आज 2023 का आखिरी दिन भी ख़त्म होने जा रहा है। महिलाओं के लिए इस साल आरक्षण विधेयक (128वाँ संवैधानिक संशोधन विधेयक) अथवा नारी शक्ति वंदन विधेयक पारित किया गया है। लेकिन राजनैतिक लाभ वाले इस सम्मान से इतर बात करें तो महिलाओं के साथ अत्याचार पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने आज भी कोई ठोस पहल नहीं किया है। प्रशासनिक अमले का रवैया भी कुछ नहीं बदला। यूपी के विभिन्न जिलों में कई ऐसे मामले आए, जिन्हें सुनकर महिला सम्मान में बनने वाली योजनाओं और कानूनों पर सवाल उठाना लाजमी हो जाता है। इस वार्षिक मूल्यांकन में आज महिलाओं के साथ होने वाली बलात्कार की घटनाओं (उत्तर प्रदेश के संदर्भ में) पर प्रकाश डालती राहुल यादव की यह रिपोर्ट…
उत्तर प्रदेश के बांदा के पतौरा गांव में 31 अक्टूबर, 2023 को जातिगत अत्याचार का एक भयावह मामला सामने आया। इस मामले में मृतक के परिवार का कहना है कि 40 वर्षीय दलित महिला सुनीता के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया, बेरहमी से उसकी हत्या कर उसका सिर व बायां हाथ काट दिया गया। सुनीता के शरीर से ब्लाउज और पेटीकोट गायब थे। पुलिस इसे महज एक दुर्घटना करार दिया।
यूपी के जंघई बाजार की रहने वाली एक महिला ने जंघई चौकी इंचार्ज पर दुष्कर्म का आरोप लगते हुए पुलिस से न्याय की गुहार लगाई थी। महिला ने दुष्कर्म का आरोप लगते हुए कहा था कि चौकी इंचार्ज उसे 21 सितंबर की रात अपनी निजी कार में लेकर भदोही गए और उसके साथ दुष्कर्म किया। चौकी इंचार्ज द्वारा महिला के साथ किए गए इस कुकर्म की घटना को लेकर इलाके में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया था। ग्रामीणों का कहना है कि जब पुलिस ही रक्षक की जगह भक्षक बन जाए तो महिलाएं अपने को कैसे सुरक्षित महसूस करेंगी।
इसी प्रकार से गोरखपुर में 21 अप्रैल को महिला अपने दोस्त के साथ बाइक से उरुवा बाजार गयी थी। यहां पर खरीदारी करने के बाद वह दोस्त के साथ लौट रही थी। रास्ते में माता मंदिर के बाद दोनों बैठकर बातचीत करने लगे। इस दौरान आरोपी भीम अपने दो दोस्तों के साथ पहुंचा और महिला के दोस्त के साथ मारपीट करने के बाद उसके साथ बलात्कार किया और उसका वीडियो भी बनाया। अगले दिन वह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा। महिला की तहरीर के आधार पर पुलिस ने मुख्य आरोपी भीमा को तब जाकर गिरफ्तार किया और मामले की जांच शुरू की।
झारखंड में 13 वर्षीय एक बच्ची के साथ हुए गैंगरेप की घटना पर बनी डॉक्यूमेंट्री ‘टू किल अ टाइगर’ को ऑस्कर पुरस्कार के बेस्ट डॉक्यूमेंट्री कैटेगरी के लिए मजबूत दावेदार के रूप में माना जा रहा है। निशा पाहुजा निर्देशित इस फिल्म में एक साधारण व्यक्ति के असाधारण संघर्ष और उसकी उम्मीदों को दिखाया गया है।
निशा पाहुजा अपनी इस फिल्म को लेकर कहती हैं कि भारत में यौन हिंसा पितृसत्ता से जुड़ी हुई है। वह कहती हैं कि 2012 में दिल्ली में एक हाई-प्रोफाइल सामूहिक बलात्कार के बाद भारत में यौन हिंसा ने बड़े पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया। तब से यौन उत्पीड़न की खबरें भारत में लगातार सामने आ रही हैं।
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निशा पाहुजा कहती हैं कि दिल्ली सामूहिक बलात्कार के बाद निश्चित रूप से इस पर ध्यान गया है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि यौन उत्पीड़न की घटनाओं में कोई कमी आई है। वह इसका श्रेय देश में ‘स्त्री-द्वेष, अधिकार और पुरुष श्रेष्ठता की संस्कृति’ को देती हैं। उनके अनुसार, यह भारतीय समाज में गहराई तक व्याप्त है, क्योंकि लड़कों ने पारंपरिक रूप से परिवार की निरंतरता और आर्थिक अस्तित्व की गारंटी दी है, जबकी लड़कियां आज भी पराई के रूप में देखी जाती हैं।
पाहुजा आगे कहती हैं कि भारतीय फिल्म उद्योग भी उनकी इस धारणा को पुष्ट करता है, यहाँ सब कुछ पुरुष अभिनेता पर ही केन्द्रित दिखता है। वह कहती हैं, ‘मुझे नहीं लगता कि यह स्थिति वास्तव में तब तक नहीं सुलझेगी, जब तक भारतीय पुरुष, पुरुष होने का कोई नया तरीका नहीं खोज लेते। जब तक कि पुरुष होने का क्या मतलब है, इसकी एक नई परिभाषा नहीं आ जाती, तब तक भारत में यौन अपराध के आंकड़े कम नहीं हो सकते हैं।
