भारत एक सुंदर देश होने के साथ-साथ कई छोटी बड़ी समस्याओं से भी उलझा हुआ है। इन समस्याओं में सबसे अहम सड़कों का नहीं होना है। हालांकि पिछले कुछ दशकों में देश में उन्नत सड़कों का जाल बिछाया गया है। शहर से लेकर गाँव तक सड़कों की हालत बेहतर की गई है। लेकिन इसके बावजूद अभी भी देश के कई ऐसे दूर दराज ग्रामीण क्षेत्र हैं जहां सड़कों की हालत बेहतर नहीं है। इनमें केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के सीमावर्ती इलाका पुंछ के कई ग्रामीण क्षेत्र भी हैं। वैसे तो इस प्रदेश की सुंदरता को देखते हुए इसे धरती का स्वर्ग कहा जाता है। परंतु इसकी सुंदरता के साथ-साथ यहां के ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत सी समस्याएं भी हैं। जिसमें रोड संपर्क तथा यातायात की समस्या प्रमुख है। इस प्रदेश के कई गाँव ऐसे हैं जो अभी तक सड़क सुविधाओं से वंचित है।
ऐसा नहीं है कि यहां सड़क का निर्माण नहीं हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कें तो बहुत बनी हैं, परंतु पिछले कई सालों से मरम्मत नहीं होने से वह इतनी खराब हो चुकी है कि अब वह आने जाने के योग्य नहीं रह गई हैं। वहीं कुछ सड़कें ऐसी भी हैं जिन्हें प्रशासन बनवा तो देती है परंतु वह पक्की नहीं होती है। कभी उसमें बहुत समय तक मरम्मत नहीं होती है। जिसके कारण ऐसी सड़कें दुर्घटना का कारण बन जाती हैं, वहीं स्थानीय लोगों को भी बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वास्तव में, सड़क केवल यातायात का माध्यम ही नहीं है, बल्कि यह गाँव को शहर और शहर को देश से जोड़ने का भी साधन है। इस नाते सड़क की समस्या पर ध्यान देना बहुत आवश्यक हो जाता है।
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जम्मू कश्मीर जैसे पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन जैसी समस्याएं होती रहती हैं। वहीं दूसरी ओर बर्फबारी में सड़कों के बंद हो जानें से कई स्थानों से उनका संपर्क टूट जाता है। जिसके कारण सड़कों की स्थिति बहुत ही दयनीय हो जाती है। ऐसे में उसकी मरम्मत बहुत आवश्यक हो जाती है। जम्मू कश्मीर के डोडा जिला के गुंडो तहसील स्थित ‘गिल कुणान’ गांव’ इसका एक उदाहरण है। जहां आज भी सड़कें इतनी कच्ची हैं कि उसपर से वाहनों का गुजरना मुश्किल है। ऐसे में स्थानीय निवासी पैदल ही इन रास्तों से गुजरने पर मजबूर हैं। वहीं सामान ढोने के लिए घोड़े और खच्चर का इस्तेमाल करते हैं। इस संबंध में गाँव के पूर्व सरपंच गोविंद का कहना है कि प्रशासन को जल्द इस रोड की समस्या को खत्म करने का प्रयास करनी चाहिए ताकि स्थानीय लोग आवागमन के लिए गाड़ियों का प्रयोग कर सकें। इस सड़क से बहुत से स्कूलों के बच्चे भी प्रतिदिन आते जाते हैं। गाड़ियों के नहीं चलने से उनके रोज इतनी दूर पैदल आने-जाने के कारण बहुत समय बर्बाद होते हैं। जिससे उनकी शिक्षा भी प्रभावित होती है। उन्होंने बताया कि बारिश में यह मार्ग पूरा कीचड़ से भर जाता है। जिसके कारण बच्चों का अकेला आना-जाना मुश्किल हो जाता है। कई बार बच्चे कीचड़ में फिसलकर घायल भी हो जाते हैं। ऐसी सड़क पर हर समय दुर्घटना होने की संभावना भी बनी रहती है।
वहीं पांचवी में पढ़ने वाले एक छात्र रितेश के माता-पिता कहते हैं कि बारिश के दिनों में एक रोज जब रितेश स्कूल जा रहा था, तो वर्षा के कारण कीचड़ से भरी सड़क पर उसके पैर फिसल गए। जिसके कारण उसे बाजू में चोट आई और उसे अस्पताल पहुंचाया गया। इस दुर्घटना के कारण वह दो माह तक स्कूल नहीं जा पाया, जिससे उसकी पढ़ाई पर बुरा असर पड़ा। उनका कहना है कि इस रोड के पक्का ना होने से बच्चे, महिलाएं, बूढ़े सभी को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए प्रशासन को इस रोड को पक्का करने की ओर ध्यान देना चाहिए।
इसी गांव की आशा वर्कर नीरज अपना एक अनुभव साझा करते हुए कहती हैं कि एक बार बर्फबारी में गांव की एक गर्भवती महिला को प्रसव के समय अस्पताल पहुंचाने में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा क्योंकि रोड इतनी खराब थी कि उससे गाड़ी का गुजरना मुश्किल था। इससे माँ और पेट में पल रहे बच्चे की जान को खतरा हो सकता था। ऐसे में स्थानीय दाई को बुलाकर उसका प्रसव करवाना पड़ा जो बहुत ही खतरे वाली बात थी। वह कहती हैं कि प्रशासन को चाहिए कि सड़क को इस हद तक तो पक्का कर देना चाहिए कि उस पर गाड़ियां अच्छे से गुजर सकें।
इस संबंध में स्थानीय समाजसेवी अर्जुन सिंह का कहना है कि दुर्घटनाओं से बचने के लिए सड़क का सही मरम्मत, पक्की सड़क, यातायात के नियमों का पालन करना तथा पैदल चलने वालों का भी अहम रोल होता है। इन सभी को अच्छे से नियमों का पालन करना चाहिए। वह कहते हैं कि स्थानीय प्रशासन सड़क की मरम्मत करने पर ध्यान नहीं दे रहा है। इसके अतिरिक्त कुछ पुल भी ऐसे बने हैं जो अभी तक पक्के नहीं हुए हैं। जिसकी वजह से उनका अभी तक प्रयोग नहीं किया जा रहा है। वह बताते हैं कि इस सड़क का काम तो बहुत समय पहले से शुरू हुआ था परंतु पूर्ण रूप से वह अभी नहीं बना है। जिसके कारण सर्दियों के समय में लोगों को बहुत दूर रास्तों को अपनाना पड़ता है। जिससे उनका समय बर्बाद होता है। ऐसे में प्रशासन को इन सारी घटनाओं पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए ताकि लोगों को किसी प्रकार की समस्याएं ना हो सके और उनकी मुश्किलें खत्म हो सके। अर्जुन सिंह कहते हैं कि पक्की सड़कें सभी के लिए आवश्यक हैं क्योंकि यही विकास का एक प्रमुख माध्यम है।
(सौजन्य से चरखा फीचर)
आरती शांत, डोडा जम्मू की एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं।