दिल्ली। 28 फरवरी को खजूरी खास इलाके में श्रीराम कॉलोनी स्थित रैट माइनर वकील हसन का घर डीडीए द्वारा बुलडोजर से ध्वस्त किए जाने को लेकर जन हस्तक्षेप की 4 सदस्यीय जांच टीम ने दौरा कर पीड़ित परिजनों, डीडीए अधिकारियों और पुलिस कर्मियों से बातचीत की। जन हस्तक्षेप जांच टीम इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि दिल्ली में गत वर्षो में गरीबों खास तौर पर दलितों और अल्पसंख्यकों पर चल रहे बुलडोजर केंद्र की आरएसएस-भाजपा सरकार की उन्हें डराने, प्रताड़ित करने और वोटों के ध्रुवीकरण के लिए बहुसंख्यक तुष्टिकरण की सोच का नतीजा है।
जन हस्तक्षेप की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गाया है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा शासित राज्य आज कानून के बजाय पुलिस राज व बुलडोजर संस्कृति से संचालित हो रहे हैं। बीते वर्षों से दिल्ली की गरीब मजदूर बस्तियों और झोपड़ पट्टियों में कथित अवैध अतिक्रमण के नाम पर उन्हें उज़ाड़ा जा रहा है। यही नहीं बुलडोजर गरीबों और खासकर मुस्लिम समुदाय के लिए दमन व आतंक का पर्याय बन चुका है। इसी क्रम में राजधानी दिल्ली के खजूरी खास इलाके के श्रीराम कॉलोनी में कई दशकों से रह रहे रैट माइनर वकील हसन का मकान डीडीए ने बिना किसी पूर्व सूचना अथवा नोटिस दिए बुलडोजर से ढ़हा दिया। वकील हसन वह शख्स हैं, जिन्होंने उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में फंसे उन 41 श्रमिकों और इंजीनियरों को बचाने वाली टीम का नेतृत्व किया था। ज्ञात हो कि पिछले वर्ष की उत्तरकाशी की घटना में देश ही नहीं दुनिया भर के इंजीनियर और एडवांस टेक्नोलॉजी की मशीनें जब नाकाम हो गईं थीं, उस समय खजूरी खास इलाके में रहने वाले रैट माइनर्स ने 41 जिंदगियां बचाई थीं। उस समय पूरे देश ने उन्हें नेशनल हीरो का दर्जा दिया था। केंद्र व राज्य सरकारों के अलावा सभी मजदूर संगठनों और नागरिक संगठनों ने भी उन्हें सम्मानित किया था।
डीडीए ने वकील हसन का घर तोड़कर उनके प्लाट को ईंट की दीवाल और प्लास्टर करके बंद कर दिया है और 2 दिन से पूरा परिवार सड़क पर अपने बचे सामानों के साथ बैठा है। जन हस्तक्षेप की टीम, घटना के दूसरे दिन दोपहर में वहां पहुंची, तो सामानों के बीच बैठी श्रीमती शबाना हसन ने बताया कि वह मोदी नगर अपने मायके गई थीं और छोटा बेटा व बेटी ही घर में थे। वकील हसन काम पर गए थे। पुलिस और डीडीए अधिकारियों ने सुबह दरवाजा खटखटाया, लेकिन बच्चों ने नहीं खोला, तो उसे उन्होंने तोड़ दिया और बुलडोजर की मदद से घर गिराने लगे। उन्होंने बताया कि पूरी कॉलोनी में सिर्फ उनका ही एक घर गिराया गया है। जांच टीम ने भी देखा कि अगल-बगल बने हुए घरों के बीच में सिर्फ वकील हसन का ही घर गिराया गया है। उन्होंने बताया कि पुलिस ने बच्चों के साथ दुर्व्यवहार भी किया और थाने ले गए। वकील हसन ने बताया कि जब वह घर पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें अरेस्ट कर लिया और थाने से देर शाम को छोड़ा। उन्होंने बताया कि उन्हें कभी कोई नोटिस नहीं मिली और यह सब अचानक हुआ।
