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क्या चाचा शिवपाल लगाएंगे भतीजे अखिलेश की नैया पार ?

2017 में नेताजी मुलायम सिंह यादव का कुनबा राजनैतिक तौर पर भाई शिवपाल यादव के रूप में बिखर गया था, क्या वह कुनबा 2022 मैं फिर से एकजुट होगा? इसकी चर्चा गुरुवार 16 दिसंबर को उस समय होती हुई दिखाई दी जब अखिलेश यादव अपने चाचा शिवपाल यादव से मिलने उनके घर गए।  शिवपाल यादव […]

2017 में नेताजी मुलायम सिंह यादव का कुनबा राजनैतिक तौर पर भाई शिवपाल यादव के रूप में बिखर गया था, क्या वह कुनबा 2022 मैं फिर से एकजुट होगा?

इसकी चर्चा गुरुवार 16 दिसंबर को उस समय होती हुई दिखाई दी जब अखिलेश यादव अपने चाचा शिवपाल यादव से मिलने उनके घर गए।  शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच हुई मुलाकात की चर्चा मीडिया में तेजी से फैलने लगी और कयास लगे कि चाचा और भतीजा मिलकर भाजपा से 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की हुई हार का बदला 2022 के विधानसभा चुनाव में लेंगे। सवाल यह है कि क्या शिवपाल यादव 2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव की नैया पार लगाएंगे ? यह सवाल इसलिए राजनैतिक परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण है, क्योंकि 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की नैया कुछ हद तक शिवपाल यादव के कारण डूबी थी क्योंकि शिवपाल यादव ने नाराज होकर अपनी प्रजातांत्रिक समाजवादी पार्टी बना ली थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने मुलायम सिंह यादव के बिखरे हुए कुनबे का अपने प्रचार में भरपूर फायदा उठाया, नतीजा यह हुआ की सत्ता पर रहने के बाद भी समाजवादी पार्टी 2017 के विधानसभा चुनाव में 50 सीटों का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाई। जहां तक शिवपाल यादव की बात करें तो, शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी और नेताजी मुलायम सिंह यादव के लिए मजबूत राजनीतिक ताकत थी, शिवपाल यादव उत्तर प्रदेश की राजनीति में बहुत बड़े राजनीतिक रणनीतिकार नेता माने जाते हैं, चुनाव में जातीय समीकरण की राजनीति के शिवपाल यादव पुरोधा माने जाते हैं और उनकी राजनीतिक इस ताकत की वजह से 2012 में समाजवादी पार्टी पहली बार बहुमत के साथ उत्तर प्रदेश की सत्ता में आई थी तब शिवपाल यादव मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदार थे मगर मुलायम सिंह यादव ने भाई शिवपाल यादव को मुख्यमंत्री नहीं बना कर पुत्र अखिलेश यादव को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया। उस समय नेताजी से शिवपाल यादव की नाराजगी की चर्चा भी खूब हुई  और अंत में 2017 के विधानसभा चुनाव में शिवपाल यादव की नाराजगी समाजवादी पार्टी से बगावत के रूप में सामने आई शिवपाल यादव ने अपनी अलग पार्टी प्रजातंत्र समाजवादी पार्टी बनाई और समाजवादी पार्टी से अलग होकर चुनाव लड़ा, परिणाम यह हुआ कि समाजवादी पार्टी 2017 में भाजपा से बुरी तरह से चुनाव हारी !

समाजवादी पार्टी ने चुनाव हारने के बाद उत्तर प्रदेश में अपने आप को मजबूती के साथ बनाए रखा जिसका परिणाम आज अखिलेश यादव की जनसभाओं और रोड शो में जनसैलाब के रूप में दिखाई दे रहा है। अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी की बढ़ती लोकप्रियता, 2022 के विधानसभा चुनाव में एक निर्णायक टक्कर देती हुई नजर आ रही है, ऐसे में यदि अखिलेश यादव को चाचा शिवपाल यादव का साथ मिल जाए, तो भाजपा से 2017 की हार का बदला लेना और अधिक आसान हो जाएगा यह चर्चा शिवपाल यादव और अखिलेश यादव की मुलाकात के बाद राजनीतिक गलियारों में तेजी से सुनाई देने लगी है।

वैसे तो शिवपाल यादव ने भतीजे अखिलेश यादव की ताकत को भी महसूस कर लिया होगा?

वरिष्ठ पत्रकार देवेंद्र यादव कोटा राजस्थान में रहते हैं। 

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