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दिल्ली में वायु गुणवत्ता बेहद खराब, मुख्यमंत्री केजरीवाल ने बुलायी बैठक

नई दिल्ली (भाषा)। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में सोमवार सुबह प्रदूषण का स्तर सरकार द्वारा तय सुरक्षित स्तर से सात से आठ गुना अधिक दर्ज किया गया और लगातार सातवें दिन क्षेत्र के ऊपर वातावरण में जहरीली धुंध छाई रही। दिल्ली में रविवार को प्रदूषण फैलाने वाले ट्रकों के प्रवेश पर  सख्त प्रतिबंध लगा दिया गया […]

नई दिल्ली (भाषा)। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में सोमवार सुबह प्रदूषण का स्तर सरकार द्वारा तय सुरक्षित स्तर से सात से आठ गुना अधिक दर्ज किया गया और लगातार सातवें दिन क्षेत्र के ऊपर वातावरण में जहरीली धुंध छाई रही। दिल्ली में रविवार को प्रदूषण फैलाने वाले ट्रकों के प्रवेश पर  सख्त प्रतिबंध लगा दिया गया है । हवाओं की प्रतिकूल दशाओं तथा समूचे उत्तर भारत में पराली जलाने की घटनाओं में तेजी के कारण तीन दिनों में यहां की वायु गुणवत्ता दूसरी बार अत्यंत गंभीर की श्रेणी में दर्ज की गई।

हर दिन शाम चार बजे दर्ज किया जाने वाला पिछले 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) शनिवार के 415 से बढ़कर रविवार को 454 दर्ज किया गया, जिसके कारण केंद्र ने अपनी वायु गुणवत्ता नियंत्रण योजना ‘ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान’ (ग्रैप) के अंतिम चौथे चरण के तहत जरूरी सभी आपात उपायों को लागू किया।

ग्रैप की श्रेणी में चार चरण आते हैं :

[bs-quote quote=”पहला चरण – ‘खराब’ (एक्यूआई 201-300), दूसरा चरण – ‘बेहद खराब’ (एक्यूआई 301-400), तीसरा चरण – ‘गंभीर’ (एक्यूआई 401-450) और चौथा चरण – अत्यंत गंभीर (एक्यूआई 450)। दिल्ली में एक्यूआई सोमवार सुबह सात बजे 440 था। पड़ोसी राज्य हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में कई शहरों में वायु गुणवत्ता खतरनाक श्रेणी में पहुंचने की सूचना है। पास के गाजियाबाद (413), गुरुग्राम (369), नोएडा (403), ग्रेटर नोएडा (396) और फरीदाबाद (426) में भी वायु गुणवत्ता सुबह सात बजे खतरनाक श्रेणी में दर्ज की गई। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, आगामी पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से प्रदूषकों को तितर बितर करने के लिए अनुकूल परिस्थितियां मंगलवार रात से बनने की संभावना है। इसके कारण उत्तर पश्चिम भारत में बेमौसम बारिश हो सकती है।” style=”style-7″ align=”center” color=”” author_name=”” author_job=”” author_avatar=”” author_link=””][/bs-quote]

श्वसन प्रणाली में गहरे तक जाने में सक्षम और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा करने वाले अत्यंत सूक्ष्म कण पीएम 2.5 की सांद्रता पूरे दिल्ली-एनसीआर में कई स्थानों पर सरकार द्वारा निर्धारित 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की तय सीमा से सात से आठ गुना अधिक है। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निर्धारित 15 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की स्वस्थ सीमा से 30 से 40 गुना अधिक था। चिकित्सकों के अनुसार, जहरीली धुंध मौजूदा श्वसन समस्याओं वाले लोगों के लिए गंभीर समस्याएं पैदा कर रही है। वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन, धान की पराली जलाने, पटाखों और अन्य स्थानीय प्रदूषण स्रोतों के साथ मौसम संबंधी प्रतिकूल परिस्थितियां हर साल सर्दियों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में खतरनाक वायु गुणवत्ता स्तर में योगदान करती हैं।

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के अनुसार, राजधानी में एक नवंबर से 15 नवंबर तक प्रदूषण उस समय चरम पर होता है, जब पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं की संख्या बढ़ जाती है। नयी दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के अनुसार, रविवार को उत्तर भारत से खेतों में पराली जलाने की कुल 4,160 घटनाएं हुईं – जो इस मौसम में अब तक की सबसे अधिक घटनाएं हैं।

पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर के आंकड़ों के मुताबिक, अकेले पंजाब में पराली जलाने की 3,230 घटनाएं दर्ज की गईं, जो इस मौसम में अब तक एक दिन में राज्य में सबसे ज्यादा है। क्षेत्र में प्रदूषण से निपटने को लेकर रणनीति तैयार करने के लिए जिम्मेदार वैधानिक निकाय, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने दिल्ली और एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) राज्यों से सार्वजनिक परियोजनाओं से संबंधित निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध लगाने और सरकारी एवं निजी कार्यालयों में 50 प्रतिशत कर्मचारियों को घर से काम करने की अनुमति देने के लिए कहा है।

ग्रैप के चौथे चरण के तहत, अन्य राज्यों से केवल सीएनजी, इलेक्ट्रिक और बीएस छह-अनुपालक वाहनों को दिल्ली में प्रवेश की अनुमति है। केवल आवश्यक सेवाओं से जुड़े वाहनों को छूट दी गई है। सीएक्यूएम के हालिया आदेश के अनुसार, आवश्यक सेवाओं में शामिल नहीं होने वाले सभी मध्यम और भारी माल वाहनों के प्रवेश पर भी राजधानी में प्रतिबंध लगा दिया गया है। सीएक्यूएम ने दो नवंबर को गैर-आवश्यक निर्माण कार्य और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की विशिष्ट श्रेणियों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया।

तापमान में धीरे-धीरे गिरावट, प्रदूषकों को तितर बितर करने में असमर्थ मंद हवाएं और पंजाब और हरियाणा में कटाई के बाद पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि के कारण पिछले सप्ताह दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता में गिरावट आई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, 27 अक्टूबर से तीन नवंबर के बीच दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक 200 अंक से अधिक बढ़ गया, जो शुक्रवार को ‘अत्यंत गंभीर’ की श्रेणी में पहुंच गया। शुक्रवार का 24 घंटे का औसत एक्यूआई (468) 12 नवंबर, 2021 को दर्ज किए गए 471 के पिछले उच्च स्तर के बाद से सबसे खराब था। राष्ट्रीय राजधानी वायु संकट से जूझ रही है, जबकि दिल्ली में प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों की पहचान करने और इसके अनुसार कार्रवाई करने में मदद करने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा शुरू किया गया अपनी तरह का पहला अध्ययन हाल में डीपीसीसी अध्यक्ष अश्विनी कुमार के आदेश पर रोक दिया गया था।

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय के अनुसार, अश्विनी कुमार ने क्षेत्र में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए दो साल पहले कनॉट प्लेस में स्थापित एक बड़े स्मॉग टॉवर के संचालन को ‘एकतरफा’ रोकने का आदेश दिया। दुनिया के देशों में राजधानी शहरों में दिल्ली की वायु गुणवत्ता सबसे खराब है। अगस्त में शिकागो विश्वविद्यालय में ऊर्जा नीति संस्थान (ईपीआईसी) की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि वायु प्रदूषण दिल्ली में लोगों की लगभग 12 साल की उम्र कम कर रहा है।

राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण के बढ़ते स्तर के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है।

बैठक में पर्यावरण मंत्री गोपाल राय और अन्य संबंधित विभाग शामिल होंगे।

वायु गुणवत्ता के अति गंभीर’ श्रेणी में पहुंचने से कड़े प्रतिबंध लागू

 दिल्ली-एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में रविवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के ‘अति गंभीर’ श्रेणी में पहुंचने के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी में सार्वजनिक परियोजनाओं से संबंधित निर्माण कार्य और प्रदूषण फैलाने वाले ट्रक तथा चार पहिया वाणिज्यिक वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लागू कर दिया गया। दिल्ली-एनसीआर में लगातार छठे दिन जहरीली धुंध छाई रही, जिससे दृश्यता का स्तर कम हो गया और सांस की समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए परेशानियां बढ़ गईं। दिल्ली में 24 घंटे का औसत एक्यूआई अपराह्न चार बजे 454 दर्ज किया गया।

इसके परिणामस्वरूप शहर में क्रमिक प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) के चौथे व अंतिम चरण के तहत प्रतिबंध लागू किए गए, जिसमें अन्य राज्यों से केवल सीएनजी, इलेक्ट्रिक और बीएस-छह मानक का पालन करने वाले वाहनों को दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति होगी। वहीं, आवश्यक सेवाओं में शामिल वाहनों को इस प्रतिबंध से छूट मिलेगी।

