दरभंगा। हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के दलित स्कॉलर रोहित वेमुला की शहादत दिवस पर आइसा के तत्वावधान में लोहिया चरण सिंह कॉलेज परिसर में विचार-गोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यकम में मुख्य अतिथि प्रो. सुरेंद्र सुमन ने कहा कि रोहित के शहादत का दिन भारतीय लोकतंत्र के लिए काला दिन है। यह घटना संवैधानिक अधिकारों की हत्या की त्रासदी का सूचक है।
उन्होंने कहा कि आज भी अनगिनत रोहित वेमुला मारे जा रहे हैं। अगर हमें उनकी हिफाजत करना है, तो लोकतंत्र और संविधान को बचाना होगा। दिन प्रति दिन भाजपा-आरएसएस संविधान की हत्या कर रही है। भाजपा द्वारा दलितों-वंचितों के शैक्षणिक अधिकारों की हत्या यह दर्शाता है कि संविधान के बदले वे मनुस्मृति को लागू करना चाहते हैं। आज छात्रों-नौजवानों पर विशेष जिम्मेदारी है कि वे सांप्रदायिकझ्रजातिवादी भाजपाई राजनीति को समाज और राजनीति से बेदखल करें। तभी हमारा देश बच सकेगा।
विशिष्ट वक्ता प्रो. रामबाबू आर्य ने कहा कि रोहित की हत्या केवल एक व्यक्ति की हत्या नहीं है, यह दलितों की सभी आकांक्षाओं की हत्या है। संविधान के स्वप्नों की हत्या है।
कहा हिक हिटलर और मुसोलनी की तर्ज पर केंद्र की भाजपा सरकार भारत के नागरिकों को कमजोर कर रही है। उसे शिक्षा के क्षेत्र से बाहर धकेल कर धर्मांधता की आग में झोंक रही है। यह खौफनाक दौर चल रहा है। रोहित के सपनों का समाज बनाने के लिए भारतीय गणतंत्र की सुरक्षा प्राथमिक शर्त है।
छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए जिला सचिव मयंक ने कहा कि देश के सभी विश्वविद्यालयों को जातिवाद, सांप्रदायिकता व लैंगिक भेदभाव से मुक्त करना ही रोहित वेमुला के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।
जिलाध्यक्ष शम्स तबरेज ने कहा कि शिक्षा नीति-2020 रोहित वेमुला की दोहरी हत्या की नीति है। यह शिक्षा नीति आधुनिक मनुस्मृति है। इस शिक्षा नीति को, इस भाजपा सरकार को समाज के बीच बेनकाब करना आज का जरूरी कार्यभार है।
कार्यक्रम का संचालन आइसा जिला उपाध्यक्ष मिथिलेश कुमार ने तथा धन्यवाद ज्ञापन रूपक कुमार ने किया। इस दौरान रहमानी, विपिन, कालीचरण, राजीव कुमार, सुभाष कुमार, दीपक कुमार पासवान, विवेक कुमार, रामराज कुमार आदि उपस्थित थे।