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अव्यवस्थित दिनचर्या के कारण युवाओं में भी बढ़ रही हैं हृदय सम्बंधी बीमारियाँ

नई-नई तकनीकों ने केवल इंसान की ज़िंदगी को ही नहीं बदला है बल्कि उसके रहन-सहन और खानपान के तौर तरीकों को भी पूरी तरह से बदल दिया है। इस बदलाव ने मनुष्य के शरीर को बीमारियों का घर बना दिया है। आजकल एक के बाद एक ऐसी कई बीमारियां हैं, जिसने मानव जाति पर कहर […]

नई-नई तकनीकों ने केवल इंसान की ज़िंदगी को ही नहीं बदला है बल्कि उसके रहन-सहन और खानपान के तौर तरीकों को भी पूरी तरह से बदल दिया है। इस बदलाव ने मनुष्य के शरीर को बीमारियों का घर बना दिया है। आजकल एक के बाद एक ऐसी कई बीमारियां हैं, जिसने मानव जाति पर कहर बरपा कर रखा है। इन्हीं बीमारियों में से एक हार्ट डिजीज है। यह इतनी तेजी से बढ़ रही है कि अब तो इसकी कोई आयु सीमा नहीं रह गई है। जवान हो या बुजुर्ग, सभी आयु वर्ग के लोग इसका शिकार हो रहे हैं।

भारत में 28 प्रतिशत मृत्यु का कारण दिल का दौरा पड़ना बताया जा रहा है। हर वर्ष भारत में हृदय रोग संबंधी होने वाली मृत्यु के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं। वर्ष 2016 में हृदय रोग से होने वाली मौतें 21914 थी। वहीं वर्ष 2017 में यह आंकड़ा 23249 पर पहुंच गया। वर्ष 2018 में यह आंकड़ा और बढ़ा और 25764 पर पहुंच गया। वर्ष 2019 में 28005 हो गया जबकि वर्ष 2020 में यह आंकड़ा 29000 को पार कर गया। अभी भी कई ऐसे शोध हैं, जो हृदय संबंधी रोगों से हो रही मौतों के आंकड़ों में बढ़ोतरी का दावा कर रहे हैं। साल 2022 में छपे एक शोध में तो प्रख्यात हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सीएन मंजूनाथ ने चिंता जाहिर करते हुए चेतावनी दे डाली है। उन्होंने दावा किया कि युवाओं में हृदय संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं जोकि एक गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2030 तक भारत में हर चौथा व्यक्ति हृदय संबंधी रोग से पीड़ित होगा। दूसरे देशों की तुलना में यहां इस बीमारी की चपेट में शुरुआती उम्र में ही लोग आ जाते हैं।

आखिरकार, भारत में हार्ट अटैक का मुख्य कारण क्या है? यदि इस पर गौर करें तो इसकी कई वजह सामने आती हैं। जैसे युवाओं की गलत लाइफस्टाइल, अनहेल्दी खान पान, अत्यधिक तनाव,  स्मोकिंग, ब्लड प्रेशर की समस्या और मोटापा दिल की सेहत को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है। स्वयं इंडियन हार्ट एसोसिएशन इस बात की पुष्टि कर रहा है कि नौजवानों में हार्ट अटैक के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं। महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को ज्यादा हार्ट अटैक आ रहे हैं। मोटापा, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, तनाव, कोलेस्ट्रॉल, जैसे फैक्ट इसके लिए ज्यादा जिम्मेदार हैं। हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक सबसे खतरनाक हार्ट अटैक “सेगमेंट एलिवेशन माइक्रो कार्डिनल इंफ्रक्शन (स्टेमी) होता है। इसके चलते व्यक्ति की बॉडी की धमनियां ब्लॉक हो जाती हैं। जिससे दिमाग में ऑक्सीजन की सप्लाई रुक जाती है और पेशेंट की मृत्यु हो जाती है। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक स्तर पर दिल के दौरे से होने वाली 17।9 मिलियन मौतों में से लगभग पांचवा हिस्सा भारत में होता है। यानी हृदय रोग अब केवल बुजुर्गों तक ही सीमित नहीं रह गया है।

