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मंत्री से फीता न कटवाने की सजा मिली जिलाधिकारी को

मिर्ज़ापुर। मिर्जापुर जिले की पूर्व जिलाधिकारी दिव्या मित्तल के ऊपर इस बात की गाज गिरी कि महीनों की मेहनत के बाद उन्होंने उस गाँव में पानी पहुंचाने में सफलता पाई जहां टैंकर के दूषित पानी पीने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी लेकिन उनसे गलती यह हो गई कि उन्होंने […]

मिर्ज़ापुर। मिर्जापुर जिले की पूर्व जिलाधिकारी दिव्या मित्तल के ऊपर इस बात की गाज गिरी कि महीनों की मेहनत के बाद उन्होंने उस गाँव में पानी पहुंचाने में सफलता पाई जहां टैंकर के दूषित पानी पीने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी लेकिन उनसे गलती यह हो गई कि उन्होंने इसके लिए किसी मंत्री को नहीं बुलाया जिससे वह फूलमालाओं से लादा जाता और इस उपलब्धि के लिए फीता काटता। इससे प्रदेश की डबल इंजन सरकार को अपनी सफलताओं का ढोल पीटने का मौका नहीं मिल पाया। यह भाजपाई राजनीतिक संस्कृति में एक अपराध है और इसी की सज़ा पाकर दिव्या मित्तल न केवल अपने पद से हटा दी गईं बल्कि उन्हें फिलहाल प्रतीक्षा सूची में रखा गया है।
लोग कहते हैं कि दिव्या मित्तल नाम में नहीं, काम में विश्वास रखती थीं।  उनका पोर्टफोलियो भले ही जिलाधिकारी का था पर वह खुद को हमेशा आम आदमी के बीच रखना ज्यादा पसंद करती थीं। खासकर, मिर्ज़ापुर जिले के लिए तो वह अब इतिहास का हिस्सा बन चुकी हैं, वह इसलिए कि जो काम 76 वर्षो में नहीं हो पाया था उसे उन्होंने अपने कुछ महीनों के दौरान ही साकार कर ग्रामीणों का दिल जीत लिया था। वह भी बिना किसी लाग-लपेट, तामझाम के। शायद उनका यही अंदाज सत्ताधारी पार्टी के जिले के फीताकाट, छपास रोगी नेताओं को रास नहीं आया। बिना सत्ताधारी नेताओं को विश्वास में लिए हुये उनके इस जन कल्याणकारी प्रयास ने उन्हें तो जनता के मन में हीरो की तरह स्थापित कर दिया पर सत्ता के अहंकारी नेताओं का ईगो हर्ट हो गया। काम भले ही उन्होने किया था पीआर क्रेडिट तो सत्ता को देना चाहिए था, पर दिव्या मित्तल ने यह नहीं किया और यही न करना उनके अचानक स्थानांतरण का कारण बन बैठा।
जिलाधिकारी दिव्या मित्तल के स्थानांतरण से अंदर ही अंदर इतरा रहे फीताकाट  नेताओं की मंशा को भांप चुकी जिले की जनता सोशल मीडिया सहित अन्य माध्यमों से जहां सरकार से सवाल करती हुई नज़र आ रही है तो वहीं समाजवादी पार्टी सहित कई अन्य दलों के प्रबुद्ध वर्ग के लोगों ने भी दिव्या मित्तल के स्थानांतरण को अनुचित करार दिया है।
दूसरी ओर मिशन 2024 को लेकर संजीदा केन्द्र और प्रदेश की सरकारें लोक लुभावन घोषणाओं, वादों के जरिए जनता के बीच अपने प्रभाव को कायम रखने के लिए व्याकुल नजर आ रही हैं तो वहीं मिर्ज़ापुर की जनता सरकार से सवाल दाग रही है कि आखिरकार जिलाधिकारी दिव्या मित्तल के अचानक स्थानांतरण के क्या मायने हैं? जनता के बीच सुलभ होकर उनकी सुनना और समाधान कराने से लेकर जिस लहुरियादह के लोग पहाड़ पर 76 सालों पानी पहुंचने की आस लगाए बैठे हुए थे उसे दिव्या मित्तल ने अपने कार्यकाल में प्राथमिकता के आधार पर न केवल पूर्ण कर दिखलाया है, बल्कि लहुरियादह के ग्रामीणों से किए गए वादों को भी पूरा किया है।
