बीते बुधवार को विदेशों में शिक्षा और अध्ययन संबंधी परामर्श देने वाली लंदन स्थित फर्म क्वाक्वेरेली साइमंड्स (Quacquarelli Symonds) (क्यूएस) ने वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग जारी की है। क्यूएस रैंकिंग सबसे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में से एक है। यह विश्व के शिक्षण संस्थानों की लोकप्रियता, प्रदर्शन और गुणवत्ता का विश्लेषण करती है।
क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) भारत में सर्वोच्च रैंक हासिल करने वाला विश्वविद्यालय है। विकास अध्ययन श्रेणी में यह विश्वविद्यालय विश्व स्तर पर 20वें स्थान पर है। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के नव निर्वाचित अध्यक्ष धनंजय ने एक्स पर खुशी जाहिर करते हुए अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने लिखा है, ‘कोशिश तुम्हारी जारी है पर जेएनयू तुम पर भारी है !’
कोशिश तुम्हारी जारी है
पर जेएनयू तुम पर भारी है !#जेएनयू https://t.co/2FrxyyNYpx— Dhananjay (@SathiDhananjay) April 10, 2024
देश का भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) अहमदाबाद, व्यवसाय एवं प्रबंधन अध्ययन श्रेणी में विश्व के शीर्ष 25 संस्थानों में से एक है जबकि आईआईएम-बेंगलौर और आईआईएम-कलकत्ता शीर्ष 50 संस्थानों में शामिल हैं।
चेन्नई स्थित सविता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड टेक्निकल साइंसेज दंत चिकित्सा अध्ययन श्रेणी में विश्व स्तर पर 24वें स्थान पर है।
क्यूएस की मुख्य कार्यकारी (सीईओ) जेसिका टर्नर ने कहा कि भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा है। उन्होंने कहा कि 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इसकी पहचान की गई थी जिसमें 2035 तक 50 प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
उन्होंने कहा कि क्यूएस ने यह गौर किया है कि भारत के निजी तौर पर संचालित तीन उत्कृष्ठ संस्थानों के कई कार्यक्रमों ने इस साल प्रगति की है जो भारत के उच्च शिक्षा क्षेत्र को आगे बढ़ाने में अच्छी तरह से विनियमित निजी प्रावधान की सकारात्मक भूमिका को प्रदर्शित करता है। उन्होंने कहा कि हालांकि मानकों में सुधार, उच्च शिक्षा तक पहुंच, विश्वविद्यालयों की डिजिटल तैयारी और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता के लिए अब भी बहुत काम किया जाना बाकी है लेकिन यह स्पष्ट है कि भारत सही दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है।
क्यूएस के अनुसार, भारत दुनिया में सबसे तेजी से विस्तार करने वाले शोध केंद्रों में से एक है। उसने कहा कि 2017 से 2022 के बीच शोध में 54 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है जो न केवल वैश्विक औसत के दोगुने से अधिक है, बल्कि पश्चिमी समकक्षों से भी काफी अधिक है।
क्यूएस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बेन सॉटर ने कहा कि मात्रा के लिहाज से, भारत अब शोध क्षेत्र में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश है और इस अवधि में 13 लाख अकादमिक शोध पत्र तैयार किए गए जो चीन के 45 लाख, अमेरिका के 44 लाख और ब्रिटेन के 14 लाख से पीछे है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा गति को देखते हुए, भारत शोध उत्पादकता में ब्रिटेन को पीछे छोड़ने के करीब है। उन्होंने कहा कि हालांकि, ‘उद्धरण गणना’ द्वारा मापे गए शोध प्रभाव के संदर्भ में, भारत 2017-2022 की अवधि के लिए विश्व में नौवें स्थान पर है।
बेन सॉटर ने कहा कि यह एक प्रभावशाली परिणाम है और उच्च गुणवत्ता वाले प्रभावशाली अनुसंधान को प्राथमिकता देना तथा अकादमिक समुदाय के भीतर इसका प्रसार अगला कदम है।
क्यूएस के अनुसार एशिया क्षेत्रीय संदर्भ में, भारत ने विश्वविद्यालयों की संख्या (69) के मामले में दूसरा स्थान हासिल किया है और केवल चीन (101) ही उससे आगे है।