Tuesday, January 14, 2025
Tuesday, January 14, 2025




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमपूर्वांचलराजस्थान : सरकार द्वारा लागू योजनाएँ क्यों नहीं लाभार्थियों तक पहुँच पाती?

इधर बीच

ग्राउंड रिपोर्ट

राजस्थान : सरकार द्वारा लागू योजनाएँ क्यों नहीं लाभार्थियों तक पहुँच पाती?

सरकार ने गरीब और वंचितों के उत्थान के लिए अनेकों योजनाएं तो चलाई हैं, लेकिन जिन्हें इन योजनाओं का लाभ मिलनी चाहिए उन्हें समय पर नहीं मिल पा रहा है।

देश में केंद्र हो या फिर राज्य सरकार, सभी नागरिकों के हितों में कई योजनाएं चला रही है. कुछ योजनाएं केंद्र द्वारा संचालित होती हैं तो कुछ योजनाएं राज्य सरकार भी अपने स्तर पर लागू करती हैं। लेकिन सभी का अंतिम उद्देश्य समाज में गरीब, पिछड़े, आर्थिक रूप से कमज़ोर और हाशिये पर खड़े लोगों तक लाभ पहुंचना है ताकि वह भी स्वयं को समाज की मुख्यधारा से जुड़ा हुआ महसूस कर सकें। शहरी ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों की सबसे अधिक संख्या देश के ग्रामीण क्षेत्रों में होती है। जो अक्सर शिक्षा और जागरूकता के अभाव में अपनी मूलभूत बुनियादी सुविधाएं तक प्राप्त नहीं कर पाते हैं। यही कारण है कि केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक का फोकस ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे अधिक होता है। जो भी योजनाएं तैयार की जाती हैं उसे ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के हितों को केंद्र में रखकर तैयार की जाती है।

लेकिन अभी भी देश के कई ऐसे ग्रामीण क्षेत्र हैं, जहां कि आधे से अधिक निवासी इन योजनाओं का लाभ पाने से वंचित रह जाते हैं। ऐसा ही एक गांव लोयरा है। जो राजस्थान के उदयपुर जिला मुख्यालय से लगभग 8 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां पर लगभग 550 घरों की बस्ती निवास करती है। जिसकी कुल जनसंख्या करीब ढ़ाई हज़ार है। अनुसूचित जनजाति बहुल इस गांव में ज्यादातर गमेती समुदाय के लोग निवास करते हैं। इसके अतिरिक्त इसी जनजाति के डांगी समुदाय की संख्या है। इसके अतिरिक्त ओबीसी समाज की भी एक बड़ी आबादी इस गाँव में निवास करती है। बाकी अनुसूचित जाति और सामान्य समुदाय के कुछ परिवार भी यहां निवास करते हैं। यहां से लोग ज्यादातर आसपास या उदयपुर शहर में मजदूरी करने जाते हैं। इनमें अधिकतर चिनाई कारीगर, बेलदार, मार्बल फिटिंग अथवा मार्बल घिसाई मजदूर के रूप में काम करते हैं जबकि युवा पड़ोसी राज्य गुजरात के अहमदाबाद में कंस्ट्रक्शन मजदूर और सूरत में हीरा कारखाने में मजदूरी के लिए प्रवास कर जाते हैं।

उच्च शिक्षा के प्रति विशेष रुचि नहीं होने और जागरूकता के अभाव में बहुत से ग्रामीण सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने से वंचित रह जाते हैं। हालांकि गांव में उज्ज्वला योजना, पीएम किसान निधि योजना, शौचालय निर्माण योजना, पेंशन योजना, सुकन्या योजना, आवास योजना, जन वितरण प्रणाली योजना, पीएम जीवन ज्योति बीमा योजना, पीएम सुरक्षा बीमा योजना और चिरंजीवी जैसी अनेकों योजनाएं संचालित हैं। जिसका कुछ ग्रामीण संपूर्ण लाभ उठा रहे हैं तो कुछ को अभी भी इन योजनाओं से मिलने वाले लाभ का इंतज़ार है। गांव में एसटी समुदाय के 42 वर्षीय नाथूराम कहते हैं कि उन्हें अभी तक केवल प्रधानमंत्री बीमा योजना का ही लाभ मिल है। जबकि राशन कार्ड अभी तक नहीं बना है। वहीं प्रधानमंत्री आवास योजना का उन्होंने दो बार फार्म भरा लेकिन अभी तक वह इस सुविधा का लाभ उठाने से वंचित हैं। जिसके बाद इन्होंने किसी प्रकार पैसों की व्यवस्था कर खुद ही अपना आवास बना लिया है। नाथूराम कहते हैं कि जब उन्हें उज्ज्वला योजना में गैस कनेक्शन नहीं मिला तो इन्होंने खुद से ही पैसा देकर इसे खरीदा है। अलबत्ता स्वास्थ्य के क्षेत्र में मिलने वाले लाभ से इन्हें फायदा अवश्य हुआ है। यह अपना और अपने परिवार का सरकारी अस्पताल में फ्री इलाज करवाते हैं।