महज 346 दिन के कार्यकाल के दौरान मीरजापुर की जिलाधिकारी के तौर पर आईएएस अधिकारी दिव्या मित्तल ने जिले में जो छाप छोड़ी है वह शायद ही लोग भुला पाएंगे।  शासन की योजनाओं, नीतियों या जिले में धार्मिक-सांस्कृतिक, ऐतिहासिक प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण संपदाओं, विरासतों को सहेजने-संवारने से लेकर उनके जीर्णोद्धार इत्यादि को एक जिलाधिकारी के तौर पर दिव्या मित्तल ने जो काम किया वह हर किसी के वश की बात नहीं रही है। आमजनों के लिए सदैव सुलभ होना उनकी कार्यशैली थी, उनका यही अंदाज हर किसी को दिल से भाता था।  संवेदनशील और मानवीय सरोकारों के चलते वे मातहत अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ भी उनका सहज था। मिलने और उनकी भी समस्याओं को सुनने का उनकी यही सादगी भरा निराला अंदाज हर किसी को भा गया था।
जिले से अचानक जिलाधिकारी दिव्या मित्तल का स्थानांतरण होना मुद्दा बन गया है। जिले की आम जनता से लेकर विपक्ष के नेता लगातार सवाल उठा रहे हैं।  स्थानांतरण रद्द करने की मांग के साथ-साथ समाजवादी पार्टी जिलाध्यक्ष देवी प्रसाद चौधरी के नेतृत्व में सपा ने मुख्यालय पर प्रदर्शन भी किया है। वहीं खुद बीजेपी के अंदर खाने से भी जिलाधिकारी के स्थानांतरण को लेकर चर्चा तेज हो गई है। लोगों ने इसे गलत करार दिया है। दूसरी ओर भाजपा से निष्कासित फायर ब्रांड नेता मनोज श्रीवास्तव ने तो इशारों ही इशारों में केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल और उनके पति मंत्री आशीष पटेल  को घेरा है। लोगों का कहना है कि ‘जिलाधिकारी दिव्या मित्तल ने जिले के विकास के प्रति सजग रहते हुए काम किया है और कम दिनों में ही जनता के बहुत नजदीक हो गईं। यही बात यहां के नेताओं को रास नहीं आई है, जिसका खामियाजा जिले की जनता को भुगतना पड़ेगा।
जिलाधिकारी के रूप में दिव्या मित्तल ने मिर्जापुर कई ऐसे काम किए जो उनको लंबे समय तक याद रखने के आधार होंगे। इसी वजह से वह नेताओं से कटकर जनता जिलाधिकारी से सीधे जुड़ने लगी। यह ख्याति जिले के नेताओं को रास नहीं आई पर जनता के मन में उनकी अच्छी छवि बन चुकी है।  व्यापारी नेता शैलेंद्र अग्रहरी ने मुख्यमंत्री सहित भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं को ट्वीट करते हुए कहा है कि मिर्जा़पुर की दमदार, ईमानदार, संवेदनशील और लोकप्रिय जिलाधिकारी दिव्या मित्तल का बस्ती और बस्ती से प्रियंका निरंजन का मिर्जा़पुर स्थानांतरण आदेश के मीडिया में आने के बाद चंहुओर चर्चा है कि जिले के मंत्री दंपति जिलाधिकारी की बढ़ती लोकप्रियता से परेशान थे, उन्होंने अपने ‘बेदम’ निर्णय से दम दिखाया है।