तीन सितंबर को मऊ जिले के रानीपुर थाने के एक गाँव की 15 वर्षीय किशोरी के साथ पाँच युवकों ने गैंगरेप के साथ ही उसका वीडियो बनाया था। घटना की बाबत पीड़िता के पिता ने रानीपुर थाने में पाँच लोगों के खिलाफ तहरीर दी थी। रानीपुर थाने की पुलिस टीम ने पाक्सो एक्ट व दुष्कर्म का मामला दर्ज करते हुए पांचों आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए दबिश देना शुरू कर दी थी। हालांकि, 20 दिसंबर को पीड़िता के पिता द्वारा दी गयी तहरीर के अगले 24 घंटे में ही पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
22 दिसंबर को उत्तर प्रदेश पुलिस की शर्मसार करने वाली तस्वीर सामने आई है। जब औरैया जिले के दिबियापुर में तैनात दारोगा पर एक महिला ने तीन सालों तक शारीरिक शोषण करने का आरोप लगाया। दरोगा से परेशान होकर महिला ने थाने में शिकायत दर्ज कराई। जिस पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर आरोपी दरोगा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। उच्चाधिकारियों ने विभागीय जांच के आदेश दे दिए थे।
मामले की जानकारी देते हुए डिप्टी एसपी महेंद्र पाल ने बताया था कि एक दारोगा के ऊपर रेप का मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोपी दारोगा की 2020 में नई तैनाती थी। महिला तभी दहेज उत्पीड़न के मामले की शिकायत लेकर दारोगा के संपर्क आई थी। तभी से दारोगा पीड़ित महिला को बहलाता फुसलाता रहा और उसका शोषण करता रहा।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आईआईटी में बीते एक नवम्बर को डेढ़ बजे रात छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म का मामला सामने आया था। पीड़िता बीएचयू आईटी कि छात्रा थी और रात में अपने साथी के साथ बीएचयू परिसर से बाहर जाने के लिए निकली थी।
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जानकारी के अनुसार पीड़िता अपने मित्र के साथ रात डेढ़ बजे अपने हास्टल से कुछ ही दूरी पर गयी थी कि एक सुनसान जगह पर तीन चार की संख्या में आए लड़कों ने उन्हें रोक लिया और असलहा के बल पर उसके साथ रेप किया और उसकी वीडियो भी बनाई।
घटना के बाद आईआईटी और बीएचयू परिसर की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हुए छात्र-छात्राओं ने विरोध प्रदर्शन किया था। मीडिया ने सभी प्रॉक्टोरियल बोर्ड पर गम्भीर सवाल उठाए थे।
दूसरी तरफ, बीएचयू के छात्रों का गुस्सा अभी तक शांत नहीं हुआ है। अपने-अपने सोशल मीडिया वॉल पर भी हर छात्र अपना रोष जता रहा है। यही नहीं बीएचयू के आर्ट डिपार्टमेंट के आशीष कुमार ने आईआईटी में हुई इस घटना के कुछ ही घंटों के भीतर एक पेंटिंग बनाई है। सात घंटे में तैयार हुई इस पेंटिंग में उस घटना का दृश्य है। इस पेंटिंग में बीएचयू के संस्थापक महामना पंडित मदनमोहन मालवीय की आँखों में आँसू हैं।
आईआईटी छात्रों का आरोप है कि हाईटेक बनने का दावा करने वाली कमिश्नरेट की पुलिस सामूहिक दुष्कर्म के आरोपियों की पहचान तक नहीं कर सकी। आरोपी अभी भी पुलिस की पकड़ से दूर हैं।
कुछ इसी प्रकार से उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था को शर्मनाक करने वाली एक घटना बीते 30 अगस्त को रक्षाबंधन को सामने आई। जब एक महिला पुलिस कांस्टेबल जो सुल्तानपुर रेलवे स्टेशन पर सरयू एक्सप्रेस से अयोध्या जाने के लिए चढ़ी। अगले दिन सुबह में वह ट्रेन में खून से लथपथ अर्धनग्न अवस्था में बेहोशी की स्थिति में मिली। पुलिस ने उसे तत्काल अयोध्या के श्रीराम हास्पिटल में भर्ती कराया, जहां से डॉक्टरों ने उसे लखनऊ के ट्रामा सेंटर के लिए रेफर कर दिया।
इस मामले की संवेदनशीलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश खुद मामले का संज्ञान लेते हुए 3 सितंबर रविवार की रात आठ बजे अपने आवास पर अदालत लगा दी। हाईकोर्ट के कड़े रुख के बाद डीजीपी ने जीआरपी और स्थानीय पुलिस के साथ एसटीएफ को भी हमलावरों को तलाशने का निर्देश दिया।
