दिल्ली। प्रदेश सरकार द्वारा संचालित बुराड़ी अस्पताल के आउटसोर्स सफाईकर्मियों ने आज मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की शवयात्रा निकालकर सामूहिक मुंडन करवाया। भीषण ठंड के बीच अपनी माँगों को लेकर बीते नौ दिनों से धरनारत महिला और पुरुष कर्मचारियों को आज पुलिस द्वारा जोर-जबरदस्ती कर हटवा दिया गया। इस कृत्य पर कर्मियों ने अपनी घोर नाराजगी जताई।
कर्मचारियों का आरोप है कि निजी ठेका कम्पनी ग्लोबल वेंचर और अस्पताल प्रशासन द्वारा उनके साथ यौन उत्पीड़न, जातिगत भेदभाव और भ्रष्टाचार किया जा रहा है। नाराजगी जताने पर छंटनी की कार्रवाई कर दी गई। वेतन काट लिए गए।
महिला कर्मचारियों ने कहा कि अस्पताल प्रशासन एक तो वेतन देने में देरी करता है, वहीं अब कटौतियाँ भी की जाने लगीं। मेहनत के बावजूद अब हमारा हक मारा जा रहा है।
सफाईकर्मी कविता ने बताया कि चार लोगों के परिवार में मैं एकमात्र कमाने वाली सदस्य हूँ। अस्पताल में पूरे महीने काम करने के बाद 14 हजार रुपये मिलते हैं। उसमें भी देरी की जाती है। उन्होंने कहा कि मेरे पति अब काम नहीं करते। इस तनख्वाह में मुझे दो बच्चों की भी देखभाल करनी है। यह हमारे साथ अन्याय है कि हमें न्यूनतम वेतन भी ठीक से नहीं मिल रहा है।
वहीं, धरनारत अन्य कर्मियों का आरोप है कि उनका आधा वेतन भी नहीं मिला है। साथ ही अनियमित वेतन से कभी नौ हजार तो कभी 10 हजार रुपये मिलते हैं।
महिलाओं ने भी जताई नाराजगी
अस्पताल में लगभग 100 से अधिक सफाई कर्मचारी कार्यरत हैं, जिसमें अधिकांश महिलाएं हैं। ये कर्मचारी ज्यादातर दलित समाज के हैं। इनकी रोजी-रोटी और घर चलाने का एकमात्र साधन यहाँ की कमाई ही है। ऐसे में अगर वेतन ही समय से न मिले तो घर की आर्थिक स्थिति पूरी तरह चरमरा जाती है और रोटी के भी लाले पड़ जाते हैं। ऊपर से अस्पताल प्रशासन द्वारा ट्रांसफर कर देने और काम न करने का आरोप लगाकर प्रताड़ित किया जाता है।
धरने का नेतृत्व कर रहे सफाई कामगार यूनियन ने बुराड़ी प्रशासन और कॉन्ट्रैक्ट कम्पनी ग्लोबल वेंचर पर साठ-गाँठ का आरोप लगाते हुए पीड़ित सफाई कर्मियों की दिक्कतों को लगातार नजरअंदाज करने की बात कही है।
स्वास्थ्य मंत्री ने दिया कार्रवाई का आश्वासन
यूनियन के कार्यकारिणी सदस्य एडवोकेट हरीश गौतम ने बताया कि इस पूरे मामले को दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज के सामने रखा गया है। आधे घंटे की वार्ता में उन्होंने सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया। साथ ही कहा है कि धरनारत कर्मियों को अस्पताल से नहीं निकाला जाएगा साथ ही नियमानुसार उनका वेतन भी दिया जाएगा। अस्पताल और कॉन्ट्रैक्ट कम्पनी ग्लोबल वेंचर के खिलाफ जाँच के लिए एक उच्चस्तरीय टीम भी गठित की जाएगी।