व्यापारी नेता शैलेंद्र अग्रहरी।

अपनी मुलाकात का उल्लेख करते हुए वह बताते हैं कि ‘जाते जाते जिलाधिकारी दिव्या मित्तल भावुक हो गईं। उन्होंने यहां हर बैठक और सभा में मिर्जा़पुर को अपना दूसरा घर बताया था। पिछले महीने ही डा. काशी प्रसाद जायसवाल की स्मृति में आयोजित एक कार्यक्रम में भावुक हो उन्होंने कहा था कि ‘इतना स्नेह, इतनी चाहत देने वाले लोग दुनिया में और कहीं नहीं हो सकते। सरलता और सहजता की बयार बहती है यहां। यहां के लोग अपनी संवेदनाओं और सरलता से हर किसी को अपना बना लेते हैं।  इस जिले में विकास की गंगा चारों ओर बहे, मैं इसके लिए काम कर रही हूं।’

 

स्थानीय पत्रकार महेन्द्र कुमार पाण्डेय डीएम दिव्या मित्तल के स्थानांतरण को माइनिंग, अवैध खनन, बैरियर टोल प्लाजा से जजिया कर हटाने पर स्थानांतरण को जोड़कर देखते हैं। वह कहते हैं कि जिस तरीके से मिर्जापुर की धरती पर राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में अपना और दल का आतंक वर्चस्व, अचानक बढ़ा है उस पर भारतीय जनता पार्टी की खामोशी कम आश्चर्य जनक नहीं है। खनन और टोल प्लाजा, बैरियर लगाकर अवैध वसूली को जिलाधिकारी दिव्या मित्तल द्वारा रोकना भारी पड़ गया।  पिछले जुलाई से ही मिर्जापुर की धरती को चरागाह के रूप में उपयोग करने वाले मंत्री द्वय को जिलाधिकारी खटक रही थीं और अंततः उनका स्थानांतरण करा दिया गया। जनता के दुःख-सुख, उनकी समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर दूर करने वाली दिव्या मित्तल का अचानक स्थानांतरण आगामी लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन के नाम पर मिर्जापुर की जनता को बेवकूफ बनाना महंगा पड़ेगा। जिस तरीके से मिर्जापुर जनपद का आम जनमानस दिव्या मित्तल के लिए और उनके कार्यशैली से प्रभावित है राजनीतिक परिपेक्ष में गहरा असर होगा। वैसे भी राष्ट्रवाद के खंडहर पर धूर्त राजनीति को मिर्जापुर की धरती के निवासी समझ चुके हैं। जनता का निर्णय 2024 लोकसभा चुनाव में आएगा? गठबंधन के नाम पर पूरे जिले पर राज करने का और धमा चौकड़ी करने का अधिकार किसने दे दिया है? पूरे नगर में दुर्दशा का आलम है। कहीं भी राजनीतिक सौदागर जनता के दुःख-सुख में दिखाई नहीं दे रहे हैं, लेकिन मिर्जापुर में जनता के साथ छल कपट करके राजनीतिक बंटवारा कर दिया गया है।  यानि मिर्जापुर के लोगों को बेवकूफ बनाया जा रहा है।
पत्रकार रामलाल साहनी कहते हैं कि जिलाधिकारी दिव्या मित्तल के स्थानांतरण की चर्चा आम आदमी से लेकर खास तक के बीच आज जनपद में सबसे अधिक हो रही है तो वहीं मीरजापुर की जनता भी इस स्थानांतरण से नाखुश लग रही है।  जिससे साफ झलक रहा है कि सत्ताधारी और उसके सहयोगी दल की मनमानी ज्यादा दिनों तक नहीं चलने वाली है क्योंकि इस बार विकल्प अच्छा रहा तो बदलाव निश्चित रहेगा।
जिलाधिकारी दिव्या मित्तल का स्थानान्तरण रदृद करने को लेकर समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष देवी प्रसाद चौधरी के नेतृत्व में महामहिम राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन अपर जिलाधिकारी देवेन्द्र प्रताप सिंह, नगर मजिस्ट्रेट विनय सिंह को सौंपते हुए इसे अनुचित करार दिया गया।
समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष देवी प्रसाद चौधरी ने कहा कि जिलाधिकारी दिव्या मित्तल विकास की एक उम्मीद की एक किरण थीं और जिले के विकास में उनका बड़ा योगदान रहा है। लहुरियादह में गाँववासियों को नल का पानी पहुँचाकर उन्होंने पुनीत कार्य किया है। उनके स्थानान्तरण से आम जनमानस आहत  है। सत्ता पक्ष की शह पर इनका स्थानान्तरण हुआ है इसे रद्द किया जाय।
जब एक रिपोर्ट पर गंभीर हो उठी थी दिव्या मित्तल
जनवरी 2023 में मिर्जापुर के हलिया विकास खंड के पहाड़ी और जंगली भू-भाग वाले  एरिया में देश की आजादी के 76 वर्ष बाद भी मूलभूत सुविधाओं की जमीनी हकीकत को देखने के गरज से जब पड़ताल की गई थी तो हलिया विकासखंड के ही चंद्रगढ़ मुंडेल से बबुरा रघुनाथ सिंह गांव की ओर जाने वाले मार्ग पर सूख चुकी पहाड़ी नदी के दूषित पानी का सेवन करते हुए एक महिला का चित्र सामने आया था। उस मार्मिक और व्यवस्था को झकझोर कर रख देने वाले दृश्य के साथ इस रिपोर्ट के माध्यम से लहुरियादह पहाड़ पर बसे ग्रामीणों की पानी को लेकर चली आ रही दशकों पुरानी समस्या को भी न केवल प्रमुखता से उठाया गया था, बल्कि जिलाधिकारी के प्रयासों को भी ग्रामीणों के शब्दों में ही स्थान दिया था कि किस प्रकार से ग्रामीण अब जिलाधिकारी के प्रयासों को लेकर उत्साहित हैं और उन्होंने क्या बोला था। पानी को लेकर मीडिया रिपोर्ट पर जिलाधिकारी डीएम दिव्या मित्तल ने पहले तो अफसोस व्यक्त करते हुए ‘ओफ’ कहा था, फिर तपाक से बोली थीं ‘नहीं होगी पानी को लेकर परेशानी, हर घर, व्यक्ति को सुलभ होगा स्वच्छ जल’। इसी के साथ ही जिलाधिकारी ने मौके पर जाने के साथ ही मीडिया की रिपोर्ट की सराहना करते हुए जिले के विकास और लंबित पड़ी  समस्याओं के समाधान के लिए खुलकर बात की थी।

