मंगलवार 9 अप्रैल को उत्तर प्रदेश में 2 किसानों द्वारा आत्महत्या किए जाने की घटनाएं सामने आई हैं। पहली घटना महोबा जिले से है। मृतक किसान रविंद्र कुमार महोबा जिले के सेंतवारा गांव का रहने वाला था। मटर की फसल पूरी तरह से नष्ट हो जाने के कारण किसान बेहद परेशान था। पारिवारिक जिम्मेदारियों और बच्चों के भरण-पोषण को लेकर वह काफी ज्यादा चिंतित था। कई दिनों तक इसी तरह परेशान रहने के बाद किसान ने आत्मघाती कदम उठा लिया।
रविंद्र सिंह 20 बीघा जमीन पर खेती करता था। रविंद्र ने अपने खेत में मटर की फसल बोई थी। ओलावृष्टि एवं तेज बारिश के कारण उसकी फसल बर्बाद हो गई थी। फसल बर्बाद होने और आर्थिक आमदनी की संभावना के खत्म ही जाने के चलते वह काफी परेशान था। रविंद्र के 5 बच्चे हैं। बच्चों की शिक्षा और परवरिश खेती से होने वाली आय पर ही निर्भर है। फसल खराब हो जाने के कारण वह बच्चों की शिक्षा को लेकर काफी चिंतित रहने लगा था।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार वह कई दिनों से गुमसुम और उदास रह रहा था और भोजन भी नहीं कर रहा था। उसने खेत में जाकर फांसी के फंदे से लटककर अपनी जान दे दी। पुलिस ने किसान के शव का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम कराया है।
बांदा में भी किसान ने की आत्महत्या
किसान द्वारा आत्महत्या करने की दूसरी खबर उत्तर प्रदेश के बांदा जिले से है। कमासिन क्षेत्र के छिलोलर गांव के एक किसान ने 8 अप्रैल की सुबह अपने घर से 200 मीटर दूर जाकर आत्महत्या कर ली। रज्जन नामक किसान आर्थिक तंगी से जूझ रहा था और अपना इलाज कराने में असमर्थ था। किसान को पथरी की शिकायत थी। वह 2 दिन से दर्द से परेशान था। ऑपरेशन में 50,000 रुपये का खर्चा होना था। किसान अपने इलाज के लिए ये राशि नहीं जुटा सका। पेट के दर्द से मुक्ति पाने के लिए किसान को अपनी जीवन लीला समाप्त करनी पड़ी।
यह घटना प्रदेश के किसानों की आय बढ़ाने को लेकर किए गए प्रयासों और प्रदेश की लचर सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था की असफलता दोनों को ही बयां करती है। आर्थिक तंगी से जूझ रहे किसान को प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग निःशुल्क इलाज क्यों नहीं दे पाया ? प्रदेश की सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था की यह लाचारी कब खत्म होगी ? किसानों की आय वास्तव में दोगुनी कब होगी ? ये सवाल आज भी जस के तस बने हुए हैं।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार 2022 में देश में 11,290 किसानों ने आत्महत्या की। 2021 में यह संख्या 10,281 थी। देश में एक साल में किसानों द्वारा आत्महत्या के मामलों में 3.7% की वृद्धि दर्ज की गई। यदि उत्तर प्रदेश की बात की जाए तो NCRB के आंकड़ों के अनुसार 2021 की तुलना में 2022 के दौरान किसानों और खेतिहर मजदूरों की आत्महत्या के मामलों में 42.13 फीसदी की वृद्धि हुई है।