हालांकि, महिला हेड कॉन्स्टेबल से बर्बरता करने वाले आरोपी अनीश को एसटीएफ ने कुछ दिन बाद ही एनकाउंटर में ढेर कर दिया।
मामला पुराना है, लेकिन आरोपी के सत्ता पक्ष का होने के कारण सुर्खियों में हैं। नाबालिग लड़की से दुष्कर्म मामले में दुद्धी विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान भाजपा विधायक रामदुलार गोंड को कोर्ट ने करीब 9 साल चले लंबे मुकदमें के बाद दोषी करार दिया है। दुद्धी विधायक को अपर सत्र न्यायाधीश ने 25 साल कैद की सजा और 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। जुर्माने के 10 लाख रुपये पीड़िता को पुनर्वास के लिए दिए जाने का फैसला दिया है। न्यायालय के फैसले के बाद पीड़िता के भाई ने कहा लंबे संघर्ष के बाद एक बार फिर से न्याय की जीत हुई है।
जानकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश की दुद्धी विधानसभा के वर्तमान भाजपा विधायक रामदुलार गोंड के खिलाफ 4 नवंबर, 2014 को इसी क्षेत्र की रहने वाली एक नाबालिग किशोरी ने दुष्कर्म और पॉक्सो के तहत मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि विधायक उससे लगातार एक साल से दुष्कर्म कर रहा था। उस समय पीड़िता की उम्र मात्र 15 साल थी।
मजबूत राजनीतिक पकड़ के चलते रामदुलार गोंड टिकट प्राप्त करने में सफल हुए और 2022 में भाजपा के दुद्धी क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हो गए। इस दौरान कोर्ट में उनका मुकदमा भी चलता रहा। विधायक बनने से कुछ दिनों पहले ही पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की थी। विधायक बनने के बाद भी रामदुलार गोंड लगातार न्यायालय में हाजिर होते रहे और अपना पक्ष भी रखते रहे। बीते 12 दिसंबर, 2023 को एमपी-एमएलए कोर्ट अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम एहसानुल्लाह खान की अदालत में उन्हें नाबालिग से दुष्कर्म का दोषी पाया गया और न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया।
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कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले में दुद्धी विधायक को 25 साल कैद की सजा के साथ 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है। पीड़िता के वकील विकास शाक्य ने बताया था कि न्यायालय ने दुद्धी विधायक को अधिकतम सजा सुनाते हुए 25 साल कैद की सजा सुनाई और 10 लाख का जुर्माना लगाया है। जुर्माने की राशि पीड़िता को पुनर्वास के लिए दी जाएगी।
एनसीआरबी के आंकड़े के मुताबिक, बलात्कार के सबसे ज्यादा मामले राजस्थान में और उसके बाद यूपी में दर्ज हुए हैं। 2022 में राजस्थान में बलात्कार के कुल 5399 और उत्तर प्रदेश में 3690 मामले दर्ज हुए थे। रेप के बाद हत्या और गैंगरेप के मामले में यूपी नंबर एक पर है। वर्ष 2022 में यूपी में ऐसे 92 मामले दर्ज हुए थे। इसके बाद मध्य प्रदेश (41) के साथ दूसरे जबकि महाराष्ट्र (22) के साथ तीसरे नंबर पर है।
अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है। उत्तर प्रदेश में जहां 2020 में 657925 आपराधिक मामले दर्ज हुए तो वहीं 2021 में 608082 और 2022 में 753675 मामले दर्ज हुए। इस मामले में दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र है। महाराष्ट्र में 2020 में 539003 तो 2021 में 540800 और 2022 में 557012 आपराधिक मामले दर्ज हुए।
कुल मिलकर देखा जाए तो यही बात सामने आती है कि उत्तर प्रदेश सरकार लाख दावे कर ले, लेकिन उत्तर प्रदेश की बेटियाँ सुरक्षित नहीं हैं। उत्तर प्रदेश में कानून की लगातार धज्जियां उड़ रही हैं। एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों पर गौर करते हुए सरकार को इस दिशा में हवा हवाई बयानबाजी के बजाय जमीनी धरातल पर काम करने की जरूरत है, जिससे हमारी बहन-बेटियाँ खुद को सुरक्षित महसूस करते हुए बिना किसी संकोच के कहीं भी आ जा सकें।
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