नयी दिल्ली (भाषा)। शिक्षक संगठन ‘डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट’ ने दिल्ली विश्वविद्यालय के रामानुजम कॉलेज के श्रीमद्भगवद गीता पर प्रमाणपत्र-सह-पुनश्चर्या पाठ्यक्रम में अनिवार्य पंजीकरण और उपस्थिति की शर्त को वापस लेने की मांग की है। संगठन ने बुधवार को एक बयान में आरोप लगाया कि कॉलेज के शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को श्रीमद्भगवद गीता पर प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम में पंजीकरण करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। संगठन ने इस कदम को कॉलेज प्रशासन की ओर से निरंकुशता करार दिया है।
बयान में आरोप लगाया गया कि कॉलेज शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को उनके कार्यालय समय के बाद पाठ्यक्रम में भाग लेने के लिए मजबूर कर रहा है। रामानुजन कॉलेज के प्रधानाचार्य एसपी अग्रवाल को फोन कॉल और लिखित संदेश के जरिये पूरे प्रकरण पर उनका रुख पूछा गया लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया।
शिक्षण कर्मियों को एक ईमेल में कॉलेज के प्रधानचार्य ने कहा कि यह पाठ्यक्रम कॉलेज में स्थापित किए जाने वाले प्रस्तावित भारतीय ज्ञान प्रणाली केंद्र के अनुरूप है।
रामानुजन कॉलेज के एक अधिकारी ने पहचान गुप्त रखते हुए बताया कि प्रशासन पाठ्यक्रम में हिस्सा नहीं लेने वाले शिक्षकों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करेगा। उन्होंने बताया, ‘अनिवार्य उपस्थिति की शर्त यह सुनिश्चित करने के लिए रखी गई है कि शिक्षक और अन्य कर्मचारी पाठ्यक्रम में हिस्सा लें।’