Sunday, March 23, 2025
Sunday, March 23, 2025




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमराष्ट्रीयमैं अपना मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड वापस कर रही...

इधर बीच

ग्राउंड रिपोर्ट

मैं अपना मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड वापस कर रही हूँ : विनेश फोगाट

नई दिल्ली। महिला पहलवान विनेश फोगाट ने भी अपना खेल रत्न और अर्जुन अवॉर्ड लौटा दिया है। सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर उन्होंने यह जानकारी दी। विनेश से पहले बजरंग पूनिया ने इसी तरह अपना पद्मश्री पुरस्कार वापस लौटाया था। वहीं, साक्षी मलिक पहले ही कुश्ती से संन्यास का ऐलान कर चुकी हैं। उन्होंने लिखा, ‘मैं […]

नई दिल्ली। महिला पहलवान विनेश फोगाट ने भी अपना खेल रत्न और अर्जुन अवॉर्ड लौटा दिया है। सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर उन्होंने यह जानकारी दी। विनेश से पहले बजरंग पूनिया ने इसी तरह अपना पद्मश्री पुरस्कार वापस लौटाया था। वहीं, साक्षी मलिक पहले ही कुश्ती से संन्यास का ऐलान कर चुकी हैं।

उन्होंने लिखा, ‘मैं अपना मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन अवॉर्ड वापस कर रही हूँ। इस हालत में पहुँचाने के लिए ‘ताकतवर’ का बहुत-बहुत धन्यवाद।’ इसके साथ ही उन्होंने उस खत की तस्वीर भी शेयर की है, जो उन्होंने पीएम मोदी को लिखा है।

विनेश फोगाट ने प्रधानमंत्री मोदी को खत लिखकर अपना खेल रत्न लौटाने की बात कही है। इस खत में उन्होंने लिखा-

माननीय प्रधानमंत्री जी,

साक्षी मलिक ने कुश्ती छोड़ दी है और बजरंग पूनिया ने अपना पद्मश्री लौटा दिया है। देश के लिए ओलंपिक पदक मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को यह सब करने के लिए किस लिये मजबूर होना पड़ा, यह सब सारे देश को पता है और आप तो देश के मुखिया हैं तो आपतक भी यह मामला पहुंचा होगा। प्रधानमंत्री जी, मैं आपके घर की बेटी विनेश फोगाट हूं और पिछले एक साल से जिस हाल में हूं यह बताने के लिए आपको यह पत्र लिख रही हूं।

मुझे साल याद है 2016 जब साक्षी मलिक ओलंपिक में पदक जीतकर आई थी तो आपकी सरकार ने उन्हें ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ की ब्रांड एम्बेसडर बनाया था। जब इसकी घोषणा हुई तो देश की हम सारी महिला खिलाड़ी खुश थीं और एक दूसरे को बधाई के संदेश भेज रही थीं। आज जब साक्षी को कुश्ती छोड़नी पड़ी तबसे मुझे वह साल 2016 बार बार याद आ रहा है। क्या हम महिला खिलाड़ी सरकार के विज्ञापनों पर छपने के लिए ही बनी हैं। हमें उन विज्ञापनों पर छपने में कोई एतराज नहीं है, क्योंकि उसमें लिखे नारे से ऐसा लगता है कि आपकी सरकार बेटियों के उत्थान के लिए गंभीर होकर काम करना चाहती है। मैंने ओलंपिक में मेडल जीतने का सपना देखा था, लेकिन अब यह सपना भी धुंधला पड़ता जा रहा है। बस यही दुआ करूँगी कि आने वाली महिला खिलाड़ियों का यह सपना जरूर पूरा हो।