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केवल आम आदमी या बुज़ुर्ग ही नहीं, बल्कि बीते कुछ वर्षों में यह देखा गया है कि भारत के कई जानी-मानी युवा हस्तियों का भी दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हुई है। जिसमें सिद्धार्थ शुक्ला, राजू श्रीवास्तव और सतीश कौशिक जैसे जाने माने कलाकार भी हैं। वहीं जम्मू के बिषणा इलाके के रहने वाले 20 वर्षीय एक स्थानीय कलाकार की उस समय मृत्यु हो गई जब वह स्टेज पर माता पार्वती का रोल कर रहे थे। ऐसे में अब यह प्रश्न उठता है कि आखिरकार हमें कैसे पता चलेगा कि हमें हार्ट अटैक वाली स्थिति बनी हुई है? कोई व्यक्ति कैसे समझेगा कि वह ह्रदय रोग से पीड़ित हो चुका है और उसे दिल का दौरा पड़ सकता है? इसके लिए भी डॉक्टर ने कुछ विशेष जानकारी देते हुए कहा है कि यदि कभी सीने में दर्द, जकड़न, कंधों में दर्द, थकान, नींद में दिक्कत, दिल की धड़कन का तेज होना जैसे लक्षण हार्ट अटैक के संकेत हैं जिन्हें भूलकर भी नजरअंदाज नहीं करनी चाहिए। लेकिन ज़्यादातर लोग इसे नज़रअंदाज़ करने की भूल करते हैं।

इस संबंध में डॉक्टरों का कहना है कि मनुष्य को आने वाले हार्ट अटैक के अलग अलग चरण हैं। जब हार्ट पंपिंग 45 प्रतिशत से ऊपर होती है तो इसे माइल्ड हार्ट अटैक के रूप में जाना जाता है, जबकि यही पंपिंग 45 प्रतिशत से कम होती है तो इसे मेजर हार्ट अटैक कहा जाता है। इसके बाद हार्ट स्पेशलिस्ट डॉक्टर विमल छाजर कहते हैं कि भारत में हर 10 सेकंड में एक पेशेंट की मौत हार्ट अटैक से होती है। अर्थात 1 मिनट में 6 मौतें केवल हार्ट अटैक से होती हैं। एक दिन में लगभग 9000 डेथ हार्ट अटैक के कारण होती है। यानी एक करोड़ मौत में अकेले 35 लाख लोग केवल हार्ट अटैक से मर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि हमें क्या करनी और क्या नहीं करनी चाहिए कि हम इससे बच सकें?
इस बारे में कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर नवीन अग्रवाल कहते हैं कि हमें रेगुलर बेस पर एक्सरसाइज करनी चाहिए। हमें अपनी डाइट में नमक, शुगर और कोलेस्ट्रॉल वाली चीज़ें कम लेनी चाहिए। नियमित रूप से हार्ट चेकअप करवाते रहना चाहिए। अगर किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक आ जाए तो उसे सीधा लेटकर लगभग 1 मिनट में 100 बार पंपिंग करें। जिससे उसे थोड़ी राहत मिल सकती है। डॉक्टर अग्रवाल युवाओं सलाह देते हुए कहते हैं कि उन्हें क्षमता से अधिक जिम में पसीना नहीं बहाना चाहिए। वहीं युवाओं को जंक फ़ूड और कोल्ड ड्रिंक के अत्यधिक सेवन से भी परहेज़ करनी चाहिए। शाकाहारी भोजन स्वस्थ्य शरीर का परिचायक होता है। वहीं आर्युवेद के माध्यम से लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने वाले भारत के मशहूर आचार्य मुनीश देसी दवाओं को हार्ट अटैक के खिलाफ कारगर मानते हैं। उनका कहना है कि इस परिस्थिति में अदरक को चबाना हार्ट अटैक की गंभीरता को बहुत हद तक कम कर देता है। वास्तव में, लोगों विशेषकर युवाओं को अपनी सेहत के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है क्योंकि जागरूकता ही स्वस्थ जीवन का आधार हो सकता है। (सौजन्य से चरखा फीचर)

 

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