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बिहार : शराब पीने के आरोप में गिरफ्तार व्यक्ति की हवालात में मौत

मुंगेर(भाषा)। बिहार में शराब पीने के आरोप में गिरफ्तार 22 वर्षीय एक युवक मुंगेर जिले में एक पुलिस थाने में हवालात में मृत मिला। एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि मृतक की पहचान मुंगेर में बागेश्वरी इलाके के रहने वाले अमन के रूप में की गई है। उन्होंने बताया […]

मुंगेर(भाषा)। बिहार में शराब पीने के आरोप में गिरफ्तार 22 वर्षीय एक युवक मुंगेर जिले में एक पुलिस थाने में हवालात में मृत मिला। एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि मृतक की पहचान मुंगेर में बागेश्वरी इलाके के रहने वाले अमन के रूप में की गई है। उन्होंने बताया कि निषेध विभाग पुलिस थाने में हवालात से जुड़े शौचालय के रोशनदान से उसका शव देर रात दो बजे लटका मिला। अमन को बिहार निषेध, उत्पाद शुल्क और पंजीकरण विभाग के अधिकारियों ने शराब पीने और राज्य के शराबबंदी कानूनों का उल्लंघन करने के आरोप में बृहस्पतिवार को गिरफ्तार किया था।
बिहार में अप्रैल 2016 से शराब की बिक्री और सेवन पर प्रतिबंध है।
निरीक्षक (उत्पाद एवं निषेध विभाग) सुमन कुमार ने संवाददाताओं को बताया कि अमन बृहस्पतिवार-शुक्रवार की रात दो बजे हवालात से जुड़े शौचालय में फंदे से लटकता मिला। उन्होंने कहा, ‘उसे तुरंत जिला सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।’ उन्होंने आगे बताया, ‘उसे चिकित्सकीय जांच के बाद चार अन्य लोगों के साथ हवालात में रखा गया था। मामले की जांच की रही है।

देखा जाय तो देश में पुलिस हिरासत में मौत के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को राज्यसभा को बताया कि देशभर में पिछले पांच सालों में पुलिस हिरासत में मौत के कुल 669 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा 175 मामले 2021 से 2022 के बीच में सामने आए हैं। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों का हवाला देते हुए एक लिखित उत्तर में राज्यसभा में बताया कि साल 2021 से 2022 के बीच में पुलिस हिरासत में मौत के कुल 175, 2020 से 2021 में 100, 2019 से 2020 में 112, 2018 से 2019 में 136 और 2017 से 2018 में 146 मामले दर्ज किए गए हैं।

यानी 1 अप्रैल 2017 से लेकर 31 मार्च 2022 तक पुलिस हिरासत में मौत के कुल 669 मामले दर्ज हुए। नित्यानंद राय ने बताया कि एनएचआरसी ने पुलिस हिरासत में मौत की घटनाओं में 1 अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2022 की अवधि के दौरान 201 मामलों में 5,80,74,998 रुपये की आर्थिक राहत और एक मामले में अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की।

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