यह भी पढ़ें –

सोनभद्र : कनहर बाँध में डूबती हुई उम्मीदों का आख्यान – एक

इसी गांव की अनुसूचित जनजाति से संबंधित 35 वर्षीय प्रेमी बाई बताती है कि उन्हें उज्ज्वला योजना के अंतर्गत गैस सिलेंडर, जन वितरण प्रणाली से गेहूं और शौचालय बनाने के लिए राशि अवश्य मिली है, लेकिन इसके अतिरिक्त वह अन्य योजनाओं से मिलने वाले लाभ से वंचित हैं। इसी प्रकार इसी समुदाय के कालू राम बताते हैं कि उन्हें उज्ज्वला योजना से गैस कनेक्शन और जन वितरण प्रणाली से गेहूं मिल जाता है। वहीं इसी गांव के 39 वर्षीय लच्छी राम गमेती भी हैं, जो पहले ट्रक चलाने का काम किया करते थे लेकिन आज से लगभग दो वर्ष पूर्व एक भयानक रोड एक्सीडेंट में इनका एक पैर घुटने के नीचे से काटनी पड़ी थी जिसके कारण यह दिव्यांग हो गए हैं और फिर ट्रक चलाने के योग्य नहीं रह गए।

 दिव्यंगता के कारण यह प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना का लाभ पाने के हकदार हैं। जिससे इनके परिवार को काफी आर्थिक मदद मिल जाती, लेकिन दो हो गए हैं और लच्छी राम आज तक इसका लाभ नहीं उठा सके हैं। वहीं फॉर्म भरवाने के बावजूद इन्हें विकलांगता पेंशन भी नहीं मिल सकी है. दरअसल लच्छी राम शिक्षित भी नहीं है। ऐसे में उन्हें नहीं पता कि वह इसका लाभ किस प्रकार उठा सकते हैं? जागरूकता की कमी के कारण उन्हें नहीं पता कि वह इसके लिए वह कहां और कैसे आवेदन करें?

यह भी पढ़ें –

लोकसभा चुनाव : हिन्दुत्व के नाम पर एकतरफा जीत के लिए भाजपा मुस्लिमों को टिकट ही नहीं देती

हालांकि इसी गाँव में अनुसूचित जनजाति समुदाय की ही 38 वर्षीय धुली बाई भी अपने परिवार के साथ रहती है, जिनकी कहानी इन सबसे अलग है। जागरूकता के कारण धुली बाई का परिवार सरकार द्वारा दी जाने वाली सभी सुविधाओं का समुचित और समय पर लाभ उठाने में सफल रहा है। धुली बाई बताती हैं कि उन्हें न केवल शौचालय बनाने के पैसे मिले हैं बल्कि समय पर राशन कार्ड से गेहूं मिलते हैं और उज्ज्वला योजना के तहत गैस सिलेंडर का लाभ भी मिलता है। वह बताती हैं कि इन योजनाओं का लाभ उठाने के लिए वह लगातार पंचायत कार्यालय जाती रही और सभी योजनाओं की न केवल जानकारी प्राप्त की बल्कि इसके आवेदन की सभी प्रक्रियाओं का भी समय पर पालन कर कागजात जमा करा दिया. वह अब गाँव के अन्य जरूरतमंद परिवारों का भी आवेदन भरने में मार्गदर्शन करती हैं।

बहरहाल, सरकार ने गरीब और वंचितों के उत्थान के लिए अनेकों योजनाएं तो चलाई हैं, लेकिन जिन्हें इन योजनाओं का लाभ मिलनी चाहिए उन्हें समय पर नहीं मिल पा रहा है। दरअसल जागरूकता का अभाव इस राह में सबसे बड़ी रुकावट है। वहीं दूसरी ओर स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी भी बनती है कि वह गांव में जो लोग सरकारी योजनाओं से वंचित हैं उनका इससे जुड़ाव कराए ताकि जरूरतमंद लोगों को इन योजनाओं का समय पर लाभ मिल सके और यह योजनाएं केवल नाम की न रह जाए। (साभार चरखा फीचर)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here