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वकील हसन के श्वसुर और शबाना हसन के पिता शौकत अली ने बताया कि लगभग 11 वर्ष पहले वकील हसन ने यह जमीन खरीदी थी। पूरी कॉलोनी में पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए ही खरीद बिक्री होती है। उस समय उन्होंने घर बनवाया था। बिजली का बिल आदि सभी कागज उनके पास हैं। शौकत अली ने आरोप लगाया कि कुछ वर्ष पूर्व जब वकील हसन घर की मरम्मत कर रहे थे, तो डीडीए अधिकारियों ने उनसे रिश्वत के रूप में एक बड़ी रकम मांगी थी। उस समय वकील ने कुछ भुगतान भी किया था। बाद में समय-समय पर बकाया पैसे के लिए डीडीए कर्मचारी व अधिकारी पैसा मांगने आते थे, लेकिन वह मांगी गई बड़ी रकम नहीं दे सका। इसकी पुष्टि वकील हसन के साथ ही रैट माइनिंग का काम करने वाले और श्री राम कॉलोनी में ही रहनेवाले मुन्ना कुरैशी, मोहम्मद इरशाद अंसारी, फिरोज कुरेशी, मोहम्मद रशीद अंसारी, नसीरुद्दीन और नसीम मलिक ने भी बातचीत में की है।
वकील हसन ने जांच दल को बताया कि उनके अगल-बगल के किसी भी घर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। मेरे पास बस यही एक घर था। उत्तरकाशी में 41 जीवन बचाने के बाद डीडीए ने मुझे आश्वासन दिया था कि मेरे घर को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। बल्कि पुरस्कार के तौर पर मैंने सिर्फ इसी घर की मांग की थी, जिसे तोड़ दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस स्टेशन में उनके साथ मारपीट भी की गई।
उत्तरकाशी सुरंग हादसे के हीरो वकील हसन का आवास तोड़े जाने की खबर ज्यों सोशल मीडिया पर फैली तो डीडीए भी एक्शन में आ गया और चंद घंटों में अपना स्टेटमेंट प्रिंट करके मीडिया और जनता में वितरित करना शुरू कर दिया।
डीडीए की यह दलील कि उसे नहीं पता था कि उत्तरकाशी टनल में मजदूरों को बचाने वालों में यही वकील हसन थे। अब उसने उन्हें उसके एवज में दूसरा आवास देने का प्रस्ताव किया है। डीडीए के स्टेटमेंट में यह कहीं नहीं है कि उसने वकील हसन को कभी कोई नोटिस दिया है। वह कोई ऐसी नोटिस नहीं दिखा सका। खुद वकील हसन के पास ऐसी कोई नोटिस नहीं है। घटनास्थल पर मौजूद एक डीडीए अधिकारी प्रवीण द्विवेदी ने कहा कि खजूरी खास और आसपास के इलाकों राम कॉलोनी व राजीव नगर में अतिक्रमण को हटाने की प्रक्रिया पहले से चल रही है और आगे भी चलती रहेगी।
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जन हस्तक्षेप टीम का निष्कर्ष है कि रैट माइनर वकील हसन ही नहीं पूरे दिल्ली में गरीबों और मुसलमानों पर अवैध निर्माण के नाम पर जो जुल्म-ओ-सितम किया जा रहा है वह भाजपा-संघ की गरीब विरोधी और कॉर्पोरेट परस्त फासिस्ट नीतियों का हिस्सा है। एक तरफ केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार देश में करोड़ों गरीबों को आवास देने का दावा करती है, तो दूसरी तरफ अपने गांव और खेत छोड़कर दिल्ली जैसे महानगरों में मेहनत-मजदूरी करके पेट भरने और एक छत के लिए अपनी पूरी जमा पूंजी लगा देने वालों के सपनों पर वह बुलडोजर चला रही है। जन हस्तक्षेप की मांग है
डीडीए तत्काल रैट माइनर वकील हसन का घर उसी स्थान पर पुनर्निर्माण करे।
दिल्ली में अवैध अतिक्रमण समाप्त करने के नाम पर गरीबों, दलितों, मुसलमानों पर बुलडोजर कार्रवाई पर तत्काल रोक लगे।
अवैध कॉलोनियों को नियमित करे और स्थानीय निवासियों को जमीन संबंधी दस्तावेज सौंपने के लिए स्थानीय स्तर पर अभियान चलाए।
जांच दल में जन हस्तक्षेप के सह संयोजक व वरिष्ठ पत्रकार अनिल दुबे, एडवोकेट- एम जेड अली, एडवोकेट- शिवेश गर्ग ओर एडवोकेट- सलमान शामिल थे।