले दर्ज किए जा रहे हैं। एक ऐसा ही मामला झारखंड  का  सामने आया है ।

झारखंड के खूंटी जिले में एक स्थानीय पत्रकार और एक व्लॉगर के खिलाफ कथित तौर पर सरकारी काम में ‘बाधा’ डालने का मामला दर्ज किया गया है। इन लोगों ने उत्तराखंड में सिलक्यारा सुरंग में फंसे एक श्रमिक के परिवार की ‘दुर्दशा’ को रिकॉर्ड किया था। सुरंग में फंसे सभी 41 श्रमिकों को बीते मंगलवार सुरक्षित निकाल लिया गया था।

तोरपा के उपमंडलीय पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) ओमप्रकाश तिवारी ने ‘भाषा’ को बताया कि खंड विकास अधिकारी स्मिता नागेसिया और क्षेत्राधिकारी वंदना भारती की शिकायत के आधार पर पत्रकार सोनू अंसारी तथा यूट्यूबर गुंजन कुमार के खिलाफ कर्रा पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है। एसडीपीओ ने कहा, ‘उन्होंने कथित तौर पर सरकारी काम में व्यवधान पैदा किया और अधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार किया।’

पुलिस के पास 30 नवंबर को दर्ज कराई गई शिकायत में आरोप लगाया गया कि जब दोनों अधिकारी श्रमिक के घर गए तो दोनों लोग वहां पहले से ही मौजूद थे। शिकायत के अनुसार,’उन्होंने सच जाने बिना ही रिकॉर्डिंग शुरू कर दी। जब उन्हें सच्चाई जानने के लिए कहा गया तो दोनों ने हमारे काम में बाधा डाली और दुर्व्यवहार किया।’ तिवारी ने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशानुसार आगे की कार्रवाई की जायेगी।उन्होंने कहा, ‘दण्ड प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों के तहत दोनों को नोटिस जारी किया जाएगा और उनके बयान दर्ज किए जाएंगे। इसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी। अंसारी और कुमार ने दावा किया कि उन्होंने अपनी रिपोर्ट के माध्यम से श्रमिक विजय होरो के परिवार की स्थिति को उजागर किया। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि प्रशासन ने 12 नवंबर को सुरंग ढहने के दो सप्ताह बाद प्रशासन ने गरीब परिवार को राशन उपलब्ध कराया।ग

देश में पत्रकारों के ऊपर दर्ज होने वाले मुकदमों की यह कोई पहली घटना नहीं है। इसके पूर्व भी देश में बड़ी संख्या में पत्रकारों के ऊपर मुकदमे दर्ज हुए हैं। 31 अगस्त 2019 को उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर में पवन जायसवाल के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कराई गई। पवन जायसवाल ने सरकारी स्कूल में व्याप्त अनियमितता और मिड डे मील में बच्चों को नमक रोटी खिलाए जाने से संबंधित ख़बर छापी थी।

इसी प्रकार से आज़मगढ़ के एक स्कूल में छात्रों से झाड़ू लगाने की घटना को रिपोर्ट करने वाले छह पत्रकारों के ख़िलाफ़ 10 सितंबर, 2019 को एफ़आईआर हुई। पत्रकार संतोष जायसवाल के ख़िलाफ़ सरकारी काम में बाधा डालने और रंगदारी मांगने संबंधी आरोप दर्ज किए गए।

यूपी  में एक ऐसा ही मामला 16 सितंबर, 2020 को सीतापुर में रवींद्र सक्सेना ने क्वारंटीन सेंटर पर बदइंतज़ामी की ख़बर लिखी थी जिसके कारण उन पर सरकारी काम में बाधा डालने, आपदा प्रबन्धन के साथ ही एससी/ एसटी ऐक्ट की धाराओं के तहत मुक़दमा दर्ज कर दिया गया।

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