Wednesday, February 5, 2025
Wednesday, February 5, 2025




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमपूर्वांचलछत्तीसगढ़ : पेड़ों के मरघट में बदल रहा है हसदेव अरण्य

इधर बीच

ग्राउंड रिपोर्ट

छत्तीसगढ़ : पेड़ों के मरघट में बदल रहा है हसदेव अरण्य

रायपुर। हसदेव अरण्य को बचाने का संघर्ष लगातार कठिन होता जा रहा है। कोयला खदानों के लिए पेड़ कटाई का विरोध कर रहे आंदोलनकारियों करियाम, जयनन्दन, पोर्ते, ठाकुर राम और उनके अन्य साथियों को गुरुवार की सुबह पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। गाँव में भारी पुलिस फोर्स तैनात करके ‘केते वासेन कोयला खदान’ के लिए […]

रायपुर। हसदेव अरण्य को बचाने का संघर्ष लगातार कठिन होता जा रहा है। कोयला खदानों के लिए पेड़ कटाई का विरोध कर रहे आंदोलनकारियों करियाम, जयनन्दन, पोर्ते, ठाकुर राम और उनके अन्य साथियों को गुरुवार की सुबह पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। गाँव में भारी पुलिस फोर्स तैनात करके ‘केते वासेन कोयला खदान’ के लिए पेड़ों की कटाई शुरू कर दी गई है। जानकारी के अनुसार पेड़ काटने के लिए पाँच सौ से अधिक स्वचालित मशीनें लगाई गई हैं। गुरुवार से चल रही पेड़ कटाई की इस कार्रवाई में अब तक लगभग 100 हेक्टेयर जमीन के पेड़ काटे जा चुके हैं। किसान नेता राकेश टिकैत ने भी वीडियो जारी करके इस कार्रवाई का विरोध किया है।

अडानी के एमडीओ वाले खदान के आबंटन की कटाई का विरोध करने के लिए ग्रामीण एक वर्ष से अधिक समय से आंदोलन कर रहे हैं। हरदेव अरण्य के आदिवासी जंगल, जमीन बचाने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं और सरकार इनको जेल में बंद करने का कम रही है। आदिवासी समाज के व्यक्ति के मुख्यमंत्री बनने से आंदोलनकर्मियों को थोड़ी उम्मीद बनी थी कि अब उनकी आवाज सुनी जाएगी पर इस उम्मीद के खिलाफ उन्हें सरकार द्वारा गिरफ्तार किया जा रहा है।

इधर हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति ने सरकार पर आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ की सत्ता में काबिज होते ही भाजपा सरकार ने अपने चहेते उद्योगपति अडानी के लिए खोली लूट शुरू कर दी है और आदिवासियों के आंदोलन का बलपूर्वक दमन करने पर उतारू है।

इसके पहले संगठन के कई साथियों को गिरफ्तार कर लिया गया। छत्तीसगढ़ बचाओ आदोलन भाजपा सरकार की इस दमनात्मक कार्रवाई की कडे शब्दों में भर्त्सना करती है और आदिवासी साथियों की तत्काल रिहाई की मांग करते हुए हसदेव के जंगल विनाश पर रोक लगाने की माग करती है।

छत्तीसगढ़ विधानसभा में 26 जुलाई 2022 को हसदेव अरण्य को खनन मुक्त रखे जाने का संकल्प पत्र पारित किया गया था। परसा ईस्ट केले बासेन कोयला खदान के दूसरे चरण के लिए वनाधिकार कानून, पेसा अधिनियम और भू अर्जन कानून तीनों का उलंघन किया जा रहा है। फिलहाल जिस तरह से पेड़ों की कटाई की जा रही है उससे हसदेव अरण्य पेड़ों के मरघट में बदलता दिख रहा है।

गाँव के लोग
गाँव के लोग
पत्रकारिता में जनसरोकारों और सामाजिक न्याय के विज़न के साथ काम कर रही वेबसाइट। इसकी ग्राउंड रिपोर्टिंग और कहानियाँ देश की सच्ची तस्वीर दिखाती हैं। प्रतिदिन पढ़ें देश की हलचलों के बारे में । वेबसाइट को सब्सक्राइब और फॉरवर्ड करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here