चंडीगढ़। हरियाणा में सियासी उठापटक के बीच नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने फ्लोर टेस्ट में बहुमत हासिल कर लिया है। हालांकि सदन में विश्वास मत को लेकर जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) ने अपने विधायकों के लिए व्हिप जारी किया था, जिसमें सभी विधायकों से सदन में अनुपस्थित रहने की बात कही गई थी।
इस बारे में जेजेपी ने मंगलवार को एक पत्र भी अपने विधायकों को जारी किया था। मनोहरलाल खट्टर के अचानक से अपने कैबिनेट मंत्रियों के साथ मुख्यमंत्री पद से मंगलवार को इस्तीफा दे दिया। इसके कुछ घंटे बाद भारतीय जनता पार्टी ने सैनी को हरियाणा का नया मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा की थी ।
इसी बीच सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार जेजेपी अध्यक्ष दुष्यंत चौटाला ने दिल्ली में स्थित अपने फार्म हाउस पर विधायकों की बैठक बुलाई थी, जिसमें दुष्यंत चौटाला, नैना चौटाला, रामकरण काला, अनूप धनक और अमरजीत धांडा शामिल हुए। बाकी अन्य पांच विधायक बैठक में नहीं पहुंचे। हालांकि इस बारे में जेजेपी के प्रवक्ता अरविंद भारद्वाज ने दावा करते हुए कहा कि हमारा कोई भी विधायक टूटने वालों में से नहीं है, हम सभी एक साथ एकजुट है।
अफवाहों का बाजार गर्म है जिसमें कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में सीट मांगने के बाद जेजेपी ने बीजेपी से अपनी रहे अलग कर ली है। फिलहाल इस बात की पुष्टि नहीं की जा सकती।
मंगलवार शाम को शपथ लेने के बाद सैनी ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल को 48 विधायकों के समर्थन का एक पत्र सौंपा है और उनसे भाजपा सरकार को सदन में बहुमत साबित करने के लिए बुधवार को विधानसभा सत्र बुलाने के लिए कहा है।
राज्य में बीजेपी-जेजेपी गठबंधन टूटने के संकेतों के बीच यह विश्वास प्रस्ताव लाया जा रहा है। हालांकि गठबंधन टूटने को लेकर अबतक औपचारिक घोषणा नहीं हुई है।
ऐसा माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने यह साफ कर दिया है कि वह हरियाणा में सभी 10 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। अगर हरियाणा राजनीति की बात करें तो वहां की राजनीति जाट और नान जाट वोटरों में बंटी हुई है।
जेजेपी को जाटों की पार्टी कहा जाता है, वहीं बीजेपी ने इसका फायदा उठाते हुए नॉन जाट नायब सैनी को हरियाणा का नया मुख्यमंत्री घोषित किया है। बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सभी 10 सीटों पर जीत हासिल की थी। ऐसे में गैर जाट वोटर को साधने के लिए बीजेपी ने जेजेपी को अलविदा कह दिया है।
आपको बता दें कि हरियाणा में 90 सीटों वाली विधानसभा में बहुमत के लिए 46 सीटों की जरूरत है। पिछले चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं हासिल हुआ था, तभी बीजेपी ने जेजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। इस सरकार में मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री और दुष्यंत चौटाला को उपमुख्यमंत्री बनाया गया था। लगभग 4 साल तक चले इस गठबंधन के बाद अब दोनों पार्टियों ने अपने रास्ते अलग कर लिए हैं।
बता दें कि हरियाणा विधानसभा में कुल 90 सीट हैं, जिसमें से 41 सीटें भाजपा के पास है। वहीं कांग्रेस के पास 30 विधायक है, जेजीपी के पास 10 विधायक, 7 विधायक निर्दलीय हैं और आईआरएलडी और हरियाणा लोकहित के पास एक-एक विधायक है।