नयी दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के मुताबिक, रविवार को उत्तर भारत से पराली जलाने की कुल 4,160 घटनाएं सामने आईं, जो इस मौसम में अब तक की सबसे अधिक घटनाएं हैं। वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या केवल दिल्ली तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पड़ोसी राज्य हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में भी वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर तक पहुंच गई है।

[bs-quote quote=”केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, पंजाब के बठिंडा में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 375, मंडी गोबिंदगढ़ में 291, खन्ना में 255, पटियाला में 248 और लुधियाना में 243 दर्ज किया गया। हरियाणा में कई स्थानों पर वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज की गई। फरीदाबाद में एक्यूआई 450, फतेहाबाद में 442, कैथल में 434, हिसार में 427, गुरुग्राम में 402, जींद में 401, सिरसा में 390, रोहतक में 362, पानीपत में 346, कुरूक्षेत्र में 330 और करनाल में 319 रहा।

पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी चंडीगढ़ में एक्यूआई 212 दर्ज किया गया। वहीं, गाजियाबाद में एक्यूआई 494, जबकि गुरुग्राम में 402, नोएडा में 414, ग्रेटर नोएडा में 410 और फरीदाबाद में 450 रहा। एक्यूआई शून्य से 50 के बीच ‘अच्छा’, 51 से 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 से 450 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है। एक्यूआई के 450 से ऊपर हो जाने पर इसे ‘अति गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है।” style=”style-7″ align=”center” color=”” author_name=”” author_job=”” author_avatar=”” author_link=””][/bs-quote]

दिल्ली-एनसीआर में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम)-2.5 की सांद्रता कई जगहों पर भारत सरकार द्वारा निर्धारित 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सुरक्षित सीमा से सात-आठ गुना अधिक दर्ज की गई है। ये सूक्ष्म कण सांस के माध्यम से शरीर के भीतर तक प्रवेश करने और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा करने में सक्षम हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निर्धारित पांच माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सीमा के मुकाबले दिल्ली में पीएम 2.5 की सांद्रता 80 से 100 गुना दर्ज की गई है।

बीते सप्ताह से दिल्ली-एनसीआर में तापमान में धीरे-धीरे गिरावट होने, प्रदूषण में सहायक शांत हवा की उपस्थिति और पंजाब तथा हरियाणा में पराली जलाने से वायु गुणवत्ता बहुत खराब हो गई है। क्रमिक प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) के चौथे व अंतिम चरण के तहत अन्य राज्यों से केवल सीएनजी, इलेक्ट्रिक और बीएस-छह मानक का पालन करने वाले वाहनों को दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति होगी। वहीं, आवश्यक सेवाओं में शामिल वाहनों को इस प्रतिबंध से छूट मिलेगी।

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के नवीनतम आदेश के अनुसार, आवश्यक सेवाओं में शामिल नहीं होने वाले सभी मध्यम और भारी मालवाहक वाहनों के भी राजधानी में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। आदेश में आवश्यक वस्तुओं को ले जाने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों, सीएनजी और बीएस-6 अनुपालक वाहनों को छोड़कर, दिल्ली के बाहर पंजीकृत हल्के वाणिज्यिक वाहनों के प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसमें कहा गया है, ‘यह निर्देश आवश्यक वस्तुओं जैसे कच्ची सब्जियां, फल, अनाज, दूध, अंडे या बर्फ, जिन्हें खाद्य पदार्थों के रूप में उपयोग किया जाना है, ले जाने वाले वाहनों और पेट्रोलियम उत्पादों को ले जाने वाले टैंकरों पर लागू नहीं होगा।’ अधिकारियों के मुताबिक, परिवहन विभाग ने प्रतिबंधों को लागू करने के लिए 18 टीमें तैनात की हैं। एक अधिकारी ने कहा, ‘हम ताजा प्रतिबंधों को लागू करने के लिए चार से पांच और टीम तैनात करेंगे। विभाग के पास कुल 114 प्रवर्तन टीमें हैं।’

इस बीच, दिल्ली सरकार ने बच्चों को प्रदूषण से बचाने के प्रयास के तहत सभी प्राथमिक विद्यालयों को 10 नवंबर तक बंद करने की भी घोषणा की है। वहीं, दिल्ली अग्निशमन सेवा ने वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कई स्थानों पर पानी का छिड़काव करने के लिए दमकल की 12 गाड़ियों को लगाया है।

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