लहुरियादह में टोटी से पानी गिरने पर डीएम संग मौजूद ग्रामीण

जनप्रतिनिधियों से ज्यादा डीएम की दिखी लोकप्रियता
जिलाधिकारी रहते हुए दिव्या मित्तल ने जिले के विकास कार्यों के साथ ही साथ इसे सजाने और संवारने में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी। विंध्य कॉरिडोर परिपथ का लगातार निरीक्षण करने के साथ ही साथ ऐतिहासिक चुनार किले के वैभव को पुनः स्थापित करने, पर्यटन की संभावनाओं को खोलकर स्वरोजगार के अवसर बढ़ाने, लोगों के लिए सर्व सुलभ होने, पक्ष-विपक्ष की राजनीति से दूर हटकर एक जिलाधिकारी के तौर पर काम करने की हसरत लेकर जिले के जनमानस के मानस पटल पर छा जाने वाली जिलाधिकारी दिव्या मित्तल के लोकप्रियता के और भी अनेक कारण रहे हैं उनमें चुनार किले को फिर से पुनर्स्थापित करना, लहुरियादह में 76 वर्षों से चली आ रही पानी की समस्या से निजात दिलाना  प्रमुख रहा है। दरअसल यही बातें जिले के कुछ जनप्रतिनिधियों को खटकने लगा था, जिन्हें ना तो फीता काटने का अवसर मिला और ना ही इसका श्रेय लेने का, ऐसे में उन्हें अंदर ही अंदर जिलाधिकारी की यह लोकप्रियता और उनके कार्य आंखों में कांटों की तरह चुभने लगे थे।

मिर्जापुर वासियों के लिए दिव्या मित्तल के संदेश

व्यापक मजबूत संगठित संगठन के रूप में भले ही भाजपा की पहचान बनी हो, लेकिन मिर्जापुर जिले में भाजपा और उसका जिला नेतृत्व एक दल विशेष के हाथों की कठपुतली बनकर रह गया है। यह बातें जन-जन की जुबान पर अब तेजी से सुनने में आने लगी हैं। जिलाधिकारी के स्थानांतरण के बाद जिस प्रकार से जिले की राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है।  लोगों का कहना है कि किसी भी अधिकारी का स्थानांतरण निश्चित तौर पर एक सतत प्रक्रिया का हिस्सा हो सकता है, लेकिन जिस प्रकार से जिलाधिकारी का आपाधापी के बीच अचानक स्थानांतरण हुआ है वह हजम होने वाला नहीं है।
जिस कार्य को 76 वर्षों में पूरा नहीं किया जा सका था उसे कुछ महीने के कार्यकाल में जिलाधिकारी ने प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया। इसके लिए जिलाधिकारी की पीठ थपथपाने के बजाय सत्ता द्वारा उन्हें स्थानांतरण पत्र थमा कर क्या संदेश दिया गया है यह जनता जाना चाहती है?
 फूलों से विदाई पाने वाली दिव्या मित्तल का ट्रांसफर निरस्त होने के पीछे भी उन्हीं लोगों का हाथ माना जा रहा है जिन्हें डीएम रही दिव्या मित्तल की लोकप्रियता भा नहीं रही थी। बताते चलें कि दिव्या मित्तल को जनता द्वारा फूलों से लाद दिये जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। मिर्जापुर के बाद उन्हें बस्ती जिले की कमान सौंपने का आदेश जारी हुआ था। लेकिन उनके कार्यभार ग्रहण करने से पहले ही शासन ने ज्वाइनिंग निरस्त उन्हें प्रतीक्षा सूची में दाल दिया गया है।
गाँव के लोग
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