हरिश ने कहा कि इसके पहले भी दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय और स्वास्थ्य विभाग के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात कर सफाईकर्मियों की माँगों को रखा गया था। इसके बाद भी सफाईकर्मियों की माँगों को प्रशासन नज़रअंदाज कर रहा था। कर्मियों की परेशानियों का समाधान नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सुपरवाइजर सफाई कर्मचारियों पर कई दिनों से हड़ताल वापस लेने और माफी माँगने का दबाव बना रहा था।
उन्होंने कहा कि अस्पताल में कार्यरत अनुबंध महिलाकर्मियों के साथ बदसलूकी का आरोप गम्भीर है, लेकिन इस मामले में भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। उल्टा कर्मियों पर ही पुलिसिया कार्रवाई कर दी गई। इसी कारण महिलाकर्मियों ने अपनी आवाज उठाने का यह रास्ता अख्तियार किया। इन महिलाकर्मियों के घरों की स्थिति ठीक नहीं है। यही कारण है कि तमाम समस्याओं के बावजूद ये यहाँ काम करने को मजबूर हैं। ऐसे में इनके लिए अनुकूल परिस्थिति बनाना शासन-प्रशासन का काम है।
अन्य कर्मियों को भी आधा-अधूरा वेतन मिलता है
बुराड़ी अस्पताल में सफाईकर्मियों के अलावा वेतन की समस्याओं से अन्य विभागों के कर्मचारी भी जूझ रहे हैं। अस्पताल में आउटसोर्स पर काम कर रहे नर्सिंग स्टाफ, सिक्योरिटी गार्ड, इलेक्ट्रिशियन्स को भी वेतन कॉन्ट्रैक्ट कम्पनी ग्लोबल वेंचर वेतन काटकर देती है।
हरीश गौतम ने बताया कि इस काम में अस्पताल प्रशासन का हाथ भी रहता है। प्रत्येक कर्मचारी को निजी कम्पनी वेतन काटकर ही देती है। इसके पहले की कम्पनियाँ भी यही करती थीं। सफाईकर्मियों के प्रदर्शन में अन्य स्टाफ भी शामिल होना चाहते थे लेकिन अस्पताल प्रशासन ने उन्हें नौकरी से निकाल देने की धमकी दी थी।
पुलिस कार्रवाई पर उठे सवाल
जंतर-मंतर पर महिला पहलवानों के साथ उत्पीड़न और उनके साथ धक्का-मुक्की कर दिल्ली पुलिस एक बार अपनी नाक कटवा चुकी है। कुछ ऐसा ही कृत्य महिला सफाईकर्मियों के साथ हुआ है। धरनास्थल पर बुराड़ी पुलिस ने महिलाओं को भी नहीं बख्शा। सफाईकर्मियों के अनुसार, पुलिस जब मौके पर पहुँची तो बातचीत किए बगैर धरना स्थल पर डंडा पटकने लगी। सिपाहियों ने जबरन हमें वहाँ से हटा दिया। हड़कम्प के बीच धरनास्थल पर लगी वाल्मीकि की मूर्ति भी पुलिस के डंडे से क्षतिग्रस्त हो गई जिसे सिपाहियों ने अपने पास छिपा लिया। इस पर जब नाराजगी जताई गई तो पुलिस ने तीन कर्मचारियों को हिरासत में ले लिया।
बुराड़ी पुलिस स्टेशन लाकर कर्मचारियों के खिलाफ धारा 186/ 353/ 323/ 120बी और 34 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया।
उल्लेखनीय है कि बुराड़ी अस्पताल में यौन शोषण मामले में पहले भी एक केस स्थानीय थाने में दर्ज हो चुका है। यहाँ की महिलाकर्मियों का दावा है कि जिन अधिकारियों पर महिलाओं के साथ उत्पीड़न करने के आरोप लगे थे, वह आज भी आजाद हैं। विडंबना यह है कि राजधानी दिल्ली के इस सरकारी अस्पताल में इतना कुछ घटित हो रहा है और शासन-प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। इसी रवैये से परेशान होकर कर्मचारियों ने आज मुख्यमंत्री की शवयात्रा निकाली और अपना मुंडन करवाया।