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छतीसगढ़ : हसदेव अरण्य बचाओ समिति ने आंदोलनकारी और ग्रामीणों की गिरफ़्तारी का किया विरोध

रायपुर। अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा ने हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति से जुड़े आंदोलनकारियों और ग्रामीणों की गिरफ्तारियों की तीखी निंदा करते हुए उनकी तत्काल रिहाई की मांग की है। किसान सभा ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार परसा ईस्ट और केते बासेन (पीईकेबी) कोयला खदान  अडानी को सौंपना […]

रायपुर। अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा ने हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति से जुड़े आंदोलनकारियों और ग्रामीणों की गिरफ्तारियों की तीखी निंदा करते हुए उनकी तत्काल रिहाई की मांग की है। किसान सभा ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार परसा ईस्ट और केते बासेन (पीईकेबी) कोयला खदान  अडानी को सौंपना चाहती है और इसके खिलाफ होने वाले प्रतिरोध को सरकार कुचल रही है।
आज यहां जारी एक बयान में छत्तीसगढ़ किसान सभा के संयोजक संजय पराते ने कहा है कि हसदेव क्षेत्र को खनन मुक्त रखने के संबंध में छत्तीसगढ़ विधानसभा ने भाजपा के समर्थन में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था। आज भाजपा सत्ता में आने के बाद इस प्रस्ताव से मुकर रही है और अडानी की लूट के लिए खनन प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए पुलिस बल के साए में जंगल की कटाई करवा रही है।
किसान सभा के नेता ने कहा है कि भाजपा सरकार का यह कदम आदिवासी विरोधी और वनाधिकार कानून, पेसा कानून और भू-अर्जन कानून का उल्लंघन है, जो यह कहता है कि वन भूमि पर आदिवासी अधिकारों की स्थापना पहले की जाएगी और उसके बाद ही ग्राम सभाओं की सहमति से खनन प्रक्रिया आगे बढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा कि हसदेव क्षेत्र में वनों पर काबिज आदिवासियों को पट्टे देने के बजाए उनसे वन अधिकार पत्रक तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा छीन लिए गए थे।
किसान सभा क नेता ने कहा है कि हसदेव के जंगलों के विनाश का अर्थ है, बांगो बांध का अस्तित्व खत्म होना, पर्यावरण और जैव विविधता का खत्म होना, कृषि का चौपट होना, मानव-हाथी संघर्ष का बढ़ना और आदिवासियों का बड़े पैमाने पर विस्थापन। ये सभी कारक मिलकर छत्तीसगढ़ और आदिवासियों की विनाश लीला ही रचेंगे।
छत्तीसगढ़ किसान सभा ने कहा है कि विपक्ष में रहते हुए भाजपा ने इस प्रदेश के आदिवासियों से जो वादे किए थे, सत्ता में आने के बाद भाजपा उस पर अमल करें, न कि कॉर्पोरेटपरस्त आदिवासी विरोधी रुख अपनाए।
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