भारत के जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता और चिन्तक-लेखक विद्या भूषण रावत सही अर्थों में एक जिंदादिल व्यक्ति हैं. अकेले बूते पर उन्होंने जितना काम किया है वह किसी के लिए भी श्लाघनीय हो सकता है. वे ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने भारत के अनेक राज्यों की यात्राओं के साथ ही वहां के जनजीवन का गहराई से अध्ययन किया. इसके साथ ही वे दुनिया के पांच दर्जन से अधिक देशों की यात्रा की और अपना एक विश्व-दृष्टिकोण विकसित किया. वे चलते-फिरते अजायबघर हैं जिसमें अनेक प्रकार के अनुभवों का विशाल खज़ाना है. आज विद्या जी की एक बड़ी पहचान है लेकिन उनका जीवन बहुत कठिन संघर्षों से गुजरा है और आज भी वे कम नहीं हुए हैं. सात साल के उम्र में पिता के निधन के बाद उनकी माँ ने बड़ी मुश्किल से अपने बच्चों को पढाया-लिखाया. यह एपिसोड विद्या भूषण रावत के जीवन संघर्षों को लेकर रामजी यादव से की गई बातचीत पर आधारित है.
इधर बीच
ग्राउंड रिपोर्ट
मुल्कराज आनंद ने मुझसे पहला ही सवाल किया कि क्या तुम टॉयलेट साफ़ कर सकते हो?
भारत के जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता और चिन्तक-लेखक विद्या भूषण रावत सही अर्थों में एक जिंदादिल व्यक्ति हैं. अकेले बूते पर उन्होंने जितना काम किया है वह किसी के लिए भी श्लाघनीय हो सकता है. वे ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने भारत के अनेक राज्यों की यात्राओं के साथ ही वहां के जनजीवन का गहराई से अध्ययन […]

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गाँव के लोग
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