विकसित भारत के तमाम दांवो की पोल तब खुलने लगते हैं जब हम हाशिये पर जीवन गुजारने वाले असंख्य समुदायों को देखते हैं जिनके पास रहने के लिए एक आदद छत तक नहीं है। इन्हीं में से एक है बांसफोर समाज जो न जाने कब से खानाबदोश जिंदगी गुजार रहा है। अब तो उसकी कारीगरी भी बाजार नें इतने पीछे धकेल दिया है कि दो वक्त का चूल्हा चलाना भी मुश्किल हो गया है।
इधर बीच
ग्राउंड रिपोर्ट
Banaras : बांसफोर समाज की स्थिति में कब स्थायित्व आएगा!
विकसित भारत के तमाम दांवो की पोल तब खुलने लगते हैं जब हम हाशिये पर जीवन गुजारने वाले असंख्य समुदायों को देखते हैं जिनके पास रहने के लिए एक आदद छत तक नहीं है। इन्हीं में से एक है बांसफोर समाज जो न जाने कब से खानाबदोश जिंदगी गुजार रहा है। अब तो उसकी कारीगरी […]


गाँव के लोग
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