उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश में तीस लाख करोड़ के निवेश को दावे को पेड मीडिया ने जितने जोर-शोर से प्रचारित करना शुरू किया उतनी शिद्दत से इस निवेश के कारण किसानों की ज़मीनों की लूट और हड़प की मंशा पर विचार नहीं किया गया लेकिन अयोध्या में हुई ज़मीनों की लूट और प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में विभिन्न योजनाओं के लिए कि सानों की ज़मीन औने-पौने में हथिया लेने की चालाकियों ने लोगों के कान खड़े कर दिए हैं। इस निवेश की सचाई बहुत भयावह है। उत्तर प्रदेश में भूमि अधिग्रहण सम्बन्धी स्थितियों और गतिविधियों पर मनीष शर्मा की यह खोजपूर्ण रिपोर्ट।
किसी राज्य का ओडीएफ प्लस (खुले में शौच से मुक्त राज्य) का दर्जा हासिल हो जाना हमारे देश में एक बड़ी उपलब्धि है। उत्तर प्रदेश को वर्ष 2023 में सौ प्रतिशत ओडीएफ प्लस घोषित कर दिया गया था लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है। सरकार के दावे लगातार गलत साबित हो रहे हैं। वाराणसी के आराजी लाइन ब्लॉक का गाँव सजोई कुछ ऐसी ही तस्वीर पेश कर रहा है। पढ़िये ओडीएफ की सच्चाई की पड़ताल करती अपर्णा की ग्राउंड रिपोर्ट
मथुरा के राधाकुंड कसबे में करीब एक वर्ष पहले पूजा करने जा रहे व्यक्ति ने छः वर्ष के खेलते बच्चे से छू जाने कारण उसे सड़क पर पटक-पटक कर मार डाला था। आज मथुरा जिला अदालत ने दोषी को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए जेल भेज दिया।
बसपा ने वाराणसी से भाजपा प्रत्याशी पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ अतहर जमाली लारी को उतारा है तथा जौनपुर से पूर्व सांसद धनंजय सिंह की पत्नी कला सिंह को टिकट देकर जौनपुर में चुनाव को दिलचस्प बना दिया है।
गोरखपुर लोकसभा सीट से सपा प्रत्याशी काजल निषाद को प्रचार के दौरत रविवार की शाम में हार्ट अटैक आ गया जिसके बाद चिकित्सकों ने उन्हें लखनऊ रेफर कर दिया, सपा नेताओं ने गोरखपुर की चिकित्सा व्यवस्था पर उठाया सवाल।
गागलहेड़ी इलाके के गांव रसूलपुर पापड़ेकी में किसान विनोद कुमार ने बैंक के कर्ज में डूबे होने के कारण आत्महत्या कर ली। मृतक किसान के बेटे ने बैंक कर्मचारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की है।
जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश में आए दिन महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनाएं घटित हो रही हैं उससे यह प्रतीत होता है कि सरकार लोगों को सुरक्षा देने में नाकाम साबित हो रही है।
उत्तर प्रदेश में आए दिन सरकारी राशन की दुकानों पर कम खाद्यान्न वितरण के साथ ही घटतौली की शिकायत मिलती रहती हैं। इसी क्रम में ताजा मामला गाजीपुर जिले के जमानिया के भरईपुर का है। ग्रामीणों की शिकायत थी कि बीते दिसम्बर माह में खाद्यान्न का वितरण बेहद कम हुआ।