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कांग्रेस की जीत में चन्नी का जादू और सिद्धू की कुंठा

उत्तर प्रदेश का चुनाव जहां भारतीय जनता पार्टी के लिए महत्वपूर्ण चुनाव है, वहीं पंजाब का चुनाव भी कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है। उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार है तो पंजाब में कांग्रेस की सरकार है। इस लिहाज़ से उत्तर प्रदेश का चुनाव भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है तो पंजाब का चुनाव कांग्रेस के […]

उत्तर प्रदेश का चुनाव जहां भारतीय जनता पार्टी के लिए महत्वपूर्ण चुनाव है, वहीं पंजाब का चुनाव भी कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है। उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार है तो पंजाब में कांग्रेस की सरकार है। इस लिहाज़ से उत्तर प्रदेश का चुनाव भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है तो पंजाब का चुनाव कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है। दोनों ही पार्टियां लगातार अपने-अपने राज्यों में दूसरी बार सरकार बनाने के लिए चुनावी मैदान में हैं। दोनों अपनी-अपनी सरकार को बचाने के लिए चुनावी मैदान में हैं? क्या दोनों ही पार्टियां अपने-अपने राज्यों में यह कमाल कर पाएंगी?

[bs-quote quote=”भले ही कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया और उसके बाद विधानसभा चुनाव में चन्नी को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया हो, लेकिन हाईकमान के इस फैसले को चुनौती देने के लिए नवजोत सिंह सिद्धू के पास केवल एक ही राजनीतिक ऑप्शन बचा है और वह यह है कि पंजाब विधानसभा चुनाव में अपने समर्थक कांग्रेसी प्रत्याशियों को ज्यादा से ज्यादा विजयश्री दिलवाना।” style=”style-2″ align=”center” color=”” author_name=”” author_job=”” author_avatar=”” author_link=””][/bs-quote]

जहां तक पंजाब और सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस के सामने पंजाब में चुनौती बड़ी है। पंजाब में कॉन्ग्रेस के सामने, 2017 के विधानसभा चुनाव से अलग चुनौतियां हैं। 2017 में उसके सामने अकाली दल चुनौती बनकर खड़ा हुआ था जिसका भाजपा के साथ गठबंधन था। मगर इस बार कांग्रेस को आम आदमी पार्टी की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। चुनाव से पहले कांग्रेस में हुई बड़ी बगावत भी पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की चुनौती के रूप में  खड़ी हुई है। कैप्टन ने भाजपा से गठबंधन किया है।
अब सवाल उठता है कि क्या मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी का जादू कांग्रेस को चुनाव जितवा पाएगा या फिर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की कुंठा कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती बनेगी? पंजाब विधानसभा का चुनाव कांग्रेस के लिए नफा और नुकसान क्रमशः चरणजीत सिंह चन्नी और नवजोत सिंह सिद्धू के जादू और कुंठा पर आकर टिकता हुआ दिखाई देने लगा है। यदि चुनाव से पहले और चुनाव की घोषणा होने के बाद के कांग्रेस के राजनैतिक घटनाक्रम पर नजर डालें तो पंजाब विधानसभा का चुनाव कांग्रेस के नेता मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के लिए बड़ी राजनीतिक चुनौती है।दोनों ही नेताओं के लिए पंजाब विधानसभा का चुनाव जीतना महत्वपूर्ण है। सबसे बड़ी चुनौती नवजोत सिंह सिद्धू के लिए है।

[bs-quote quote=”भले ही कांग्रेस ने मुख्यमंत्री का चेहरा चरणजीत सिंह चन्नी को घोषित कर दिया है मगर असली चेहरा कौन है यह तो विधानसभा चुनाव जीतने के बाद ही पता चलेगा. ऐसे में सवाल उठता है कि पंजाब में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी का जादू चलेगा या फिर नवजोत सिंह सिद्धू की कुंठा परवान चढ़ेगी? इसका हमें 10 मार्च तक इंतजार करना होगा।” style=”style-2″ align=”center” color=”” author_name=”” author_job=”” author_avatar=”” author_link=””][/bs-quote]

नवजोत सिंह सिद्धू को सिद्ध करना पड़ेगा कि वे पंजाब में एक कद्दावर और पार्टी जिताऊ नेता हैं। सिद्धू के सामने बड़ी चुनौती यह है कि उन्होंने अपने जितने भी समर्थक प्रत्याशी खड़े किए हैं वे सारे प्रत्याशी जीत दर्ज करें? सिद्धू समर्थक प्रत्याशियों की जीत ही सिद्धू का राजनीतिक भविष्य निर्धारित करेगी।
भले ही कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया और उसके बाद विधानसभा चुनाव में चन्नी को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया हो, लेकिन हाईकमान के इस फैसले को चुनौती देने के लिए नवजोत सिंह सिद्धू के पास केवल एक ही राजनीतिक ऑप्शन बचा है और वह यह है कि पंजाब विधानसभा चुनाव में अपने समर्थक कांग्रेसी प्रत्याशियों को ज्यादा से ज्यादा विजयश्री दिलवाना। तभी सिद्धू पंजाब में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए हाईकमान पर प्रेशर बना पाएंगे !
जिस तरह पंजाब विधानसभा का चुनाव कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच टक्कर का दिखाई दे रही है, ठीक उसी तरह पंजाब के भावी मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर चरणजीत सिंह चन्नी और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच भी टक्कर का दिखाई दे रही है। भले ही कांग्रेस ने मुख्यमंत्री का चेहरा चरणजीत सिंह चन्नी को घोषित कर दिया है मगर असली चेहरा कौन है यह तो विधानसभा चुनाव जीतने के बाद ही पता चलेगा। ऐसे में सवाल उठता है कि पंजाब में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी का जादू चलेगा या फिर नवजोत सिंह सिद्धू की कुंठा परवान चढ़ेगी? इसका हमें 10 मार्च तक इंतजार करना होगा।
देवेंद्र यादव कोटा स्थित वरिष्ठ पत्रकार हैं।
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