219वां दिन, 3 जुलाई 2021
भारत सरकार ने बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए दालों पर स्टॉक सीमा लगाई – किसान सही साबित हुए क्योंकि यह किसानों के आंदोलन के कारण सुप्रीम कोर्ट द्वारा ईसीए संशोधन अधिनियम 2020 के निलंबन के कारण संभव था।
महाराष्ट्र विकास अघाड़ी का महाराष्ट्र सरकार को किसान आंदोलन पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए – केंद्रीय कृषि मंत्री को यह महसूस करना चाहिए कि किसान तब तक नहीं झुकेंगे जब तक कि कानूनों को पूर्ण रूप से निरस्त करने सहित उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाता: एसकेएम।
SKM ने प्रोफ़ेसर नोम चॉम्स्की को उनके समर्थन और सलाह के लिए धन्यवाद दिया
और अधिक संख्या में किसान दल प्रतिदिन विभिन्न विरोध स्थलों पर पहुंच रहे हैं
भारत सरकार ने बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए दालों पर स्टॉक सीमा लगा दी। किसान सही साबित हुए, क्योंकि यह कदम सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2020 में आवश्यक वस्तु अधिनियम में किए गए संशोधनों के कार्यान्वयन को निलंबित करने के कारण संभव हुआ था । ऐसी स्टॉक सीमा को हटाने और आपूर्ति श्रृंखला को डी-रेगुलेट करने के लिए संशोधन लाए गए। सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में किसानों के भारी प्रतिरोध और आंदोलन के कारण आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम 2020 सहित तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के कार्यान्वयन को निलंबित कर दिया।
तीन केंद्रीय कृषि कानूनों और जारी किसान आंदोलन पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार के विरोधाभासी बयानों के लिए महाराष्ट्र विकास अघाड़ी और राज्य सरकार द्वारा स्पष्ट स्पष्टीकरण की आवश्यकता है। संयुक्त किसान मोर्चा की मांग है कि इस तरह का स्पष्टीकरण तत्काल दिया जाए। एसकेएम ने राज्य सरकार को उन निगमों और केन्द्र सरकार के दबाव में आने के खिलाफ चेतावनी दी है जो कानूनों से लाभान्वित होंगे। जारी किसान संघर्ष के प्रमुख पहलुओं में से एक कृषि विपणन विषय पर राज्य सरकार का संवैधानिक अधिकार है। एमवीए ( MVA ) के तीनों दलों ने पूर्व में किसान आंदोलन और उसकी मांगों का समर्थन किया था। इसमें मुंबई के आजाद मैदान में 23 से 25 जनवरी 2021 तक एक विशाल महापड़ाव शामिल है, जिसमें एमवीए और अन्य नेताओं ने भी भाग लिया था, साथ ही मई 2021 में 12 राजनीतिक दलों द्वारा हस्ताक्षरित संघर्ष का समर्थन करने वाला एक बयान भी शामिल है। हाल ही में, जब किसान नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल महाराष्ट्र में श्री पवार से मुलाकात की, उन्होंने वास्तव में उन्हें किसानों की मांगों के लिए सरकार के समर्थन का आश्वासन दिया। रिपोर्ट किए गए बयान और उसके बाद के स्पष्टीकरण भ्रम पैदा कर रहे हैं, और भाजपा सरकार अपेक्षित रूप से इस अवसर का लाभ उठा रही है। एसकेएम केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर को सूचित करना चाहता है कि वह संशोधन के लिए श्री पवार के कथित सुझाव के साथ जो करना चाहते हैं वह कर सकते हैं, लेकिन विरोध करने वाले किसान तबतक नहीं हटेगे जबतक कृषि कानूनों को निरस्त करने की उनकी मांग को पूरा नहीं किया जाता ।