पर हमारी जिंदगियाँ उन फैंसी विज्ञापनों जैसी बिलकुल नहीं है। कुश्ती की महिला पहलवानों ने पिछले कुछ सालों में जो कुछ भोगा है उससे समझ आता ही होगा कि हम कितना घुट घुट कर जी रही हैं। आपके वो फैंसी विज्ञापनों के फ्लेक्स बोर्ड भी पुराने पड़ चुके होंगे और अब साक्षी ने भी संन्यास ले लिया है। जो शोषणकर्ता है उसने भी अपना दबदबा रहने की मुनादी कर दी है, बल्कि बहुत भौंडे तरीके से नारे भी लगवाए हैं। आप अपनी जिंदगी के सिर्फ पांच मिनट निकालकर उस आदमी के मीडिया में दिए गए बयानों को सुन लीजिए, आपको पता लग जाएगा कि उसने क्या क्या किया है। उसने महिला पहलवानों को मंथरा बताया है, महिला पहलवानों को असहज कर देने की बात सरेआम टीवी पर कबुली है और हम महिला खिलाड़ियों को जलील करने का एक मौका भी नहीं छोड़ा है। उससे ज्यादा गंभीर यह है कि उसने कितनी ही महिला पहलवानों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया है। यह बहुत भयावह है।

कई बार इस सारे घटनाक्रम को भूल जाने का प्रयास भी किया लेकिन इतना आसान नहीं है। सर, जब मैं आपसे मिली तो यह सब आपको भी बताया था। हम न्याय के लिए पिछले एक साल से सड़कों पर घिसड़ रहे हैं। कोई हमारी सुध नहीं ले रहा। सर, हमारे मेडलों और अवार्डों को 15 रुपये का बताया जा रहा है, लेकिन ये मेडल हमें हमारी जान से भी प्यारे हैं। जब हम देश के लिए मेडल जीतीं थीं तो सारे देश ने हमें अपना गौरव बताया। अब जब अपने न्याय के लिए आवाज उठायी तो हमें देशद्रोही बताया जा रहा है। प्रधानमंत्री जी, मैं आपसे पूछना चाहती हूँ कि क्या हम देशद्रोही हैं?

बजरंग ने किस हालत में अपना पद्मश्री वापस लौटाने का फैसला लिया होगा, मुझे नहीं पता। पर मैं उसकी वह फोटो देखकर अंदर ही अंदर घुट रही हूं। उसके बाद अब मुझे भी अपने पुरस्कारों से घिन आने लगी है। जब ये पुरस्कार मुझे मिले थे तो मेरी मां ने हमारे पड़ोस में मिठाई बांटी थी और मेरी काकी ताइयों को बताया था कि विनेश की टीवी में खबर आयी है उसे देखना। मेरी बेटी पुरस्कार लेते हुए कितनी सुंदर लग रही है।

कई बार यह सोचकर घबरा जाती हूँ कि अब जब मेरी काकी ताई टीवी में हमारी हालत देखती होंगी तो वह मेरी मां को क्या कहती होंगी? भारत की कोई मां नहीं चाहेगी कि उसकी बेटी की यह हालत हो। अब मैं पुरस्कार लेती उस विनेश की छवि से छुटकारा पाना चाहती हूँ, क्योंकि वह सपना था और जो अब हमारे साथ हो रहा है वह हकीकत। मुझे मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड दिया गया था जिनका अब मेरी जिंदगी में कोई मतलब नहीं रह गया है। हर महिला सम्मान से जिंदगी जीना चाहती है। इसलिए प्रधानमंत्री सर, मैं अपना मेजर ध्यानचंद खेलरत्न और अर्जुन अवार्ड आपको वापस करना चाहती हूँ ताकि सम्मान से जीने की राह में ये पुरस्कार हमारे ऊपर बोझ न बन सकें।

आपके घर की बेटी

विनेश फोगाट

गाँव के लोग
गाँव के लोग
पत्रकारिता में जनसरोकारों और सामाजिक न्याय के विज़न के साथ काम कर रही वेबसाइट। इसकी ग्राउंड रिपोर्टिंग और कहानियाँ देश की सच्ची तस्वीर दिखाती हैं। प्रतिदिन पढ़ें देश की हलचलों के बारे में । वेबसाइट को सब्सक्राइब और फॉरवर्ड करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here