[bs-quote quote=”एक व्यक्ति हैं बीकेयू राजेवाल से जुड़े हसनपुर खुराद (गुरदासपुर जिला, पंजाब) के बलजिंदर सिंह, जो 26 नवंबर 2020 से दिल्ली बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन की शुरुआत से सिंघू बॉर्डर पर जमे हैं। वह आंदोलन के एक निडर सिपाही हैं और इस आंदोलन को जीत की ओर ले जाने के अलावा उनके लिए कोई बड़ा बलिदान नहीं है। वह यहां अपने छोटे बच्चों और परिवार के साथ 7 महीने से अधिक समय से है। वह केवल 32 वर्ष के हैं और तीन भाइयों के परिवार में सबसे छोटा है। उन्होंने इस आंदोलन के माध्यम से किसानों के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए अपना छोटा ईंट भट्ठा व्यवसाय और एक एकड़ जमीन छोड़ दी है। सिंघू बॉर्डर पर, बलजिंदर सिंह स्टेज से संबंधित लॉजिस्टिक्स में मदद करते हैं।” style=”style-2″ align=”center” color=”” author_name=”” author_job=”” author_avatar=”” author_link=””][/bs-quote]
संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रो नोम चॉम्स्की को “भारत के संघर्षरत किसानों को सलाह और प्रोत्साहन के कुशल और उत्साही शब्दों” के लिए धन्यवाद दिया। प्रो चॉम्स्की को भेजे गए एक पत्र में, एसकेएम ने उल्लेख किया कि खेती और खाद्य सुरक्षा पर कॉर्पोरेट कब्जे के हमले के लिए अपने दृढ़ और शांतिपूर्ण प्रतिरोध को जारी रखने हेतु उनकी “सैद्धांतिक एकजुटता भौर समर्थन ने किसानों के संकल्प को मजबूत किया है।”
पंजाब और उत्तर प्रदेश में, किसान अपनी धान की फसल के सूखने तथा लगातार और लंबी बिजली कटौती के कारण फसल के नुकसान से चिंतित हैं। इस समस्या के समाधान के लिए विभिन्न स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। पंजाब के किसान संघों ने भी राज्य सरकार को 5 जुलाई 2021 तक मामले को सुलझाने का अल्टीमेटम जारी किया है।
एसकेएम नोट करता है कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने किसानों के विरोध के कारण राजमार्ग संचालकों को उनके कुल राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए कदम आगे बढ़ाया है । वहीं किसानों के मामले में (जब वे अपनी उपज का विक्रय करते हैं और लाभकारी मूल्य न मिल पाने के कारण नुकसान उठाते हैं) सरकारें स्पष्ट रूप से ऐसी सहायक नीति नहीं अपनाते हैं।
ट्रैक्टर रैलियों और अन्य माध्यमों से किसानों का कई जत्था विभिन्न धरना स्थलों पर पहुंच रहा है। गाजीपुर सीमा पर शामली और मेरठ से किसानों के आने की उम्मीद है। कई किसान राजस्थान के विभिन्न जिलों जैसे कोटा, बूंदी, हनुमानगढ़ और जोधपुर से शाहजहांपुर विरोध स्थल के लिए रवाना हो गए हैं। अलवर जिले के भवाल चौरासी खाप गांव से शाहजहांपुर के लिए एक बड़ा काफिला जल्द पहुंचने की उम्मीद है। बीकेयू चढूनी के नेतृत्व में काफिला आज चंडीगढ़ से सिंघू बॉर्डर के लिए रवाना हुआ।
किसान आंदोलन को उन असाधारण व्यक्तियों से ताकत मिलती है जो विरोध में शामिल हुए हैं। ये ऐसे नागरिक हैं जो महसूस करते हैं कि यह ऐतिहासिक विरोध देश में किसानों और खेती के भविष्य को महत्वपूर्ण रूप से निर्धारित करेगा। ऐसे ही एक व्यक्ति हैं बीकेयू राजेवाल से जुड़े हसनपुर खुराद (गुरदासपुर जिला, पंजाब) के बलजिंदर सिंह, जो 26 नवंबर 2020 से दिल्ली बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन की शुरुआत से सिंघू बॉर्डर पर जमे हैं। वह आंदोलन के एक निडर सिपाही हैं और इस आंदोलन को जीत की ओर ले जाने के अलावा उनके लिए कोई बड़ा बलिदान नहीं है। वह यहां अपने छोटे बच्चों और परिवार के साथ 7 महीने से अधिक समय से है। वह केवल 32 वर्ष के हैं और तीन भाइयों के परिवार में सबसे छोटा है। उन्होंने इस आंदोलन के माध्यम से किसानों के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए अपना छोटा ईंट भट्ठा व्यवसाय और एक एकड़ जमीन छोड़ दी है। सिंघू बॉर्डर पर, बलजिंदर सिंह स्टेज से संबंधित लॉजिस्टिक्स में मदद करते हैं।
)जारीकर्ता – बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हन्नान मोल्ला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा (कक्का जी), युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव)।